Oxfam Report: भारत में भी तेजी से बढ़ रही बड़े अमीरों की दौलत, वहीं आधी आबादी खाली हाथ
दुनियाभर में अमीरों और गरीबों के बीच का फर्क तेजी से बढ़ रहा है और इस पर बहस भी होने लगी है। इससे भारत भी अछूता नहीं है। इसी बीच ‘ऑक्सफैम’ की एक रिपोर्ट ने कई खुलासे किए हैं।
दूसरे विश्वयुद्ध के समय ग्रीस पर हिटलर के नाज़ियों का कब्जा था। इसी दौरान भयंकर अकाल पड़ा और लाखों लोगों की जान चली गई। तब दुनिया के सभी देश ग्रीस में भुखमरी को बस देखते रहे क्योंकि कोई भी जर्मनी से पंगा नहीं बढ़ाना चाहता था।
इसी दौरान वर्ष 1942 में ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड शहर में कुछ समाजसेवी और शिक्षाविद मिले और Oxford Committee of Famine Relief (Oxfam) नाम के एक संगठन की स्थापना की, ताकी सभी सरकारों पर दबाव डालकर ग्रीस तक अनाज की सप्लाई दोबारा शुरू कराई जा सके। तभी से ऑक्सफैम दुनिया भर में गरीबों व संकट में फंसे लोगों के लिए सहायता पहुंचाने का काम कर रहा है। 1995 में गरीब देशों में काम बढ़ाने के उद्देश्य से Oxfam International की स्थापना की गई। हालांकि पिछले तीन दशकों में स्वयंसेवी संस्थाओं को फंडिंग देकर ऑक्सफैम ने वाहवाही लूटी है, वहीं स्थानीय राजनीति और समाज को पश्चिमी हितों के अनुरूप प्रभावित करने के आरोप भी उस पर लगते रहे हैं। फिर भी ऑक्सफैम की रिपोर्ट्स की चर्चा दुनिया भर में होती है। हाल ही में ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट 'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट' आई है, जो खबरों की सुर्खियों में है।
इस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि भारत में साल 2020 में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से नवंबर 2021 तक अधिकतर भारतीयों को रोजगार संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा और अपनी सेविंग्स बचाने के लिए जूझना पड़ा। वहीं, पिछले साल नवंबर तक भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 121 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जबकि आबादी के आधे हिस्से के पास केवल 3 प्रतिशत धन है।
2%
टैक्स
से
3
साल
का
पोषण
Survival
of
the
Richest
शीर्षक
रिपोर्ट
के
मुताबिक
भारत
के
सभी
अरबपतियों
पर
उनकी
पूरी
संपत्ति
का
सिर्फ
2
प्रतिशत
की
दर
से
टैक्स
लगा
दिया
जाए,
तो
इससे
देश
में
अगले
तीन
साल
तक
कुपोषित
लोगों
के
पोषण
के
लिए
40,423
करोड़
रुपये
की
जरूरतों
को
पूरा
किया
जा
सकता
है।
5%
टैक्स
से
50
लाख
शिक्षकों
को
सैलरी
ऑक्सफैम
की
ही
रिपोर्ट
में
ये
कहा
गया
है
कि
अगर
सिर्फ
एक
अरबपति
गौतम
अडानी
पर
2017-2021
की
अवधि
में
अवास्तविक
लाभ
पर
एक
बार
टैक्स
लगाया
जाए
तो
1.79
लाख
करोड़
रुपये
जुटाए
जा
सकते
हैं।
रिपोर्ट
के
अनुसार
इतनी
राशि
एक
साल
के
लिए
50
लाख
से
अधिक
प्राथमिक
विद्यालय
शिक्षकों
को
रोजगार
देने
के
लिए
पर्याप्त
होगी।
5%
का
टैक्स
कई
मंत्रालयों
के
बजट
से
ज्यादा
रिपोर्ट
के
मुताबिक
देश
की
कुल
64
प्रतिशत
जीएसटी
(GST)
नीचे
के
50
प्रतिशत
लोग
भर
रहे
हैं।
31
प्रतिशत
जीएसटी
बीच
के
40
प्रतिशत
लोग
जमा
करते
हैं,
जबकि
टॉप
के
10
प्रतिशत
लोगों
का
जीएसटी
में
योगदान
सिर्फ
4
प्रतिशत
ही
हैं।
अगर
देश
के
टॉप
10
अमीर
लोगों
पर
एक
बार
5
प्रतिशत
का
टैक्स
लगा
दिया
जाए
तो
उससे
सरकार
को
1
लाख
37
हजार
करोड़
रुपये
से
ज्यादा
मिलेंगे।
जो साल 2022-23 के बीच स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (86,200 करोड़ रुपये) और आयुष मंत्रालय (3,050 करोड़ रुपये) के बजट से 1.5 गुना अधिक है। साथ ही गौर करने वाली बात ये भी है कि भारत की आधी आबादी, जिसकी देश की संपत्ति में कुल हिस्सेदारी 3 प्रतिशत बताई गई है, उसकी आमदनी साल 2020 में 13 प्रतिशत कम हो गई।
अरबपतियों
को
प्रतिदिन
अरबों
डॉलर
का
लाभ
रिपोर्ट
के
मुताबिक
वैश्विक
स्तर
पर
सबसे
अमीर
एक
प्रतिशत
ने
पिछले
दो
सालों
में
दुनिया
की
बाकी
आबादी
की
तुलना
में
लगभग
दोगुनी
संपत्ति
हासिल
की
है।
वहीं
अरबपतियों
की
संपत्ति
प्रतिदिन
2.7
अरब
डॉलर
बढ़
रही
है,
जबकि
कम
से
कम
1.7
अरब
श्रमिक
(वर्कर)
अब
उन
देशों
में
रहते
हैं,
जहां
मुद्रास्फीति
की
दर
वेतन
में
बढ़ोतरी
से
कहीं
अधिक
है।
100
सबसे
धनी
लोगों
की
संपत्ति
रिपोर्ट
के
अनुसार
भारत
में
साल
2020
में
तकरीबन
102
अरबपति
लोग
थे।
वहीं
साल
2022
में
अरबपतियों
की
संख्या
बढ़कर
166
हो
गई।
इसके
मुताबिक
भारत
के
सिर्फ
100
सबसे
धनी
लोगों
की
कुल
संपत्ति
660
अरब
डॉलर
(54.12
लाख
करोड़
रुपये)
बताई
गई
है।
यानि
कि
दूसरे
एंगल
से
समझें
तो
इतना
धन
18
महीने
से
अधिक
पूरे
देश
के
बजट
की
राशि
के
लगभग
बराबर
है।
इस
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
भारत
के
21
सबसे
अमीर
अरबपतियों
के
पास
मौजूदा
समय
में
देश
के
70
करोड़
लोगों
से
ज्यादा
दौलत
है।