Himachal Election 2022 : जिस सीट पर नड्डा हारे थे चुनाव वहां कैसी है भाजपा की स्थिति ?
Himachal Election 2022, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (जयप्रकाश नड्डा) 2010 तक हिमाचल प्रदेश की राजनीति तक सीमित थे। वे विधायक रहे। राज्य सरकार में मंत्री रहे। भारतीय जनता युवा मोर्चा के जरिये वे भाजपा की राजनीति में आये। 2012 में राज्यसभा के सदस्य बने। 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर केन्द्र में मंत्री बने। 2020 में वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इस मुकाम तक पहुंचने के पहले जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर सदर सीट से विधायक चुने जाते थे। इस सीट से वे 1993, 1998 और 2007 में विधायक चुने गये थे। 2003 का चुनाव वे हार गये थे। तब बिलासपुर से कांग्रेस के तिलकराज विधायक बने थे। 2022 में बिलासपुर सदर सीट से भाजपा के सीटिंग विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट दिया गया है। भाजपा के एक अन्य नेता सुभाष शर्मा यहां से टिकट के दावेदार थे। जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे बागी हो गये। नड्डा की इस सीट पर भाजपा फिलहाल अपनों का ही विरोध झेल रही है।
नड्डा की सीट पर इस बार कैसी स्थिति ?
हिमाचल प्रदेश का बिलासपुर एक हॉट सीट होने के अलावा अन्य कारणों से भी प्रसिद्ध है। यहां नैना देवी जी का प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिर है जो पहाड़ की एक चोटी पर बना है। विश्व प्रसिद्ध भाखड़ा बांध भी यही हैं। जेपी नड्डा के भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद अब विलासपुर विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं। भाजपा ने इस बार यहां से सीटिंग विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट कर त्रिलोक जम्बवाल को उम्मीदवार बनाया है। विधायक सुभाष ठाकुर टिकट कटने से नाराज हैं। उन्होंने खुद को चुनावी गतिविधियों से अलग रखा है। वे नये प्रत्याशी का चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं। इस सीट पर भाजपा के एक और नेता सुभाष शर्मा बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इसके चलते भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ता गुटों में बंट गये हैं। गुटबाजी और आंतरिक विरोध के कारण नड्डा की इस सीट पर भाजपा मुश्किल में फंसी हुई है।
2012 में बिलासपुर सीट जीत चुकी है कांग्रेस
2012 के चुनाव में बिलासपुर सदर सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी। तब कांग्रेस के बम्बर ठाकुर ने भाजपा के सुरेश चंदेल को करीब चार हजार वोटों से हराया था। 2017 में बम्बर ठाकुर भाजपा के सुभाष ठाकुर से हार गये थे। 2022 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर बम्बर ठाकुर को मैदान में उतारा है। यानी कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी पर ही भरोसा जाताया है। जब कि भाजपा ने अपने विधायक को बेटिकट कर दिया है। कांग्रेस के लिए राहत की बात ये है कि इस सीट उसे विक्षुब्ध नेता का विरोध नहीं झेलना पड़ा रहा है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़े थे लेकिन पार्टी ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना लिया। प्रियंका गांधी के लगातार चुनावी दौरे से कांग्रेस के लिए एक माहौल बना है। भाजपा में व्याप्त गुटबाजी को देख कर कांग्रेस इस बार अपने लिए एक मौका मान रही है।
बिलासपुर सीट नड्डा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न
2003 के विधानसभा चुनाव में जेपी नड्डा इस सीट पर चुनाव हार गये थे। उन्हें कांग्रेस के तिलक राज शर्मा ने करीब ढाई हजार वोटों से हराया था। भाजपा के लिए यह बहुत बड़ा झटका था। नड्डा भले ही राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित हो गये हैं लेकिन उनकी नजर हमेशा इस सीट पर रहती है। वे बिलासपुर को अपने राजनीतिक कद से जोड़ कर देखते हैं। 2017 में भाजपा को इस सीट जीत मिली थी। 2022 के चुनाव में भी इस सीट को बरकरार रखने के लिए नड्डा ने पूरा जोर लगाया हुआ है। नड्डा की इस जिम्मेदारी को उनके पुत्र हरीश ने उठा रखा है। वे पिछले पांच साल से यहां सक्रिय हैं। लगातार जनसम्पर्क से उन्होंने आम लोगों को बीच अपनी पैठ बनायी है। माना जा रहा था कि इस बार हरीश को ही बिलासपुर से टिकट मिलेगा। लेकिन भाजपा ने इस सीट पर नये चेहरे को उतार कर जनता के बीच अपनी छवि बनाने की कोशिश की है। अब यह सीट जेपी नड्डा और उनके पुत्र हरीश के लिए नाक की लड़ाई बन गयी है। वे इस सीट पर भाजपा को जीत दिला कर शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
6 बार भाजपा और 5 बार कांग्रेस
इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होते रहा है। भाजपा छह बार जीती है तो कांग्रेस पांच बार। इस सीट पर आम आदमी पार्टी ने अमर सिंह को उम्मीदवार बनाया है। हिमाचल, पंजाब का पड़ोसी प्रांत है। इस अरविंद केजरीवाल हिमाचल में भी अपनी पार्टी के लिए संभावना तलाश रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी है। आप के आने से मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है।
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