Nuclear Pact: रूस ने तोड़ी परमाणु हथियारों से जुड़ी स्टार्ट संधि, अब परमाणु हथियारों का कर सकेगा परीक्षण
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा है कि मैं मजबूर हूं कि रूस सामरिक आक्रामक हथियारों की संधि को निलंबित कर रहा है क्योंकि अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण करता है, तो रूस भी करेगा।
Nuclear Pact: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 21 फरवरी 2023 को कहा कि रूस अब अमेरिका के साथ बची इकलौती परमाणु संधि को भी निलंबित कर रहा है। जो दोनों पक्षों के सामरिक परमाणु हथियारों को सीमित करने को लेकर है। इस संधि का मुख्य उद्देश्य परमाणु हथियारों की संख्या को 1550 तक सीमित करना था।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार राष्ट्रपति पुतिन ने रूसी संसद में कहा कि मुझे आज यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है कि सामरिक हथियार संधि (स्टार्ट - START) में रूस अपनी भागीदारी को निलंबित कर रहा है। इस संधि में START का अर्थ नयी सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (Strategic Arms Reduction Treaty) है। बता दें कि इस स्टार्ट संधि पर प्राग में साल 2010 में दस्तखत किये गये थे और इसके अगले साल 2011 से इसे लागू किया गया था। गौरतलब है कि रूस ने यह कदम यूक्रेन से चल रही जंग के करीब एक साल बाद उठाया है।
'द गार्जियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एथेंस की यात्रा के दौरान कहा कि रूस न्यू स्टार्ट में भागीदारी को निलंबित कर रहा है। जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना है। हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी घटना में हम अपने देश और अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए उचित रूप से खड़े हों।
क्या हैं रूस के अमेरिका पर आरोप
'मस्ट रिड अलास्का' की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने अपने 100 मिनट से ज्यादा समय तक दिये भाषण में पश्चिमी देशों पर यूक्रेन युद्ध को भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दुनियाभर में अपने सैनिक तैनात किये हुए हैं। हमारी लड़ाई यूक्रेन के लोगों के साथ नहीं, बल्कि पश्चिमी ताकत के खिलाफ है। साथ ही उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी विशेषज्ञों के अनुसार, 2001 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा छेड़े गये युद्धों के दौरान लगभग 900,000 लोग मारे गये और 38 मिलियन से अधिक शरणार्थी बन गये। उन्होंने कहा कि कृपया ध्यान दें, हमने इन आंकड़ों का आविष्कार नहीं किया है। यह अमेरिकी आकड़ें हैं जो हकीकत बता रहे हैं।
स्टार्ट संधि का इतिहास
रूस और अमेरिका के बीच इस न्यू स्टार्ट संधि पर साल 2010 में ही हस्ताक्षर हो गये थे लेकिन 5 फरवरी 2011 को इसे लागू किया गया था। इसकी अवधि दस साल थी, यानि साल 2021 तक। जिसे पांच साल और बढ़ाकर 4 फरवरी 2026 तक कर दिया गया था। तब दोनों देशों को संधि के तहत अपने परमाणु हथियारों को सीमित संख्या तक लाने के लिए सात साल का मौका दिया गया था। इसमें कहा गया था कि जब तक संधि लागू रहती है, दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को सीमित रखेंगे। अमेरिका और रूस दोनों ही 5 फरवरी 2018 तक नई स्टार्ट संधि की सीमाओं को पूरा कर लिया था। तब से दोनों देश परमाणु हथियारों की तय संख्या से नीचे बने हुए हैं।
अब यहां गौर करने वाली बात ये है कि इसे न्यू स्टार्ट संधि इसलिए कहा गया क्योंकि इससे पहले 31 जुलाई 1991 को जेनेवा (स्विटजरलैंड) में राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू बुश द्वारा पहली स्टार्ट संधि पर हस्ताक्षर किये गये थे। तब जॉर्ज एच. डब्ल्यू बुश और सोवियत राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव के बीच यह संधि हुई थी। इस संधि ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित कर दिया, जो किसी भी देश के पास हो सकते हैं। वहीं इसके बाद नयी संधि पर साल 2010 में राष्ट्रपति बराक ओबामा और तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने हस्ताक्षर किये थे। इस संधि के तहत यह भी सुनिश्चित किया गया कि दोनों ही देश रणनीतिक परमाणु हथियार साइटों के 18 इंस्पेक्शन कर सकते हैं, जिसका कोई पक्ष अवहेलना नहीं करेगा।
नयी स्टार्ट संधि की शर्तें क्या थीं?
पहली शर्त थी कि न्यू स्टार्ट संधि के तहत दोनों देश 700 स्ट्रैटजिक हथियारों के लॉन्चर्स को तैनात करने पर राजी हुए थे। जिसमें अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBMs), सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBMs), और परमाणु हथियारों से लैस भारी बमवर्षक विमान शामिल थे।
दूसरी शर्त थी कि तैनात किये गये अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल, सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु बमवर्षकों पर 1,550 परमाणु वॉरहेड तैनात करने पर सहमति बनी थी। क्योंकि एक मिसाइल अपने साथ कई परमाणु वॉरहेड ले जा सकती है। ऐसे में मिसाइलों की संख्या कम और परमाणु वॉरहेड की संख्या अधिक हो सकती है।
अभी तक संधि के दौरान क्या हुआ?
स्टार्ट संधि के तहत दोनों देशों के बीच कुछ दिनों में कई बार रिपोर्टों का आदान-प्रदान हुआ है। दरअसल 1 फरवरी 2023 तक न्यू स्टार्ट संधि के लागू होने के बाद से दोनों पक्षों ने 328 ऑन-साइट निरीक्षण, 25,311 सूचनाओं का आदान-प्रदान, द्विपक्षीय सलाहकार आयोग की 19 बैठकें और संधि के अधीन सामरिक आक्रामक हथियारों पर 42 द्विवार्षिक डेटा का आदान-प्रदान किया था।
न्यू स्टार्ट संधि टूटने से क्या होगा
अक्टूबर 2022 में रूस ने अमेरिका को सूचित किया था कि वह परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करेगा। राष्ट्रपति पुतिन अपने भाषण में यह कह चुके हैं कि रूस अपनी रक्षा के लिए परमाणु हथियारों का विकास शुरू करेगा। इसलिए न्यू स्टार्ट संधि से रूस के हटने से अंदेशा लगाया जा रहा है कि वह नये परमाणु हथियार बनाने और उनका परीक्षण कर सकता है। रूस का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भी परमाणु हथियारों के पीछे दौड़ सकता है। इससे दुनिया में परमाणु हथियारों की रेस फिर से शुरू हो सकती है।
दुनिया में किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार
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सिपरी (Stockholm International Peace Research Institute - SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 की शुरुआत तक दुनियाभर में 9 परमाणु संपन्न देश हैं। जिनके पास लगभग 12,705 परमाणु हथियार थे। जिसमें रूस के पास 5977, अमेरिका के पास 5428, चीन के पास 350, फ्रांस के पास 290, यूके के पास 225, पाकिस्तान के पास 165, भारत के पास 160, इजरायल के पास 90 और उत्तरी कोरिया के पास 20 परमाणु हथियार हैं।
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