दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिया झटका
दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे मामले जिसमें उन्होंने अदालत से ईडी की तरफ से दर्ज मनी लांड्रिंग केस को रद्द करने की मांग की थी, में साफ कर दिया है कि उनके खिलाफ दायर मामले को रद्द नहीं किया जाएगा
शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे मामले जिसमें उन्होंने अदालत से ईडी की तरफ से दर्ज मनी लांड्रिंग केस को रद्द करने की मांग की थी, में साफ कर दिया है कि उनके खिलाफ दायर मामले को रद्द नहीं किया जायेगा।
कभी इमानदार नेताओं में होती थी गिनती
वीरभद्र सिंह के लिये यह मामला मुसीबत ही लेकर आया है। इस मामले की वजह से जहां वो विपक्षी दलों के निशाने पर हैं वहीं पार्टी में भी उनकी पूछ घटती जा रहा है। एक तरह से वीरभद्र सिंह अलग थलग पड़ते जा रहे हैं। यह वहीं वीरभद्र सिंह हैं जिनकी ईमानदार छवि के चर्चे 90 के दशक से पहले पूरे हिमाचल में थे। लेकिन आज हालात बदल गये हैं और उन्हें भ्रष्ट करार दिया जा रहा है। इस मामले में उनकी धर्मपत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह, बेटे और हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह सहित उनकी विवाहिता बेटी अपराजिता सिंह भी जांच का सामना कर रहे हैं।
ऐसे फंसे वीरभद्र सिंह
बता दें कि वीरभद्र सिंह यूपीए-टू सरकार में इस्पात मंत्री थे। इसी दौरान वीरभद्र सिंह पर इस्पात कंपनियों से कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप लगे। एक डायरी में दर्ज एंट्री के अनुसार वीरभद्र सिंह को रिश्वत दी गई। चूंकि डायरी में जिस कंपनी का नाम था, उसकी तरफ से कोई शिकायत नहीं थी, लिहाजा मामला बंद हो गया। बाद में वीरभद्र सिंह ने अपनी आयकर रिटर्न संशोधित की तो मामला फिर से खुला। आयकर रिटर्न में भारी गड़बड़ी थी। ये सारे घटनाक्रम यूपीए-टू के कार्यकाल के दौरान थे।
आयकर रिटर्न संशोधित करने पर फंसे सीएम
सीबीआई की जांच में पाया गया कि वीरभद्र सिंह ने साढ़े 6 करोड़ रुपए आय से अधिक अर्जित किए हैं। इस रकम को वीरभद्र सिंह ने अपने बिजनेस केयर टेकर आनंद चौहान के जरिए अपने परिजनों की बीमा पॉलिसियों में निवेश किया। कुछ पालिसियां तो एक करोड़ रुपए की थीं। आनंद चौहान ईडी की गिरफ्त में आ गए। वे न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई का दावा है कि वीरभद्र सिंह ने आय से अधिक अर्जित धन को कृषि आय के तौर पर दिखाया है। इसे सेब बागीचों से हुई आय बताया गया है, लेकिन तथ्य इससे मेल नहीं खाते। इसी धन को वैध दिखाने के लिए वीरभद्र सिंह ने आयकर रिटर्न को संशोधित किया था।
पत्नी, पुत्र व बेटी से ईडी कर चुका है पूछताछ
मनी लांड्रिंग केस में ईडी वीरभद्र सिंह के अलावा उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह, पुत्र विक्रमादित्य सिंह व पुत्री अपराजिता सिंह से पूछताछ कर चुका है। खुद वीरभद्र सिंह सीबीआई जांच में भी शामिल हुए हैं। सीबीआई ने उनके खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की है। वीरभद्र सिंह अदालत से सशर्त जमानत पर चल रहे हैं। वीरभद्र सिंह इस मामले को राजनीतिक साजिश करार देते हैं और कहते हैं कि ये उनके खिलाफ केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की साजिश है। वीरभद्र का आरोप है कि प्रेम कुमार धूमल व अनुराग ठाकुर के कहने पर जेटली उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि ये मामले यूपीए सरकार के समय से चल रहे हैं और भाजपा का इसमें कोई हाथ नहीं है।
वीरभद्र सिंह का केस लड़ रही नामी वकीलों की फौज
वीरभद्र सिंह को आय से अधिक संपत्ति मामले न केवल पार्टी हाईकमान का साथ मिला, बल्कि उनका केस लडऩे के लिए नामी वकीलों की फौज भी सामने आई। उनके केस की पैरवी पी. चिदंबरम से लेकर कपिल सिब्बल जैसे वकील कर रहे हैं। इससे पहले राम जेठमलानी की मदद भी ली गई। वीरभद्र सिंह के खिलाफ ये मामले इस तरह से उलझे हैं कि आम लोग यही नहीं समझ पाते कि आय से अधिक संपत्ति मामला क्या है, मनी लॉन्ड्रिंग केस कैसे बना, आयकर रिटर्न संशोधन मामला क्या है और आयकर असेस्टमेंट मामला ट्रिब्यूनल में क्यों गया है। ऐसे में ये सारे मामले वीरभद्र सिंह के गले की फंास बन गये हैं। कारण ये है कि खुद सीएम व उनके परिजन सभी जांच के घेरे में हैं।