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डॉक्टर ने PIL देकर कोरोना के शर्तिया इलाज का किया दावा, SC ने जुर्माना ठोका

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नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका देकर एक आयुर्वेदिक डॉक्टर ने कोविड-19 बीमारी के शर्तिया इलाज का दावा ठोका था। लेकिन, यह दावा उसे बहुत ही महंगा पड़ा। अदालत ने उसकी याचिका तो खारिज कर ही दी, ऊपर से जुर्माना भी लगा दिया। जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई थी कि वह केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विभागों को उसकी दवा के इस्तेमाल करने का आदेश दे। गौरतलब है कि गुरुवार को कुछ होमियोपैथिक डॉक्टर भी इसी तरह की याचिका लेकर सर्वोच्च न्यायालय के पास पहुंचे थे, लेकिन उन्हें हाई कोर्ट के पास भेज दिया गया था।

कोरोना के इलाज का किया दावा तो देना पड़ा जुर्माना

कोरोना के इलाज का किया दावा तो देना पड़ा जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की उस जनहित याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें उसने कोरोना वायरस के पक्के इलाज का दावा किया था। डॉक्टर ने कहा था कि उसने कोविड-19 का इलाज खोज लिया है और उसकी दवा का इस्तेमाल देशभर की सरकारों की ओर से किया जाना चाहिए। यह याचिका हरियाणा निवासी ओमप्रकाश वे ज्ञानतारा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। पीआईएल के जरिए उसने दावा किया था कि उसे उस बीमारी का इलाज मिल गया है, जिसने दुनियाभर में करीब 8 लाख लोंगों की जान ले ली है। गौरतलब है कि भारत में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 29 लाख से ज्यादा हो चुकी है और इस वक्त देश में अमेरिका और ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा कोरोना मरीज हैं और इसमें रोजाना 50 से 60 हजार संक्रमितो का इजाफा होता चला जा रहा है।

याचिकाकर्ता के पास है बीएएमएस की डिग्री

याचिकाकर्ता के पास है बीएएमएस की डिग्री

सुप्रीम कोर्ट ने ओमप्रकाश ज्ञानतारा की याचिका पर सुनवाई करने के बाद उसे खारिज करके और ऊपर से याचिकाकर्ता पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि बेवजह की जनहित याचिकाओं के जरिए अदालत का समय बर्बाद न किया जाए। उस आयुर्वेदिक डॉक्टर का दावा था कि उसने जो कोविड-19 की दवा तैयार की है, उसे डॉक्टरों, पूरे देश के अस्पतालों की ओर से कोरोना वायरस संक्रमण में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ओमप्रकाश के पास बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसीन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री है और वह आयुर्वेद की प्रैक्टिस करता है। उसने अदालत से गुजारिश की थी कि वह केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विभागों को उसकी दवा कोविड मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल करने का आदेश जारी करे। लेकिन, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की उसकी जनहित याचिका गलत है और उसे खारिज करते हुए इसलिए 10 हजार का जुर्माना लगाया ताकि लोग बेवजह की पीआईएल दायर करने से बचें।

होमियोपैथिक डॉक्टर भी कर चुके हैं मांग

होमियोपैथिक डॉक्टर भी कर चुके हैं मांग

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली खंड पीठ ने कोरोना के हल्के केस में होमियोपैथी से इलाज शुरू करने की मांग करने वाले दो होमियोपैथी डॉक्टरों से कहा था कि वे इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट जाएं। उन दोनों होमियोपैथिक डॉक्टरों ने भी सुप्रीम कोर्ट से कोविड-19 के होमियोपैथिक इलाज के लिए केंद्र सरकार को आदेश दिए जाने की मांग की थी। बता दें कि शुक्रवार को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में 68,898 का इजाफा हुआ है और कुल संख्या बढ़कर 29,058,946 हो चुकी है। इस समय देश में कुल ऐक्टिव केसों की संख्या भी 6,92,028 हो चुकी है और मौत का आंकड़ा भी 54,849 तक पहुंच चुका है।

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English summary
Ayurveda doctor claims treatment of coronavirus by giving PIL, SC fined Rs 10,000
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