क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Repo Rate RBI: क्या होती है रेपो रेट और यह कैसे प्रभावित करती है हमें?

बीतें दिनों भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में बढ़ोत्तरी की घोषणा की। पहले रेपो रेट 5.90 प्रतिशत थी, जो 0.35 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 हो गयी। यह इस साल लगातार पांचवीं बार बढ़ोत्तरी है।

Google Oneindia News
RBI Repo Rate What is repo rate and how does it affect us?

Repo Rate RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की स्थापना हिल्टन यंग आयोग की सिफारिशों के आधार पर 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। तब इसका मुख्यालय कोलकाता में था। दो वर्ष बाद, 1937 को बैंक का मुख्यालय मुंबई में स्थानांतरित हो गया। साल 1949 में जब इस बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया तो इस पर भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व हो गया। वर्तमान में आरबीआई केंद्रित आर्थिक क्रियाएं देश में संचालित होती है। इन आर्थिक क्रियाओं में रेपो रेट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

क्या होती है रेपो रेट

आसान शब्दों में समझें तो रेपो रेट का मतलब है - रिजर्व बैंक द्वारा अन्य बैकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर। यानी जिस दर से भारतीय रिजर्व बैंक, अन्य कॉमर्शियल बैंकों या वित्तीय संस्थानों को सरकारी सिक्योरिटीज के बदले तय समय के लिए कर्ज देता है, उसे रेपो रेट (दर) कहते है। जबकि जिस दर से भारतीय रिवर्ज बैंक अन्य बैंकों के धन को अपने यहां जमा करता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते है।

आमतौर पर लगातार बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। बैंक का मानना है कि रेपो रेट के माध्यम से ब्याज दर महंगी होगी और मुद्रास्फीति की दर पर लगाम लगाई जा सकेगी।

रेपो रेट बढ़ने का आम जनता पर प्रभाव

इसमें कोई दो राय नही है कि इन बढ़ी दरों का असर देश के नागरिकों पर पड़ता है। दरअसल, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट बढ़ाने के बाद बैंक भी लोन पर अपनी ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। जिससे सभी प्रकार के लोन मंहगे हो जाते हैं और आम आदमी द्वारा लोन चुकाने की दरें - ईएमआई (किस्त) भी मंहगी हो जाती हैं।

रेपो रेट बढ़ने का असर आपके सेविंग (बचत) खाते व फिक्स डिपोजिट (एफडी) पर भी पड़ता है। यहां आपकी बचत पर ब्याज बढ़ जाता है। यही नहीं, रेपो रेट बढ़ने का असर औद्योगिक विकास पर भी दिखाई देता है क्योंकि ब्याज दर मंहगी होने से उनकी देनदारी प्रभावित होगी। जिसका सीधा असर रोजगार प्रदान करने की क्षमता पर नकारात्मक रूप से होता है।

रेपो रेट बढ़ने, घटने पर आर्थिक विश्लेषक क्या कहते हैं

आर्थिक विशेषकों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक के पास रेपो रेट महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली हथियार है। जब महंगाई बढ़ती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो (पूंजी प्रवाह) को कम करने की कोशिश करता है। अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को रिजर्व बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। जिससे बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। जिससे अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो कम हो जाता है। अगर मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

इसके अलावा, जब अर्थव्यवस्था बुरे दौर में होती है तो वसूली (रिकवरी) हेतु मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। तब आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। जिस कारण कर्ज सस्ता हो जाता है। जैसे आरबीआई ने कोरोना काल में रेपो रेट घटाकर सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

भारत में कब रही सबसे ज्यादा रेपो रेट

अगर हम पिछले 20-22 वर्षों का आकलन करें तो आरबीआई के अनुसार वर्ष 2000 के अगस्त माह में भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट उच्चतम शिखर 16.00 प्रतिशत थी। जो अब 6.25 प्रतिशत है। वहीं मई 2020 से अप्रैल 2022 तक रेपो रेट 4 प्रतिशत पर थी, जो पिछले 20-22 वर्षों में न्यूनतम रही।

वर्ष 2022 में अब तक रेपो रेट में पांच बार बढोतरी (कुल मिलाकर 2.25 प्रतिशत बढ़ोतरी) की गई है। मई 2022 में 0.40 फीसदी (4 फीसदी से 4.40 प्रतिशत), 8 जून 2022 को 0.50 फीसदी (4.40 से 4.90 प्रतिशत), 5 अगस्त 2022 को 0.50 प्रतिशत (4.90 से 5.40), 30 सितंबर को 0.50 प्रतिशत (5.40 से 5.90 प्रतिशत) और अब 7 दिंसबर को 0.35 प्रतिशत (5.90 से 6.25 फीसदी) बढोतरी हुई है।

अन्य देशों में क्या है स्थिति

जिस प्रकार भारत में केंद्रीय बैंक का दर्जा आरबीआई के पास है उसी प्रकार विश्व के देशों में उनका नाम अलग-अलग है। जैसे, इंग्लैंड में बैंक ऑफ इंग्लैंड, अमेरिका में फेडरल रिजर्व सिस्टम और चीन में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना है। यह सभी अपने-अपने देश की आर्थिक नीतियों को संचालित करते है। कई देशों में रेपो रेट को इंटरबैंक रेट कहते हैं।

ट्रेडिंग इकॉनोमिक्स के आंकड़ों के अनुसार विश्व में स्विटजरलैंड देश की इंटरबैंक रेट (जो लगभग भारतीय रेपो रेट की तरह है) सबसे कम यानी नकारात्मक (-0.75 फीसदी) है। अगर अधिकतम की बात करें तो इसमें अर्जेंटीना (65.9 फीसदी) का नाम सबसे ऊपर है।

यूरोपीय देशों की बात करें तो सबसे कम स्विटजरलैंड (-0.75 फीसदी) व सबसे ज्यादा हंगरी (16.05 फीसदी) देश की इंटरबैंक रेट है। लैटिन अमेरिकी देशों में सबसे कम पेरू (0.81 फीसदी) देश व सबसे ज्यादा अर्जेंटीना (65.9 फीसदी) की इंटरबैंक रेट है। एशिया में जापान (-0.05) सबसे कम और पाकिस्तान (15.95) की सबसे ज्यादा है। अफ्रीकी देशों में बेनिन (4.2 फीसदी) सबसे कम और सिएरा लियोन (17.04) की इंटरबैंक रेट सबसे ज्यादा है।

यह भी पढ़ें: Repo Rate Increase: मिडिल क्लास की लड़ाई, EMI और महंगाई

Comments
English summary
RBI Repo Rate What is repo rate and how does it affect us?
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X