Gujarat Election 2022: बापू की जन्मभूमि पोरबंदर, किस हाल में है कांग्रेस ?
Porbandar Seat: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022, मतदान की तारीख 1 दिसम्बर। पोरबंदर भारत का वह राजनीतिक तीर्थस्थल है जहां महात्मा गांधी का जन्म हुआ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रणेता महात्मा गांधी एक बार (1924) कांग्रेस का अध्यक्ष भी बने थे। वे कांग्रेस के प्रेरणाश्रोत थे और आज भी हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस ऐतिहासिक सीट पर चुनावी माहौल क्या है, यह जानना दिलचस्प होगा। भाजपा ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक बाबूभाई भीमाबाई बोखिरिया को फिर मौका दिया है। कांग्रेस ने भी अपने पुराने नेता और पूर्व विधायक अर्जुन मोडवाडिया को मैदान में उतारा है। आम आदिमी पार्टी ने यहां से जीवन जुंगी को उम्मीदवार बनाया है।
बापू की जन्मभूमि पर खिला कमल
कांग्रेस के लिए पोरबंदर का ऐतिहासिक महत्व है। हालांकि अब भाजपा भी गांधी जी के आदर्शों पर चलने की बात करती है।1960 में गुजरात नया राज्य बना तो 1962 में यहां विधानसभा के चुनाव हुए। शुरू के तीन चुनाव में कांग्रेस ने पोरबंदर सीट पर कब्जा जमाया। लेकिन 1975 के चुनाव में तस्वीर बदल गयी। जनसंघ के वासनजी खेराज ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। पोरबंदर गांधी जी की अनमोल विरासत को कायम नहीं रख पाया। 1980 और 1985 में कांग्रेस फिर जीती। लेकिन 1990 में जनता दल के शशिकांत लखानी ने कांग्रेस को हरा दिया। 1995 और 1998 में भाजपा के बाबूभाई बोखिरिया को जीत मिली। 2002 और 2007 में कांग्रेस के अर्जुन मोडवाडिया विधायक चुने गये। लेकिन इसके बाद पिछले दो चुनाव से भाजपा के बाबूभाई बोखिरिया बोरबंदर के विधायक हैं। 2022 के चुनाव में भाजपा कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में है।
गुजरात के गौरव पर वक्त की धूल
पोरबंदर गुजरात के दक्षिण में है और यह समुद्रतटीय शहर है। जिस घर में महात्मा गांधी का जन्म हुआ अब वह राष्ट्रीय स्मारक है जिसे कीर्ति मंदिर के नाम से जाना जाता है। कीर्ति मंदिर पुराने भाटिया बाजार के कस्तूरबा मार्ग पर अवस्थित है। अब यह इलाका भीड़भाड़ वाला हो गया है। रोज सैकड़ों लोग बापू की जन्मस्थली के दर्शन के लिए आते हैं। महात्मा गांधी के इस पुश्तैनी घर से समुद्रतट (अरब सागर) केवल 550 मीटर दूर है। इतना ही नहीं पोरबंदर सुदामा जी की भी जन्मस्थली है। यहां के कृष्ण-सुदमा मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा की एक साथ पूजा होती है। पोरबंदर के इस गौरवपूर्ण पहचान अब काई कारणों से वक्त की धूल जमने लगी है। समुद्रतटीय इलाका होने के कारण पोरबंदर में तस्करों के गैंग सक्रिय हो गये। इसकी वजह से गैंगवार होते रहते थे। राजनीति भी जाति और सम्प्रदाय में बंट गयी है। बाबूबाई बोखिरिया और अर्जुन माडवाडिया मेर (क्षत्रिय) समुदाय से हैं। पिछले चुनाव में बोखिरिया केवल 1855 वोटों के मामूली अंतर से ही जीत पाये थे। यहां के चुनाव में मेर, मछुआरा, ब्राह्मण और कोली मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
पोरबंद में जाति की राजनीति
समुद्रतटीय इलाका होने के कारण यहां मछुआरा समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। पोरबंदर का यह दूसरा सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है। गुजरात भारत का एक प्रमुख मछली उत्पाद राज्य है। देश के कुल मछली उत्पादन में गुजरात का योगदान 20 फीसदी है। गुजरात में मछली व्यवसाय से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। मछुआरा समुदाय में कई जाति समूह शामिल हैं जिसमें खारवास, मोहिला कोली, माछी, वाघेर, गोहेल, सेलर आदि प्रमुख हैं। ये जातियां चुनाव में बहुत अहमियत रखती हैं। 2017 के चुनाव में बसपा के आनंदभाई मारू को 4337 वोट मिले थे। माना जाता है कि आनंदभाई को मछुआरा और दलित वोटरों समर्थन मिला था। इतने वोट कटने से कांग्रेस के अर्जुन मोडवाडिया चुनाव हार गये थे। वे केवल 1855 वोटों से हारे थे जब कि आनंदभाई को चार हजार से अधिक वोट मिले थे। इस तरह देखते हैं कि गुजरात में चाहे विकास की कितनी भी बातें क्यों न हों, चुनावी हार-जीत जातीय गणित पर ही निर्भर है।
आप की मछुआरा वोटरों पर नजर
2017 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी यहां चुनाव प्रचार के लिए आये थे। तब उन्होंने कहा था कि बापू की जन्मभूमि से ही भाजपा के शासन को उखाड़ फेंकने की शुरुआत होगी। लेकिन कांग्रेस पोरबंदर की सीट तो हार ही गयी उसे सत्ता भी नसीब नहीं हुई। 2022 में कांग्रेस को उम्मीद है कि वह इस बार पोरबंदर में वापसी करेगी। लेकिन अब आप उसकी जीत की राह में रोड़ा बन सकती है। आप ने जिस जीवन जुंगी को उम्मीदवार बनाया है वे पोरबंदर बोट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। मछुआरा समुदाय में उनकी गहरी पैठ है। जाहिर है जीवन जुंगी के खड़ा होने से मछुआरा समुदाय के वोट में विभाजन होगा। इस बार मछुआरा समुदाय कई कारणों से भाजपा से नाखुश है। गुजरात के 550 मछुआरे पाकिस्तान की जेल बंद हैं। एक हजार से अधिक बोट पाकिस्तान के कब्जे में हैं। उनका आरोप है कि इस मामले में भारत सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की। उन्हें पोरबंदर बंदरगाह पर बोट पार्किंग की सुविधा भी नहीं मिली। इसको लेकर मछुआरों ने पोरबंदर में एक रैली भी की थी। कांग्रेस मछुआरों की इस नाराजगी फायदा उठाना चाहती थी। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने जीवन जुंगी को उम्मीदवार बना कर कांग्रेस की इस उम्मीद को झटका दिया है।