5 देश, जहां नोटबंदी साबित हुई घातक, तानाशाहों तक को मांगनी पड़ी थी माफी
पांच ऐसे देश जहां विमुद्रीकरण के चलते ना सिर्फ देश बल्कि सरकार को भी हुआ था बड़ा नुकसान, पीएम मोदी के लिए यह देश हो सकते हैं काफी अहम
नई दिल्ली। जिस तरह से 8 नवंबर को रात में एकाकएक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के नोट पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया उससे हर तरफ खलबली मच गई। पीएम की एक घोषणा के बाद 86 फीसदी नोट एक साथ व्यवस्था से बाहर हो गए, जिसके बाद करोड़ो लोगो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
2000
का
नया
नोट
बिक
रहा
है
डेढ़
लाख
में,
10
रुपए
नोट
की
कीमत
2
करोड़
रुपए
यह
पहली
बार
नहीं
है
जब
देश
में
मुद्रा
सुधार
के
चलते
लोगों
को
काफी
मुश्किलों
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
एक
तरफ
जहां
सरकार
इसे
भ्रष्टाचार
और
कालेधन
के
खिलाफ
बड़ा
कदम
बता
रही
है
तो
दूसरी
तरफ
विपक्ष
इस
फैसले
की
जमकर
आलोचना
कर
रहा
है।
4500
से
घटकर
2000,
सरकार
ने
किये
आज
ये
5
बड़े
ऐलान
भारत
से
पहले
भी
कई
अन्य
देशों
में
बड़े
नोटों
पर
प्रतिबंध
लगाया
गया
था,
जोकि
बुरी
तरह
से
विफल
हुआ
था।
आइए
डालते
हैं
उन
देशों
पर
नजर
जहां
विमुद्रीकरण
विफल
हो
गया
था।
सोवियत यूनियन
1991 में मिखैल गोर्बाचेव ने बड़े नोटों को काले धन से निपटने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। सरकार ने कहा था कि 50-100 के रबल नोट को प्रतिबंधित किया जा रहा है जिसके बाद एक तिहाई नोट का इस्तेमाल अवैध करार कर दिया गया था। लेकिन यह फैसला मंदी को रोकने में पूरी तरह से विफल रहा।
उत्तर कोरिया
2010 में उत्तर कोरिया की किम जोंग-2 की सरकार ने भी बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था। जोंग सरकार ने भी यह फैसला कालेधन से निपटने के लिए लिया था। जिसके बाद देश में खाद्यान की भारी कमी आ गई थी। इस फैसले के बाद चावल के दाम काफी बढ़ गए थे जिसके बाद किम जोंग को देश की जनता से मांफी तक मांगनी पड़ी थी।
जायर
जायर के तानाशाह मोबूतू सेसे सीको ने 1990 में बैंकनोट में सुधार के लिए बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था। सीको ने पुराने नोटों को वापस ले लिया था, जिसके बाद 1993 में महंगाई दर काफी बढ़ गई थी, यही नहीं मुद्रा का एक्सचेंज रेट डॉलर की तुलना में काफी गिर गया था। सिविल वार के बाद 1997 में मोबूतू सरकार को बेदखल होना पड़ा था।
म्यांमार
1982 में घाना में 50 सेडी के नोट प्रतिबंधित किए जाने का फैसला लिया गया था। इस फैसले के बाद भी लोगों के भीतर बैंक के प्रति भरोसा बढ़ा था। लेकिन इस फैसले के बाद ग्रामीणों को रुपए को बदलने के लिए मीलों दूर बैंक तक जाना पड़ा। यही नहीं जबतक वह बैंक पहुंचे बड़ी संख्या में नोटों के बंडल बेकार हो चुके थे।
नाइजीरिया
1984 में मुहम्मदू बुहारी की सैन्य सरकार ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए नए बैंक नोट जारी किए थे, ये नोट नए रंग के थे और इसे पुराने नोट से बदलने के लिए निश्चित समय सीमा दी गई थी। इस फैसले के चलते देश की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गई। हालांकि बुहारी उस वक्त सरकार से बाहर हो गए थे लेकिन एक बार फिर से वह सत्ता में वापस आ गए हैं।