मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए भाजपा ने अमित शाह को दिया एक्सटेंशन, भारत माता और कमल रहेगा मूलमंत्र
नई दिल्ली। दिल्ली में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हो रही है और बैठक में साल के आखिर में होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा बैठक में एससी/एसटी एक्ट के चलते सवर्णों का विरोध और एनआरसी का मुद्दा भी होगा। जब चुनावों की बात होगी तो सवाल ये भी है की पार्टी किसके नेतृत्व में 2019 के लोकसभा चुनाव में जाएगी। मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का कार्यकाल जनवरी 2019 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में क्या कोई नया चेहरा पार्टी का नेतृत्व करेगा। ऐसा नहीं होगा। अमित शाह ही फिलहाल 2019 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे। खबर है कि संगठन चुनाव को लोकसभा इलेक्शन के बाद कराए जाने के प्रस्ताव पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में मुहर लग गई है। 2019 के लोकसभा चुनावों के मार्च-अप्रैल में होने की संभावना है और ऐसे में बीजेपी नई टीम के साथ चुनाव में उतरने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। इसलिए पार्टी ने मौजूदा टीम को ही बनाए रखने का फैसला लिया है।
शनिवार सुबह बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी परिषद की शुरुआत दिल्ली में हुई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के चलते पिछले दिनों ये बैठक टल गई थी। बैठक का उद्घाटन करते हुए अमित शाह ने कहा कि पार्टा 2019 में स्पष्ट बहुमत के साथ जीत हासिल करेंगी और सीटों का आंकड़ा 2014 से ज्यादा होगा।
भारत माता और कमल मूलमंत्र
पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों और राज्य इकाइयों के अध्यक्षों की इस बैठक में अमित शाह ने कहा कि चुनावों में भारत माता और कमल मूलमंत्र रहेगा और साथ ही पार्टी 'अजेय बीजेपी' के नारे के साथ मैदान में उतरेगी। शाह ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत के लिए नेताओं से कड़ी मेहनत करने को कहा है। साथ ही तेलंगाना के विधानसभा चुनावों पर ज्यादा जोर देने के लिए कहा गया है। तेलंगाना में भी मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही चुनाव होने की संभावना है।
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योजनाओं के प्रचार पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को बैठक को संबोधित करेंगे। बीजेपी गरीबों के लिए अपनी योजनाओं, आर्थिक सफलताओं के अलावा सामाजिक न्याय के लिए उठाए गए केंद्र के कदमों को बड़े पैमाने पर लोगों के बीच ले जाने की तैयारी में है। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तक सीधा संदेश पहुंचने के लिए पार्टी ने बैठक के स्थान के रूप में अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र को चुना है।
SC/ST और NRC पर रणनीति
अमित शाह ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा है कि एससी/एसटी के मुद्दे पर देश में भ्रम पैदा करने का प्रयास किया गया है, लेकिन इससे 2019 के चुनावों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गुरुवार के "भारत बंद" के बाद पार्टी इस मामले में एक संतुलन बैठाने की कोशिश में हैं। अगड़ी जातियां जिस तरह से एससी/ एक्ट में सरकार द्वारा किए गए संशोधन का विरोध कर रही हैं उससे बीजेपी चिंतित है। वरिष्ठ नेता कालराज मिश्रा भी इस कानून पर पुनर्विचार की मांग कर चुके हैं। पार्टी किसी भी सूरत में अपने पारंपरिक वोट बैंक को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती है। पार्टी इस पर ठोस रणनीति बनाने में जुट गई है। इसके अलावा पार्टी के सूत्रों के मुताबिक बैठक में एनआरसी के मुद्दे पर देशव्यापी रणनीति बनाने पर भी चर्चा होगी।
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद जुलाई में अमित शाह को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके बाद जनवरी 2016 में उन्हें फिर तीन साल के लिए पार्टी अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद मोदी और शाह की जोड़ी के नेतृत्व में पार्टी ने पंजाब और कर्नाटक को छोड़कर जहां भी विधानसभा चुनाव हुए अपनी सरकार बनाई या सरकार में भागीदार बनी। साफ है कि इसी भरोसेमंद जोड़ी के साथ ही पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में ताल ठोकेगी।
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