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कोरोना ने बदल दी बिहार के इस अस्पताल की किस्मत

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 18 नवंबर। पिछले साल भारत में जब कोरोना की पहली लहर कहर बरपा रही थी, तो बिहार के भागलपुर का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल टूटती व्यवस्था के बोझ से चरमरा रहा था. देश के अन्य कई अस्पतालों की तरह इस अस्पताल में भी सुविधाओं के नाम पर कुछ उपलब्ध नहीं था.

वॉर्ड और आईसीयू मरीजों और उनके रिश्तेदारों से भरे पड़े थे. पुलिसकर्मी हथियार लेकर डॉक्टरों की सुरक्षा कर रहे थे कि कहीं हिंसा ना हो जाए. आठ सौ बिस्तर वाला यह अस्पताल कई लाख लोगों के लिए एकमात्र उम्मीद था, जिसका टूटना तय था.

उलटा हुआ असर

उस महामारी में फैली अव्यवस्था ने भागलपुर के इस अस्पताल के दिन पलट गए. उस वक्त सामने आई समस्याओं की ओर प्रशासन की नजर गई तो उन्हें हल करने पर ध्यान दिया गया. अब अस्पताल के पास अपने ऑक्सीजन जेनरेटर हैं, दर्जनों नई नर्सें भर्ती की गई हैं, आईसीयू में बिस्तरों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है और सैकड़ों अस्पतालों को पाइप के जरिए सीधे ऑक्सीजन उपलब्ध हो गई है. ये सब चीजें कई साल में पहली बार अस्पताल तक पहुंच पाई हैं.

अस्पताल के अधिकारी कहते हैं कि पपड़ी बनकर झड़ चुका गुलाबी पेंट भी जल्दी ही हटा दिया जाएगा और दीवारों को नया रंग दे दिया जाएगा. 2,00 बिस्तर वाला नया अस्पताल जो कई साल पहले बनना शुरू हुआ था, अब तेजी से बनाया जा रहा है और अगले साल तक खत्म भी किया जा सकता है.

अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट असीम कुमार दास कहते हैं, "हमारे लिए तो कोविड वरदान साबित हुआ. हालांकि इसने मानवता को नष्ट किया, बहुत दर्द दिया, लेकिन हमारे अस्पताल को इसने बहुत बड़े बदलाव दिए हैं."

दास बताते हैं कि सरकार के साथ मुख्य भवन में दो सौ अतिरिक्त बिस्तर जोड़ने पर बातचीत जारी है और साथ ही नए कर्मचारियों की भर्ती पर भी विचार हो रहा है क्योंकि पहले डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की भारी किल्लत थी.

पूरे देश में सुधरी हालत

सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि अब देश के अन्य हिस्सों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है. कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत ऑक्सीजन की हुई. तमाम अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं थी जिस कारण बहुत से लोगों की जानें गईं.

अब केंद्र और राज्य सरकारों को देश के लगभग सभी जिलों में स्थित अस्पतालों को कम से कम एक ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए धन दिया गया है. कुछ महीनों के भीतर ही करीब चार हजार अस्पतालों में प्लांट शुरू हो चुके हैं. साथ ही सरकार ने कई नए अस्पताल बनाने व मौजूदा अस्पतालों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का वादा भी किया है.

नौ अरब डॉलर की योजना है कि आने वाले कुछ साल में अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को दोगुना किया जाएगा. अब हर एक हजार लोगों पर दो बिस्तर उपलब्ध कराने की योजना है.

बहुत से राज्य अपने स्वास्थ्य खर्च को दोगुना करने पर विचार कर रहे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि 2024-25 तक स्वास्थ्य पर खर्च को जीडीपी 2.5 प्रतिशत किए जाने की योजना है. फिलहाल यह 1.2 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे कम खर्च वाले देशों में आता है.

वीके/एए (रॉयटर्स)

Source: DW

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English summary
how covid 19 became a boon for a battered indian hospital
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