World Asthma Day 2018: खुद से करें बेइंतहा प्यार तो नहीं होगा सेहत का बुरा हाल....
नई दिल्ली। बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ी लाइफस्टाइल ने आज अस्थमा के मरीजों की संख्या में चौतरफा इजाफा किया है, लोग जब तक इस रोग को समझ पाते हैं, तब तक ये विकराल रूप धारण कर चुका होता है, इसी बात के मद्देनजर 'विश्व अस्थमा दिवस' मनाने की शुरुआत हुई, जिससे कि लोगों का इस रोग के प्रति ध्यान आकर्षित किया जा सके। आपको बता दें कि 'विश्व अस्थमा दिवस' प्रतिवर्ष मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में मनाया जाता है।
क्या है अस्थमा
अस्थमा (दमा) श्वसन मार्ग का एक जीर्ण सूजन वाला रोग है, जो कि ज्यादातर आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों की वजह से होता है। अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। आपको जानकर हैरत होगी कि इस वक्त भारत में 2 करोड़ से ज्यादा मरीज दमा रोगी हैं।
अस्थमा अटैक के लक्षण और कारण
- धूल और वायु प्रदूषण की वजह से खांसी और सांस फूलना
- सर्द-गर्म की समस्या
- मौसम में बदलाव की वजह से बुखार
- एलर्जी की वजह से बुखार
- परागकण की वजह से बुखार
- मानसिक तनाव की वजह
- जानवरों की डेड स्किन की वजह से
- स्मोकिंग और अल्कोहल की वजह से
- ऐसे लोगों को हमेशा अपने पास इन्हेलर रखें
- हमेशा घर को साफ रखें
- धूल-मिटटी से बचें
- ऐसी चीज ज्यादा दिन तक न रखें जिसमें धूल जमें
- एक्सरसाइज और योग से खुद को शांत रखें
- मुंह से सांस ना लें
अस्थमा के मरीजों को इन बातों का रखना होता है ख्याल
सावधानी ही बचाव हैं इसलिए खुद से करें प्यार...
कहते है ना हर इंसान अगर थोड़ा सा अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो जाए तो वो दवाईयों से बच सकता है, अस्थमा भी ऐसा ही रोग है, जिसमें रोगी को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है। खराब मौसम, हवा में नमी, बारिश, शीत लहर, प्रदूषण, पोलेन ग्रेन्स, आदि के चलते यह बढ़ सकता है। इसलिए सुझाव यही है कि अगर आप दवा और दर्द को नहीं झेलना चाहते हैं तो आज से ही अपने से प्यार करना शुरु कर दें क्योंकि जान है तो जहान है और जहान बहुत खूबसूरत है।
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