कानूनी सहायता के माध्यम से 5 लाख केस निपटाने वाला देश का पहला राज्य बना गुजरात
गांधीनगर। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे ने गुजरात लॉ विश्वविद्यालय में मध्यस्थता का एक डिग्री कोर्स शुरू करने और मध्यस्थता मुकदमेबाजी पर बार काउंसिल द्वारा एक जर्नल शुरू करने का प्रस्ताव दिया है। एसए बोबडे ने यहां कहा कि गुजरात में गायकवाड़ के शासन में मध्यस्थता की एक प्रणाली थी। मध्यस्थता के माध्यम से केस निपटाने की प्रणाली यहां सदियों से चली आ रही है।
विधिक सेवा प्राधिकरण ने 5 लाख से ज्यादा लोगों को लाभान्वित किया
बकौल
न्यायमूर्ति
एसए
बोबडे,
''गुजरात
के
विधिक
सेवा
प्राधिकरण
ने
5
लाख
से
अधिक
लोगों
को
लाभान्वित
किया
है।
इन
लोगों
को
बिना
पैसे,
बिना
मंहगे
वकील
रोके
सस्ता
औऱ
समयबद्ध
तरीके
से
न्याय
मिला।
ऐसे
मामलों
में
गुजरात
देश
में
पहले
स्थान
पर
है।''
बता
दें
कि,
सुप्रीम
कोर्ट
के
न्यायमूर्ति
और
राष्ट्रीय
विधिक
सेवा
प्राधिकरण
के
अध्यक्ष
एसए
बोकाडे
ने
12
करोड़
रुपये
की
लागत
से
गुजरात
राज्य
विधिक
सेवा
प्राधिकरण
बोर्ड
के
गुजरात
उच्च
न्यायालय
के
परिसर
में
एक
भव्य
भवन
का
उद्घाटन
किया
है।
इस
अवसर
पर
कानून
मंत्री
भूपेन्द्र
सिंह
चुडासमा
और
कानून
राज्य
मंत्री
प्रदीप
सिंह
जडेजा
उपस्थित
थे।
आम आदमी को समय पर कानूनी मदद
बोकडे
ने
कहा
है
कि
गुजरात
मध्यस्थता
के
माध्यम
से
मामलों
के
सुखद
निपटान
के
लिए
देश
का
नेतृत्व
कर
रहा
है।
गुजरात
ने
लोक
अदालत
जैसे
उपक्रमों
के
माध्यम
से
बड़ी
संख्या
में
मामलों
को
निपटाया
है।
उन्होंने
कहा
कि
बढ़ती
आबादी
और
स्थानांतरण
के
कारण,
कानून
और
व्यवस्था
की
स्थिति
के
सवाल
उठते
हैं।
ऐसी
स्थिति
में
वकीलों
को
रोकने
के
बजाय,
आम
आदमी
को
समय
पर
कानूनी
मदद
उपलब्ध
हो
रही
है।
सुप्रीम
कोर्ट
के
जस्टिस
एमआर
शाह
और
आर
सुभाष
रेड्डी,
जिन्होंने
इस
अवसर
पर
गुजरात
लीगल
सर्विसेज
अथॉरिटी
बोर्ड
में
सेवा
दी
है,
उन्होंने
कहा
कि,
विधिक
सेवा
प्राधिकरण
बोर्ड
न
केवल
कानूनी
सलाह
के
लिए
काम
कर
रहा
है,
बल्कि
सरकार
द्वारा
सेवा
सेतु
और
विभिन्न
योजनाओं
की
तहत
लोगों
तक
पहुंच
बनाने
के
लिए
भी
काम
कर
रहा
है।
1650 करोड़ रुपये का प्रावधान किया
कानून मंत्री भूपेंद्रसिंह चुडासमा ने इस मौके पर कहा कि, कानूनी सेवा प्राधिकरण बोर्ड एक अकादमी नहीं है, बल्कि एक सेवा संगठन है। पिछले एक साल में, इसने 15,000 मामलों का निपटारा किया है। राज्य सरकार ने सेवा प्राधिकरण बोर्ड को आवश्यक सुविधाएं प्रदान की हैं क्योंकि राज्य सरकार का मानना है कि कोई व्यक्ति या संगठन अच्छा काम तभी कर सकता है जब उसे अच्छी सुविधाएँ दी जाएँ। इसीलिए राज्य के तालुका और जिला न्यायालयों को भी एक विशेष उच्च न्यायालय की तरह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कानून विभाग के लिए बजट में 1650 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
प्राधिकरण की अवधारणा 1972 में शुरू की गई थी
गुजरात राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण बोर्ड के अध्यक्ष एसआर ब्रह्मभट ने कहा कि कानूनी सेवा प्राधिकरण की अवधारणा 1972 में शुरू की गई थी, जिसके बाद यह कानून लागू हुआ। 1998 में, गुजरात में विधिक सेवा प्राधिकरण बोर्ड की स्थापना हुई। सर्वोदय के गांधीजी के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, कानूनी सेवा प्राधिकरण नागरिकों तक कानूनी सहायता पहुंचाने के लिए काम कर रहा है।