तेजस्वी के 10 लाख नौकरियों के वादे का मजाक उड़ाने वाली बीजेपी ने खुद की 19 लाख जॉब्स देने की घोषणा
नई दिल्ली। भाजपा ने गुरुवार को बिहार विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र 'संकल्प पत्र' के नाम से जारी कर दिया। इसमें संकल्प पत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी समेत विभिन्न क्षेत्रों में 19 लाख रोजगार देने का वादा किया गया है। जबकि बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी द्वारा एक दिन पहले ही तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी देने के वादे का मजाक उड़ाया गया था। अब बीजेपी ने खुद अपने घोषणा पत्र में लगभग उससे दोगुनी नौकरियां देने का वादा किया है। घोषणापत्र में एक साल में तीन लाख शिक्षकों की भर्ती शामिल है।
बिहार में पहले चरण के चुनाव में अब एक सप्ताह से भी कम का समय बचा है। ऐसे में आज बीजेपी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया। संकल्प पत्र में बीजेपी ने बिहार की जनता को लगभग दोगुना रोजगार देने का वादा किया है। साथ ही बिहार के हर शख्स को फ्री में कोरोना वैक्सीन देने का भी ऐलान किया है। बीजेपी ने इस घोषणा पत्र के जरिये युवाओं और किसानों को साधने की कोशिश की है।
बीजेपी ने पहले एक साल के भीतर शिक्षकों को तीन लाख नौकरियों, आईटी क्षेत्र में पांच लाख नौकरियों का वादा किया है। जिसके लिए उसने 'नेक्स्ट जेनरेशन आईटी हब' बनाने का वादा किया है। पार्टी ने चिकित्सा क्षेत्र में एक लाख नौकरियों और कृषि क्षेत्र में 10 लाख नौकरियों का भी वादा किया है। 10 हजार चिकित्सक, 50 हजार पैरामेडिकल कर्मियों सहित राज्य में कुल 1 लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी के अवसर प्रदान किए जाएंगे। साथ ही दरभंगा एम्स का संचालन 2024 तक सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा बीजेपी ने स्वयं सहायता समूहों तथा माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के माध्यम से 50,000 करोड़ की माइक्रो फाइनेंस से 1 करोड़ नयी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की ऐलान किया है। 2022 तक तीस लाख पक्के मकान देने का भी वादा किया है।
जबकि इसके एक दिन पहले बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के 10 लाख युवाओं को रोजगार देने के वादे को ढपोरशंखी घोषणा बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ढपोरशंखी घोषणाओं के तहत यदि वास्तव में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दिया जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415।06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि 1,11,189।06 करोड़ होती है। जब विपक्ष वेतन पर ही बजट का अधिकांश भाग खर्च करेगा, तो फिर पेंशन, छात्रवृत्ति, साइकिल, पोशाक, मध्याह्न भोजन, कृषि अनुदान, फसल सहायता, पुल-पुलिया, सड़क, बिजली आदि तमाम योजनाओं के लिए पैसे कहां से आयेंगे?
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