भारत बॉयोटेक ने COVID-19 वैक्सीन ट्रायल के दौरान छिपाई जानकारी ? कंपनी ने जारी किया बयान
नई दिल्ली। मीडिया में आ रही एक रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 वैक्सीन निर्माण में जुटी भारत बायोटेक पर ट्रायल के दौरान जानकारी छिपाने का आरोप लगा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि अगस्त में कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल के दौरान एक प्रतिकूल घटना घटी थी जिसकी जानकारी कंपनी ने नहीं दी थी। हैदराबाद स्थित अग्रणी दवा निर्माता ने इस मामले में सफाई दी है।
भारत बायोटेक ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि अगस्त में फेस-1 ट्रायल के दौरान एक प्रतिकूल घटना घटी थी जिसे 24 घंटे के अंदर CDSCO-DCGI को रिपोर्ट किया गया था।
भारत बायोटेक और ICMR भारत में कोरोना वायरस को लेकर बन रही कोवैक्सीन पर काम कर रहे हैं। भारत बायोटेक को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CSDCO) से कोरोना वायरस वैक्सीन के फेस-3 ट्रायल के लिए मंजूरी मिल चुकी है।
कंपनी
से
स्वीकारी
घटना
वहीं
ऐसी
जानकारी
सामने
आई
थी
कि
अगस्त
में
फेज-1
ट्रायल
के
दौरान
एक
प्रतिकूल
घटना
घटी
थी
लेकिन
कंपनी
ने
इसे
छिपा
लिया
था।
जिस
पर
कंपनी
ने
अपनी
सफाई
देते
हुए
घटना
की
बात
स्वीकारी।
कंपनी
ने
कहा
कि
फेज-2
और
फेज-3
ट्रायल
से
पहले
इस
घटना
की
पूरी
तरह
से
जांच
की
गई
थी
और
यह
वैक्सीन
से
संबंधित
नहीं
थी।
भारत
बायोटेक
और
आईसीएमआर
वैक्सीन
को
लेकर
देश
के
21
संस्थानों
में
क्लिनिकल
ट्रायल
कर
रहे
हैं।
वैक्सीन
का
तीसरे
चरण
का
ट्रायल
अब
किया
जाना
है।
50%
लोगों
को
दी
जाएगी
डोज
तीसरे
चरण
के
ट्रायल
को
लेकर
भुवनेश्वर
स्थित
मेडिकल
संस्थान
में
कोवैक्सीन
के
मुख्य
जांचकर्ता
ई
वेंकट
राव
ने
बताया
कि
तीसरे
चरण
के
ट्रायल
में
अगर
हम
पाएंगे
कि
कोवैक्सीन
बीमारी
को
रोकने
में
प्रभावी
होती
है
तो
1000
वालंटियर
में
50
प्रतिशत
को
हम
कोवैक्सीन
की
डोज
देंगे
जबकि
बाकी
को
प्लेसबो
(सीमित
असर
वाली)
डोज
दी
जाएगी।
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