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5 साल आगे बढ़ सकती है बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की डेडलाइन, जापानी कंपनियों ने खींचे अपने हाथ

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पूरा होने में 5 साल देरी हो सकती है। यानी जो प्रोजेक्ट 2023 में पूरा होना था, उसे पूरा होने में अब 2028 तक इंतजार करना पड़ सकता है। बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में यह देरी भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में बोली लगाने वाली जापानी कंपनियों की अरूचि है, जिसकी प्रमुख वजह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में अधिक लागत हैं। जापानी कंपनियों की अरूचि और कम भागीदारी के कारण अब निविदाओं को रद्द कर दिया गया।

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रेलवे को उम्मीद है परियोजना अक्टूबर 2028 तक चालू हो पाएगी

रेलवे को उम्मीद है परियोजना अक्टूबर 2028 तक चालू हो पाएगी

रेलवे को उम्मीद है कि पूर्व निर्धारित दिसंबर 2023 के बजाय अब यह परियोजना अक्टूबर 2028 तक पूरी तरह से चालू हो पाएगी। सूत्रों ने बताया कि परियोजना पर काम कर रही जापानी टीम से बातचीत के बाद संशोधित समय रेखा का अनुमान लगाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने अगर हम उलझे हुए सभी मुद्दों को जल्दी हल कर लेते हैं तो हम समय सीमा को कुछ हद तक संकुचित कर सकते हैं, लेकिन इस तरह की जटिल तकनीकी परियोजना में समयावधि को बहुत हद तक घटाया नहीं किया जा सकता है।

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार आने के बाद शुरू हुई उधेडबुन

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार आने के बाद शुरू हुई उधेडबुन

गौरतलब है महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर राजनीति शुरू हो गई थी और सीएम उद्धव ठाकरे ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए थे, उन्होंने मुंबई से अहमदाबाद के बीच प्रस्तावित बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के रीव्यू की भी बात कही थी। तब से ही भारत के पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में लगातार रुकावटें आ रही हैं।

जापान से 80% लोन पर मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का निर्माण होना है

जापान से 80% लोन पर मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का निर्माण होना है

मुंबई-अहमदाबाद के बीच बन रहे हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण जापान से 80 फीसदी लोन पर किया जा रहा है। जापान ने यह कर्ज 0.1 फीसदी की दर पर 15 साल के लिए दिया है। इस कॉरिडोर के ज्यादातर सिस्टम जापान की शिंकासेन बुलेट ट्रेन तकनीक पर ही निर्मित होंगे। मोदी सरकार पहले इस प्रोजेक्ट के एक हिस्से को अगस्त 2022 तक शुरू करने के पक्ष में थी, ताकि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश को तोहफा दिया जा सके।

बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के अंडरग्राउंड सेक्शन में जापानी कंपनियों की रूचि नहीं

बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के अंडरग्राउंड सेक्शन में जापानी कंपनियों की रूचि नहीं

दरअसल, बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के 21 किमी के अंडरग्राउंड सेक्शन में 7 किमी का समुद्र के अंदर का सेक्शन के लिए जापान की तरफ से कोई रुचि नहीं दिखाई गई है, जिससे प्रोजेक्ट में देरी का प्रमुख कारण माना जा रहा है। इस साल की शुरुआत में इसके लिए की गई सारी कोशिशें असफल हो गईं।

प्रोजेक्ट के लिए 11 टेंडर जापानी कंपनियों की तरफ से लिए जाने थे

प्रोजेक्ट के लिए 11 टेंडर जापानी कंपनियों की तरफ से लिए जाने थे

प्रोजेक्ट के लिए 11 टेंडर जापानी कंपनियों की तरफ से लिए जाने थे, लेकिन बुलेट ट्रेन के लिए प्रस्तावित कीमत अनुमान से 90 फीसदी ज्यादा बताई गईं। भारत ने इतनी बड़ी लागत को मानने से इनकार कर दिया है।

 कावासाकी और हिटाची ही ट्रेन की सप्लाई के योग्य जापानी कंपनियां हैं

कावासाकी और हिटाची ही ट्रेन की सप्लाई के योग्य जापानी कंपनियां हैं

रोलिंग स्टॉक के अधिग्रहण का मुद्दा भी बड़ा कारण है। जापानी कंपनी कावासाकी और हिटाची ही ट्रेन की सप्लाई के योग्य कंपनियां हैं। बाद में पाया गया कि यह दोनों कंपनियां एक साथ बोली लगा सकती हैं, जिससे सिंगल-टेंडर की स्थिति पैदा हो गई थी। भारत की तरफ से यह फैसला उच्च स्तर पर करने के लिए छोड़ दिया गया।

प्रोजेक्ट में आ रहे सारी रुकावटों पर बैठक महामारी की वजह से टल गई

प्रोजेक्ट में आ रहे सारी रुकावटों पर बैठक महामारी की वजह से टल गई

भारत और जापान के बीच एक जॉइंट कमेटी की बैठक में प्रोजेक्ट में आ रहे सारी रुकावटों पर बात होनी थी, लेकिन बातचीत कोरोना महामारी की वजह से टल गई है। ऐसे में पूरे प्रोजेक्ट के टलने की असली तस्वीर कमेटी की बैठक के बाद ही सामने आएगी।

शिंजो आबे के हटने से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर क्या कोई असर नहीं पड़ेगा?

शिंजो आबे के हटने से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर क्या कोई असर नहीं पड़ेगा?

भले ही जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे को स्वास्थ्य कारणों से पद से हटने के ऐलान की वजह से बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन आबे के पीएम मोदी के साथ निजी और बेहतर रिश्तों का प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में सकारात्मक असर पड़ता।

महाराष्ट्र में 430 हेक्टेयर जमीन में सिर्फ 100 हेक्टेयर का अधिग्रहण हुआ

महाराष्ट्र में 430 हेक्टेयर जमीन में सिर्फ 100 हेक्टेयर का अधिग्रहण हुआ

फिजीबिलटी स्टडी के मुताबिक बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए दिसंबर 2017 में काम शुरू होना था पर अब तक महाराष्ट्र में निर्धारित 430 हेक्टेयर जमीन में सिर्फ 100 हेक्टेयर का अधिग्रहण ही किया जा सका है, जबकि गुजरात में राज्य सरकार की मदद से इस साल के अंत तक एक हजार हेक्टेयर का अधिग्रहण पूरा कर लिया जाएगा।

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English summary
The completion of Prime Minister Modi's ambitious bullet train project may be delayed by 5 years. That is, the project which was to be completed in 2023, may have to wait till 2028 to complete it. This delay in the bullet train project is disinterested by Japanese companies bidding for the bullet train project in India, mainly because of the high cost of the bullet train project. The tenders were now canceled due to distaste and reduced participation of Japanese companies.
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