पेपर लीक: हिमाचल में पुलिस आरक्षी भर्ती की लिखित परीक्षा रद्द, कांग्रेस विधायक ने की सीबीआई जांच की मांग
शिमला, 6 मई। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने मीडिया के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में 27 मार्च, 2022 को हिमाचल प्रदेश पुलिस आरक्षी की भर्ती के लिए सभी जिलों में आयोजित हुई लिखित परीक्षा को कुछ शंकाओं के कारण रद्द कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जिला कांगड़ा के गग्गल पुलिस थाना में आईपीसी की धारा-420 और 120-बी के अन्तर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल रेंज मण्डी के पुलिस उप-महानिरीक्षक मधु सूदन की अध्यक्षता में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर पूरे मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रथम आईआर वाहिनी के कमांडेंट विमुक्त रंजन, साइबर क्राइम के पुलिस अधीक्षक रोहित मालपानी, कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक कुशाल चन्द शर्मा और क्राइम के पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र कालिया एसआईटी टीम के सदस्य हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दस्तावेजों के मूल्यांकन की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोक दी गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आरक्षी की भर्ती के लिए अगली लिखित परीक्षा इस माह के अन्त में आयोजित की जाएगी ताकि अभ्यार्थियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। पेपर लीक करने वाले आरोपी हरियाणा और दिल्ली से हैं। चार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
गिरफ्तार
किए
गए
आरोपी
1
मुनीष
कुमार
पुत्र
अशोक
कुमार
निवासी
देव
भराड़ी,
डाकघर
सुल्याली,
तहसील
नूरपुर,
ज़िला
कांगड़ा।
2
मनी
चौधरी
पुत्र
बीरवल
सिंह
निवासी
गांव
व
डाकघर
खटियाड़,
तहसील
फतेहपुर,
जिला
कांगड़ा।
3
गौरव
पुत्र
विजय
कुमार
गांव
व
डाकघर
भडियाड़ा,
तहसील
व
जिला
कांगड़ा।
4
अशोक
कुमार
पुत्र
हरि
सिंह
गांव
व
डाकघर
पास्सू,
तहसील
धर्मशाला,
जिला
कांगड़ा।
हिमाचल प्रदेश पुलिस कांस्टेबलों के 1334 पदों के लिए 27 मार्च को भर्ती परीक्षा हुई थी। इनमें 932 पुरुष, 311 महिला कांस्टेबल, 91 पुरुष कांस्टेबल बतौर चालक पदों के लिए 5 अप्रैल 2022 को परिणाम घोषित हुआ। पहले चरण में लिखित परीक्षा का आयोजन प्रदेश में निर्धारित 81 केंद्रों पर किया गया था। लिखित परीक्षा में कांस्टेबल पुरुष के पदों के लिए 60 हजार से अधिक और कांस्टेबल महिला पदों के लिए 14 हजार से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे। 5 अप्रैल को लिखित परीक्षा का परिणाम निकलने के बाद पास हुए अभ्यर्थियों को पुलिस ने दस्तावेजों की जांच के लिए प्रदेशभर में बुलाया। इसके बाद नियुक्ति होनी थी। दस्तावेजों की जांच के दौरान एसपी कांगड़ा खुशहाल चंद शर्मा को तीन युवाओं पर शक हुआ। तीनों युवाओं के 90 में से 70 अंक थे। लेकिन दसवीं की कक्षा में उनके अंक 50 फीसदी भी नहीं थे। एसपी ने तीनों युवाओं से अलग-अलग कड़ी पूछताछ की। पुलिस पूछताछ में तीनों युवा फंस गए और उन्होंने माना कि लिखित परीक्षा से पहले ही 6 से 8 लाख रुपये देकर उन्हें टाइप्ड प्रश्नों के उत्तर मिल गए थे। उन्हें उत्तर रटने को कहा गया था।
कांग्रेस के विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पुलिस कांस्टेबल भर्ती का पेपर लीक होने के मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए। प्रदेश के 74 हजार बेरोजगार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकार की शह पर पुलिस भर्ती का पेपर लीक किया गया है। अगर सरकार वर्ष 2020 में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच तत्काल करवाती तो आज पुलिस भर्ती का पेपर लीक होने का मामला न होता। पुलिस भर्ती के लिए प्रदेश के युवा कड़ी मेहनत करते हैं और ऐसे में उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हर विभाग में भर्ती में गड़बड़ी हो रही है। मुख्यमंत्री के कार्यालय में बैठे अफसरों के परिजनों को नौकरियां दी जा रही हैं।
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