BRO cafes: अब चीन-पाकिस्तान बॉर्डर घूमने में आएगा और मजा,J&K-लद्दाख-हिमाचल में ये सारी सुविधाएं मिलेंगी
नई दिल्ली, 22 जून: बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) देश के 12 राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में 75 बीआरओ कैफे खोलने की तैयारी कर रहा है। यह कैफे बीआरओ की गाइडलाइंस के मुताबिक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनर्शिप के तहत खोले जाएंगे, जिससे सैलानियों के देश के सीमावर्ती इलाकों खासकर दूर-दराज के दुर्गम क्षेत्रों में यात्रा का अनुभव ही बदल जाएगा। यह योजना यात्रियों की ओर से महसूस की जाने वाली परेशानियों को देखकर ही शुरू की जा रही है। जाहिर है कि इससे यात्रियों की सुविधाएं तो मिलेंगी ही, इन क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
12 राज्यों में 75 बीआरओ कैफे खुलेंगे
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) यू तो देश के सीमावर्ती और सामरिक महत्त्व के इलाकों में सड़क निर्माण के लिए जिम्मेदार है। लेकिन, अब इसने अपने दायित्व के दायरे को और भी लोकप्रिय और घरेलू पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने का इंतजाम किया है। इसके तहत बीआरओ देश के खासकर उत्तर और पूर्वी हिस्से में उन दूर-दराज इलाकों में विशेष सुविधाओं का इंतजाम करने जा रहा है, जहां अबतक घरेलू पर्यटक इनकी बहुत ही ज्यादा कमी महसूस करते थे। इसके लिए बीआरओ 12 राज्यों में आम यात्रियों की सुविधा के लिए 75 स्थानों पर बीआरओ कैफे स्थापित करेगा। बीआरओ रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाला संगठन है, जिसके प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अफसर होते हैं। इनकी मुख्य जिम्मेदारी सीमावर्ती क्षेत्रों में रक्षा जरूरतों के हिसाब से सड़कों का निर्माण और उनका रख-रखाव करना होता है। बीआरओ सड़कों के साथ ही पुलों, सुरंगों, एयरफिल्ड और हेलीपैड का भी निर्माण करता है।
सैलानियों को आरामदायक सुविधा उपलब्ध करवाने का इंतजाम
बीआरओ कैफे की व्यवस्था ही इस मकसद से की जा रही है कि सैलानियों को यात्रा के दौरान दूर-दराज सीमावर्ती इलाकों में भी आवश्यकता के मुताबिक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हों और उनकी यात्रा आरामदायक बने। इससे देश के सीमावर्ती इलाकों में आर्थिक गतिविधियों में भी गति आएगी, साथ ही साथ स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। जहां तक उत्तरी भारत का सवाल है तो फिलहाल ऐसे 45 बीआरओ स्थापित किए जाएंगे। इनमें 14 लद्दाख में, 12 जम्मू और कश्मीर में, 11 उत्तराखंड में 7 हिमाचल प्रदेश में और 1 पंजाब में होंगे। जहां तक पूर्वोत्तर भारत की बात है तो अरुणाचल प्रदेश में ऐसे 19 कैफे बनाए जाएंगे और यह सबसे ज्यादा है।
इन राज्यों में भी बनेंगे बीआरओ कैफे
बाकी जिन राज्यों में ऐसे बीआरओ कैफे बनाए जाने हैं, वे हैं- असम,मणिपुर, नागालैंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पश्चिम भारत में राजस्थान। रक्षा मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि बीआरओ ने दूर-दराज की सीमाओं तक पहुंच सुनिश्चित की है और सामरिक जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ इसने उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर सामाजिक-आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने में भी योगदान दिया है। इसके चलते इन दर्शनीय स्थलों और दुर्गम इलाकों में टूरिस्ट की संख्या भी बढ़ी है।
बीआरओ की गाइडलाइंस के मुताबिक निर्माण और संचालन
मुश्किल जलवायु और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से इन इलाकों में सैलानियों को आरामदायक सुविधाएं उपलब्ध करवाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसी के मद्देनजर बीआरओ की ओर से इस पहल को अपनाया जा रहा है। यह योजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनर्शिप में सड़क किनारे जन-सुविधाएं विकसित करने की है, जिसके तहत बीआरओ की ओर से बनाई गई गाइडलाइंसके मुताबिक, इनकी डिजाइन तैयार की जाएगी, इनका निर्माण और संचालन किया जाएगा।
दुर्गम इलाकों में सड़क किनारे मिलेंगी ये सुविधाएं
बीआरओ कैफे में यात्रियों को वाहनों के लिए पार्किंग, फुड प्लाजा या रेस्टोरेंट, पुरुष, महिलाओं और दिव्यांगनों के लिए अलग-अलग रेस्टरूम उपलब्ध करवाया जाएगा। साथ ही साथ यहां पर फर्स्ट एड की सुविधा और मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध करवाए जाने का प्रस्ताव है। इस कैफे के लिए योग्य ऐजेंसियों को प्रतियोगी प्रक्रिया के तहत लाइसेंस जारी किया जाएगा। इस करार का कार्यकाल 15 साल का होगा, जो 5 साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकेगा।
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रोहतांग दर्रे में पहले से शुरू है एक प्रोजेक्ट
हाल ही में बीआरओ ने स्टूडेंट और टूरिस्ट के लिए एक नई पहल की शुरुआत की थी, जिसके तहत इसकी ओर से तैयार किए गए कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट की यात्रा कराने का प्रावधान है। ऐसा पहला स्थान हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में स्थित अटल टनल है। गौरतलब है कि बीआरओ मित्र देशों, जैसे कि भूटान, म्यांमार, ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान में भी सड़क और रक्षा जरूरतों के मुताबिक निर्माण कार्यों में सहायता देता है।