सिख दंगों के मामले में दोषी सज्जन कुमार को राहत नहीं, बेल पर अब सुप्रीम कोर्ट जुलाई में करेगा विचार
नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। अब सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत याचिका पर जुलाई में विचार करेगा। इससे पहले 14 फरवरी को अंतरिम जमानत याचिका खारिज हो गई थी। सज्जन कुमार 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में जेल में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2018 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सज्जन कुमार दिल्ली से लोकसभा सांसद रह चुके हैं।
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पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिख विरोधी दंगे के एक मामले में निचली कोर्ट के आदेश को पलटते हुए कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने सज्जन कुमार पर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया था। उन पर हत्या, साजिश रचने, दंगा भड़काने और भड़काऊ बयानबाजी करने का आरोप लगा था। ये सभी आरोप हाईकोर्ट ने मानते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
यह मामला 1984 में दिल्ली की पालम कॉलोनी के राजनगर पार्ट-1 में पांच सिखों की हत्या और राजनगर पार्ट-2 में गुरुद्वारा फूंकने से जुड़ा है। निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सज्जन समेत 6 लोगों को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। अदालत ने सज्जन के अलावा कांग्रेस के पूर्व पार्षद बलवान खोखर, रिटायर्ड नौसेना अधिकारी कैप्टन भागमल और गिरधारी लाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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