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पाकिस्तान से आए ‘घुसपैठियों’ के कारण गुजरात-राजस्थान में हजारों हेक्टेयर फसल तबाह, 1.5 लाख लीटर कीटनाशक छिड़का

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गांधीनगर। पाकिस्तान की तरफ से आए टिड्डी दल ने भारत के कई राज्यों में फसलों को चट कर डाला है। गुजरात, राजस्थान और पंजाब में हजारों हेक्टेयर भूमि में फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। टिड्डियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा काफी समय से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा था, बावजूद इसके किसानों की समस्या खत्म नहीं हुई। कृषि मंत्रालय के टिड्डी नियंत्रण विभाग ने 1.5 लाख लीटर कीटनाशक का छिड़काव कराया था। साथ ही प्रभावित क्षेत्र में निगरानी भी रखी गई, फिर भी 3 से 4 लाख हेक्टेयर की फसलों को नुकसान होने का अंदाजा है।

इन जिलों में हजारों हेक्टेयर फसल टिड्डियों ने चट कर डाली

इन जिलों में हजारों हेक्टेयर फसल टिड्डियों ने चट कर डाली

कृषि मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि टिड्डियों का दल पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भारतीय क्षेत्र में पहुंचा। अब तक जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर, भारेवाला शाहगढ़, कच्छ, बीकानेर और लाठी, नाचना, सूरतगढ़, पोखरण और बीकानेर में भारी मात्रा में फसलें टिड्डियों की वजह से बर्बाद हुई हैं। इन फसलों में मूंगफली, कपास, बाजरा और धान शामिल हैं। इससे पहले मक्का के खेतों में भी टिड्डियों का प्रकोप देखने को मिला था।

26 साल पहले हुआ था टिड्डियों का बड़ा हमला

26 साल पहले हुआ था टिड्डियों का बड़ा हमला

देश में इससे पहले वर्ष 1993 में टिड्डी दल का बड़ा हमला हुआ था। उस साल राजस्थान-गुजरात में सीमावर्ती इलाकों में सभी फसलें बरबाद हो गई थीं। पाक सीमा से सटे खेत सर्वाधिक प्रभावित हुए थे। उसके बाद सरकार ने काफी इंतजाम किए। तब जाकर टिड्डियां खत्म की जा सकीं। अब पिछले एक-दो वर्षों में फिर से टिड्डियों का संकट पनप गया है। इसी साल की शुरूआत में भी टिड्डियों के हमले की खबरें आई थीं।

किसानों को अनुदान पर दिया जा रहा कीटनाशक

किसानों को अनुदान पर दिया जा रहा कीटनाशक

एक अधिकारी ने बताया कि सरकार की ओर से किसानों को ही कीटनाशक अनुदान पर दिया गया। घोषणा की गई कि एक हजार रुपए के कीटनाशक पर किसानों के खाते में 500 रुपए वापस जमा होंगे। इस योजना का मकसद था, किसान टिड्डी दल से निपटने के लिए खुद ही कीटनाशक स्प्रे कर पाएं, ताकि टीम की अनुपस्थिति में टिड्डियां न पनप सकें।

मगर, फिर इन क्षेत्रों में भी पहुंच गईं टिडि्डयां

मगर, फिर इन क्षेत्रों में भी पहुंच गईं टिडि्डयां

मीडिया में आई खबरों में बताया गया सितंबर में बॉर्डर के सुंदरा, पांचला, बंधड़ा समेत कई गांवों में खेतों व पेड़ों पर टिडि्डयों का हमला हुआ। इससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। बचने के लिए किसानों को कोई रास्ता नहीं सूझा।

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इधर, गुजरात के सीमावर्ती जिलों में भी दहशत

इधर, गुजरात के सीमावर्ती जिलों में भी दहशत

पाकिस्तान की तरह से आए टिट्डियों के दल से उत्तरी गुजरात के क्षेत्रों में भी दहशत फैल रही है। सुरक्षा के लिए कृषि विभाग की टीमों ने पिछले दिनों बनासकांठा जिले के वाव और सूइगाम तालुका में दवा छिड़की। इससे पहले जुलाई में भी अधिकारियों ने कहा था कि ज्यादातर टिड्डियां (Desert locust) नष्ट कर दी गईं हैं।

अंडे बचे रह गए थे, इसलिए खतरा ज्यादा

अंडे बचे रह गए थे, इसलिए खतरा ज्यादा

किसान अभी भी चिंतित हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में टिटिड्यों के अंडे बचे रह गए है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक टिट्डी 180 अंडे देती है। यदि 10 हजार टिट्डियों ने भी अंडे दिए होंगे तो फसलों पर बड़ा खतरा अब भी मंडरा रहा है।

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English summary
Locust attack in india from Pakistan, thousands acres Crops Damaged Badly
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