Aadhaar पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आपके काम की 10 बड़ी बातें
आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है।
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नई दिल्ली। आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। जरूरी सेवाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने के फैसले को चुनौती देने वाली गोपाल सुब्रमण्यम का याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने आधार को पूरी तरह वैध ठहराया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार के डेटा सिक्योरिटी के लिए सरकार कानून बनाए। इसके अलावा कई सेवाओं के लिए आधार की अनिवार्यता को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया। आइए जानिए आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें।
आधार में डुप्लीकेसी की आशंका नहीं
1:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'आधार कार्ड पूरी तरह वैध है। आधार देश के गरीबों की ताकत का जरिया बना है। इसमें डुप्लीकेसी की आशंका नहीं है इसलिए इसे खारिज करने की जरूरत नहीं। आधार का होना आपको अलग बनाता है।'
2:- अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'सरकार के लिए किसी भी शख्स की निजता की सुरक्षा करना जरूरी है, इसके यह भी आवश्यक है कि उसकी कम से कम जानकारी मांगी ही जाए। UIDAI नंबर यूनिक है और इसका इस्तेमाल किसी अन्य व्यक्ति के लिए नहीं किया जा सकता है। जितनी जल्द हो सके सरकार इसके लिए मजबूत डेटा संरक्षण कानून लाए।'
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UGC, CBSE और NEET के लिए अनिवार्य नहीं
4:- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार UGC, CBSE और NEET परीक्षाओं के लिए अनिवार्य नहीं होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बायोमैट्रिक डेटा बिना अदालत की मंजूरी के किसी एजेंसी को नहीं दिया जाना चाहिए।
5:- सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि स्कूल किसी और डॉक्यूमेंट के आधार पर बच्चों को एडमिशन दें। साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि बच्चों के पास आधार नहीं होने से उन्हें सुविधाओं से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।
6:- अपने फैसल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक खाते खोलने या पुराने खातों से लिंक करने के लिए आधार जरूरी नहीं होगा। सरकर यह सुनिश्चित करे कि घुसपैठियों का आधार कार्ड ना बन पाए।
कौन-2 नहीं मांग सकता आपसे आधार
6:- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सेक्शन 57 को खारिज किया। इसका मतलब है कि किसी भी प्राइवेट कंपनी, शिक्षण संस्थान, बैंक, परीक्षा एजेंसियों, और मोबाइल कंपनियों की तरफ से आधार नंबर नहीं मांगा जाना चाहिए।
7:- अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार ऑथेंटिकेशन रिकॉर्ड तो छह महीने से अधिक तक नहीं रखा जाना चाहिए।
8:- जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि आधार एक्ट को किसी मनी बिल के तौर पर पास नहीं किया जा सकता है।
मनी बिल के तौर पर पास नहीं कर सकते
9:- मनी बिल के तौर पर आधार एक्ट को पास कराने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, आधार को मनी बिल के तौर पर पास नहीं कराया जा सकता। मनी बिल के दायरे में नहीं आने वाले किसी बिल को अगर मनी बिल के तौर पर पास कराया जाता है तो यह फ्रॉड है।
10:- जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि आधार प्राइवेसी और डेटा प्रोटेक्शन के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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