हरियाणा का फौजी आतंकियों से लड़ते हुए शहीद, 1 दिन पहले ही पत्नी को घर छोड़ कश्मीर गया था
हिसार। हरियाणा में हिसार जिले के गांव खरकड़ी के रहने वाले सैनिक सुरेंद्र कालीरामण की अंतिम यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ा। सुरेंद्र कालीरामण जम्मू-कश्मीर के उड़ी सेक्टर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए थे। देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज किया, जिसमें भारी गोलीबारी हुई। इसी दौरान आतंकियों की गोली सुरेंद्र कालीरामण को लगीं। सुरेंद्र कालीरामण की शहादत के बाद सैन्य-वाहन उनके पार्थिव शरीर को हिसार के गांव खरकड़ी लाए।
गांव खरकड़ी पहुंचने पर सेना के काफिले के साथ ही बड़ी तादाद में लोग जुटे। लोगों ने शहीद कालीरामण को तिरंगा यात्रा निकालकर श्रद्धांजलि दी। वहीं, कालीरामण को तिरंगे में लिपटा देखकर उनके बड़ा भाई विजेंद्र और पिता बलबीर सिंह फफक पड़े कालीरामण की पत्नी प्रीति का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। वह राेती-बिलखते बेसुध हो गईं। पति के गम में डूबी पत्नी प्रीति ने कहा, 'हमने छुट्टी के इतने दिन साथ बिताए। मुझे क्या मालूम था कि ड्यूटी पर जाते ही यह खबर आएगी।' इसी तरह परिवार की अन्य महिलाएं कालीरामण को याद करते रो रही थीं।
देखने वालों की भीड़ खरकड़ी में जुटी
सेना के जवानों ने गांव के लोगों की मौजूदगी में गांव के खेल स्टेडियम में ही शहीद राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। एक बुजुर्ग ने बताया कि, सुरेंद्र कालीरामण का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह 9:30 बजे आर्मी की एंबुलेंस से हिसार के गांव खरकड़ी लाया गया था। वहीं से युवाओं ने तिरंगा यात्रा निकाली। इस दौरान शहीद सुरेंद्र कालीरामण को देखने वालों की भीड़ खरकड़ी में जुटी।
8 अगस्त को ही ज्वॉइन की थी ड्यूटी
सूबेदार सुरेंद्र ने बताया कि, सुरेंद्र कालीरामण ने विगत 8 अगस्त को ही ड्यूटी ज्वाॅइन की थी। इसी दिन भारतीय सेना ने आतंकवादियों खिलाफ सर्च ऑपरेशन लाॅन्च किया। आतंकियों से मुठभेड़ से पहले सुरेंद्र ने कहा था कि, वे देश की रक्षा में जान की बाजी लगा देंगे। जब मुठभेड़ हुई तो सुरेंद्र को 3:43 बजे गोली लगीं। उस वक्त हम पोस्ट पर थे, तो पता लगा। उसके बाद तत्काल सुरेंद्र को अस्पताल ले गए। हालांकि, 4:33 पर उसने दम तोड़ दिया। सूबेदार ने यह भी बताया कि, सुरेंद्र कालीरामण ने 4 अगस्त को ज्वॉइन को लेकर दिल्ली में रिपोर्ट दी थी।
18 साल की उम्र में हुए थे सेना में भर्ती
सुरेंद्र कालीरामण के पिता बलबीर सिंह आंसू पोंछते हुए बोले कि, सुरेंद्र उस वक्त 12 साल का था, जब उसकी मां का निधन हो गया था। बेटे ने फिर यही सपना देखा कि वो फौजी बनकर भारत की मां की सेवा करेगा। इसलिए वह 18 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गया। 8 महीने पहले सुरेंद्र की शादी जींद के गांव खटकड़ की प्रीति से हुई, लेकिन बहू के हाथों की मेहंदी भी न उड़ी थी कि उसकी मांग का सिंदूर उजड़ गया।