PICS: जानिए शेर-ए-मैसूर यानी टीपू सुल्तान से जुड़ी खास बातें
बैंगलोर। महान योद्धा टीपू सुल्तान को हमेशा एक शक्तिशाली शासक के रूप में याद किया जाता है। बहुत कम उम्र में ही टीपू सुल्तान ने अपने पिता हैदर अली से राजनीति और युद्ध की बारीकियां सीख ली थी। टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 में कर्नाटक के देवनाहल्ली में हुआ था। टीपू का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था।
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टीपू के पिता का नाम हैदर अली और मां का फकरुन्निसां था। हैदर अली मैसूर साम्राज्य के एक सैनिक थे लेकिन अपनी ताकत के बल पर वो 1761 में मैसूर के शासक बने। टीपू की वीरता से प्रभवित होकर उनके पिता हैदर अली ने ही उन्हें शेर-ए-मैसूर के खिताब से नवाजा था।
अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए 4 मई 1799 को टीपू सुल्तान की मौत हो गई थी। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इतिहास के पन्नों से टीपू सुल्तान का नाम मिटा पाना असंभव है। तो आईए तस्वीरों के माध्यम से जानते हैं टीपू सुल्तान का इतिहास:
कैसे पड़ा नाम टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान का पूरा नाम सुल्तान फतेह अली खान शाहाब था। टीपू के पिता एक दिन ऐसे ही उन्हें टीपू कहकर पुकारने लगे। उनके दिमाग में यह नाम वहां के एक मस्तान से मिलने के बाद आया था जिसका नाम टीपू मस्तान औलिया था।
मैसूर का शेर के नाम से प्रसिद्ध थे टीपू सुल्तान
टीपू सुल्तान 15 साल की उम्र से अपने पिता के साथ जंग मे हिस्सा लेने की शुरवात कर दी थी। जिसके बाद से उन्हें मैसूर का शेर कहा जाने लगा था। टीपू गुरिल्ला युद्ध से जंग लड़ने मे माहिर थे।
दुनिया का पहला मिसाइल मैन
टीपू सुल्तान को दुनिया का पहला मिसाइल मैन माना जाता है। बीबीसी की एक खबर के मुताबिक, लंदन के मशहूर साइंस म्यूजियम में टीपू सुल्तान के रॉकेट रखे हुए हैं। इन रॉकेटों को 18वीं सदी के अंत में अंग्रेज अपने साथ लेते गए थे।
टीपू ने हिंदुओं को बनाया मुसलमान
मैसूर की गद्दी पर बैठते ही टीपू ने उसे मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया। टीपू ने घोषणा की --- "मै सभी काफिरों को मुस्लमान बनाकर रहूंगा। टीपू ने ऐलान किया था कि जो स्वेच्छा से मुसलमान न बने उसे बलपूर्वक मुसलमान बनाओ और जो पुरूष विरोध करे, उनका कत्ल कर दो। टीपू ने 1 करोड़ हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराकर मुसलमान बना दिया था।
अंग्रेजों को संधि पर किया मजबूर
टीपू द्वारा कई युद्धों में हारने के बाद मराठों एवं निजाम ने अंग्रेजों से संधि कर ली थी। ऐसी स्थिति में टीपू ने भी अंग्रेजों से संधि का प्रस्ताव दिया। वैसे अंग्रेजों को भी टीपू की शक्ति का अहसास हो चुका था इसलिए छिपे मन से वे भी संधि चाहते थे। दोनों पक्षों में वार्ता मार्च, 1784 में हुई और इसी के फलस्वरूप 'मंगलौर की संधि' सम्पन्न हुई।
टीपू की तलवार
टीपू सुल्तान की तलवार की मूठ पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ है। बताया जाता है कि टीपू की मौत के बाद ये तलवार उसके शव के पास पड़ी मिली थी।
21 करोड़ में हुई थी नीलाम
टीपू सुल्तान की तलवार 21 करोड़ रुपए में नीलाम हुई। अप्रैल 2010 में लंदन की नीलामी संस्था सोदेबीजज ने नीलाम किया था। इसे उद्योगपति विजय माल्या ने खरीदा था।
राम नाम की अंगुठी पहनते थे टीपू सुल्तान
मई 2014 लंदन में टीपू सुल्तान की सोने की वह अंगूठी नीलाम कर दी गई थी जिस पर 'राम' लिखा था। कहा जाता है कि 1799 में श्रीरंगापट्टनम की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के हाथों मारे जाने के बाद ब्रिटिश जनरल ने ये अंगूठी उसकी अंगुली से उतार ली थी।