सुषमा के बाद अब उमा भारती ने किया ऐलान, नहीं लड़ेंगी 2019 का लोकसभा चुनाव
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नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ऐलान के बाद अब उमा भारती ने भी घोषणा कर दिया है कि वो 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी लेकिन अयोध्या में राम मंदिर के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वह अगले छह महीने उत्तर प्रदेश में राम मंदिर और गंगा की सफाई के मुद्दे पर अपना ध्यान केंद्रीत करेंगी। बता दें कि राम मंदिर के मुद्दे पर उमा भारती अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रही हैं। आइए जान लेते हैं उमा भारती का राजनीतिक सफर कैसा रहा है।
उमा भारती का राजनीतिक करियर
उमा भारती ने 1989 में खजुराहो लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता था। उसके बाद 1991, 1996 और 1998 के चुनाव में भी सीट पर जीत हासिल करते हुए सीट बरकरार रखी थीं। इसके बाद धीरे-धीरे भारत की राजनीति में इनक कद बढ़ता गया। उसके बाद लालकृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में एक रही। इसके बाद 2003 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में, उनके नेतृत्व में भाजपा ने तीन-चौथाई बहुमत प्राप्त किया और मुख्यमंत्री बनीं। अगस्त 2004 उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जब उनके खिलाफ 1994 के हुबली दंगों के सम्बन्ध में गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ था।
सुषमा स्वराज की ओर से अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद उमा भारती दूसरी मंत्री हैं जिन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। बता दें कि उमा भारती 6 मई 2014 से 1 सितंबर 2017 तक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद पेयजल और स्वच्छता मंत्री बनी।
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2016 में उमा भारती ने अमित शाह से की थी बात
2019 का लोकसभा चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि मैने 2016 में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से बात की थी तब उन्होंने कहा कि मुझे इस्तीफा नहीं देना चाहिए। तो अब इस संबंध में पार्टी निर्णय लेगी की क्या करना। बता दें कि एक समय में उमा भारती की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती थी।
सुषमा स्वराज के बाद ऐलान करने वाली दूसरी मंत्री है उमा भारती
सुषमा स्वराज की ओर से अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद उमा भारती दूसरी मंत्री हैं जिन्होंने चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया। बता दें कि उमा भारती 6 मई 2014 से 1 सितंबर 2017 तक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद पेयजल और स्वच्छता मंत्री बनी।