हिमाचल: CM वीरभद्र सिंह ने शिमला का मोह छोड़ अर्की से ठोकी ताल
शिमला। आखिर कोटखाई गैंगरेप कांड के बाद ठियोग में सरकार के खिलाफ भड़के जनआक्रोश से डरे सीएम वीरभद्र सिंह सोलन जिला की अर्की विधानसभा में पलायन कर ही गए। वीरभद्र सिंह ने अपनी शिमला ग्रामीण सीट से बेटे को चुनाव लड़ाने की इच्छा के चलते ही ठियोग से लड़ने का फैसला लिया था। इसके लिये ठियोग की मौजूदा विधायक विद्या स्टोक्स ने भी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया था। ताकि वीरभद्र सिंह चुनाव लड़ सकें लेकिन शुक्रवार को हालात बदले और वीरभद्र सिंह अपने लाव लशकर के साथ सोलन जिला के अर्की पहुंचे जहां उन्होंने एसडीएम आफिस में अर्की विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन भरा।
बताया जा रहा है कि वीरभद्र सिंह ने पहले ठियोग से ही लड़ने का फैसला लिया था लेकिन उन्हें जो फीडबैक मिला वह अनूकूल नहीं था। दरअसल इस बार यहां से भाजपा के राकेश वर्मा के साथ ही माकपा नेता राकेश सिंघा भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। वहीं कोटखाई गैंगरेप कांड का जिन्न भी वीरभद्र सिंह की पीछा कर रहा है। जिससे हालात ऐसे थे कि वीरभद्र सिंह ठियोग से बड़े अंतर के साथ शायद ही जीत पाते या फिर जीत हार के चक्कर में अपने ही चुनाव क्षेत्र में फंसकर रह जाते। लिहाजा वीरभद्र सिंह ने अपना चुनाव क्षेत्र ही बदलना बेहतर समझा।
इसी के चलते शुक्रवार को सोलन जिला के अर्की विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपना नामांकन पत्र भर दिया। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी और पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह भी मौजूद रही। उन्होंने एसडीएम कार्यालय अर्की में 12 बजे के करीब नामांकन भरा। वीरभद्र सैकड़ों समर्थकों सहित कार्यालय पहुंचे और बाद में यहां जनसभा को भी संबोधित किया।
इस बीच वीरभद्र सिंह ने दावा किया है कि विक्रमादित्य सिंह भी चुनाव लड़ेंगे। उनके चुनाव लड़ने को हाईकमान ने अनुमति भी दे दी है। उनका नाम शिमला ग्रामीण से फाइनल है। उन्होंने कहा कि तकनीकी कमियों के चलते उनका नाम घोषित नहीं हुआ था। अब हाईकमान ने उनका नाम घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह टिकट आवंटन से पूरी तरफ से संतुष्ट है और प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से सरकार बनाएगी। वहीं वीरभद्र ने अर्की सीट से चुनाव लड़ने की वजह भी बताई है। उन्होंने कहा कि वह इसलिए यहां से लड़ रहे हैं क्योंकि यहां से कांग्रेस कभी जीत हासिल नहीं कर पाई है।
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