माधव सिंह सोलंकी- वो नेता जो 4 बार CM बने, गुजरात में BJP को 9 सीटें ही जीतने दीं, ऐसी थी KHAM थ्योरी
Congress's Madhav Singh Solanki political profile in hindi, अहमदाबाद। दिग्गज कांग्रेसी नेता माधव सिंह सोलंकी नहीं रहे। गुजरात में उन्होंने आज तड़के दम तोड़ दिया। वह साल 94 के थे। वह कांग्रेस के ऐसे नेता थे, जो राज्य के 4 बार मुख्यमंत्री बने। उनका जन्म कोली परिवार में हुआ था। वह 30 जुलाई 1927 को जन्मे थे। उन्होंने 'खाम' की रणनीति बना कर सियासत की नई बिसात बिछाई और भाजपा का गढ़ रहे गुजरात में अपनी पार्टी कांग्रेस को सत्ता में लाते रहे। माधव सिंह सोलंकी ने न सिर्फ सूबे की सियासत में अपनी अमिट छाप छोड़ी, बल्कि भारत सरकार में विदेश मंत्री बनकर अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी नाम कमाया। उनके जीवन पर डालिए एक नज़र-

‘खाम’ के बूते गाड़े थे सियासत में झंडे
माधव सिंह सोलंकी ‘खाम' के बूते जीतते थे। वर्ष 1985 में उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने खाम (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) कार्ड खेला, जिसके जरिए विधानसभा चुनाव में 182 में से 149 पर जीत दर्ज की। तब भाजपा को सिर्फ 9 सीटें मिलीं थीं। उसके बाद भी पार्टी ने कई बार भाजपा की राह में रोड़े अटकाए। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव आए तो भी कांग्रेस अपने पुराने ‘खाम' फैक्टर चलाने के मूड में दिखी। हालांकि, कुछ चुनावों में पार्टी ने मुस्लिमों को गौण रखते हुए क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी के साथ ओबीसी और पटेलों की तरफ झुकाव रखा। माधव सिंह सोलंकी मानते थे कि, बिना ‘खाम' के राह आसान नहीं है।

विवादों से नहीं घबराते थे
माधव सिंह सोलंकी की राजनीति के सफर में काफी विवाद भी हुए। ऐसे में भाजपाईयों ने उन्हें विवादों को निमंत्रण देने वाले नेता कह दिया। साल 1981 की बात है, जब उन्होंने गुजरात में विशेष आरक्षण लागू किया था। उनके इस कदम से सूबे की सियासत में बवाल मच गया था। सोलंकी ने सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया था। मगर, उन्हें भेदभाव के आरोपों का सामना करना पड़ा। उनके विरोध में दंगे भड़क गए। जिससे 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। यही कारण रहा कि, उन्होंने अपने तीसरे कार्यकाल के दौरान 1985 में पद से इस्तीफा दे दिया थे। इसके अलावा भी उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जिनसे हो-हल्ला खूब मचा।

'बोफोर्स' इन्हीं के समय का मसला
देश में बोफोर्स तोप लाने पर एक दौर में काफी शोर-शराबा हुआ था। तब सोलंकी नरसिंह राव सरकार में विदेश मंत्री थे। विदेश मंत्री रहते हुए भी उन्होंने दावोस में स्विस विदेश मंत्री से कह दिया कि बोफोर्स केस राजनीति से प्रेरित है। इस पर विवाद इतना हुआ कि, सोलंकी को विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ गया। भाजपा ने इसी बोफोर्स तोप के मुदृे को खूब उछाला। हालांकि, सोलंकी अपनी खास तरह की राजनीति के लिये जाने जाते रहे।

इस तरह बने थे मुख्यमंत्री
सोलंकी ने सबसे पहले 24 दिसंबर 1976 को गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। उसके बाद वर्ष 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद वह फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1989 में भी वह सत्ता में आए, हालांकि बस कुछ ही महीनों के लिये। वह सूबे के ऐसे नेता रहे, जिनको यहां क्षत्रीय, हरिजनों, आदिवासी और मुसलमानों का अच्छा समर्थन हासिल था। माधवसिंह सोलंकी के बाद उनके बेटे भरत सिंह सोलंकी ने भी राजनीति में अच्छी पोजीशन पाई। वह मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री रह चुके थे। फिर 2015 से गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाला।