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डेढ़ ट्रिलियन डॉलर की चपत लगा गये भारत के 'हवलदार'

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बेंगलूरु। हेडलाइन पढ़कर चौंक गये होंगे आप, क्योंकि आप ने आज तक जितने हवलदार देखे होंगे, वो या तो कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर रहे होंगे या फिर किसी की जेब ढीली करवा रहे होंगे। हम जिस हवलदार से मिलवाने जा रहे हैं, उसने हजार, लाख या करोड़ नहीं डेढ़ ट्रिलियन डॉलर की चपत भारत को लगायी है। वो हवलदार है हवाला ब्रोकर्स का समूह।

hawala money

हवाला, यह शब्‍द भारत में 90 के दशक में पहली बार सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय हुआ जब 18 मिलियन डॉलर के हवाला स्‍कैंडल ने देश को हिलाकर रख दिया था। कश्‍मीर में आतंकियों को मदद मुहैया पहुंचाने वाले उस स्‍कैंडल में पहली बार सामने आया यह शब्‍द आज देश में जारी भ्रष्‍टाचार और आतंकवाद की अहम वजह बन चुका है। शायद आपको मालूम नहीं है कि 'गॉड्स ओन कंट्री' का टाइटल पाए हुए केरल में ही अकेले 23,000 करोड़ रुपए हवाला के जरिए पहुंचते हैं।

भारत में हवाला की रकम पर आधारित एक खास सीरिज हम आपके लिए लेकर आए हैं। इस पहली सीरिज में जानिए कि हवाला कैसे काम करता है और क्‍यों यह गैरकानूनी होने के बावजूद यह आज भी लेनदेन का सबसे पसंदीदा जरिया बना हुआ है।

भारत में हवाला का वर्तमान परिदृश्‍य

भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पिछले कई वर्षों से हवाला और इसके ट्रांजैक्‍शन से जुड़ी परेशानियों के बारे में आगाह करती आ रही हैं। इस विषय पर अनुभव रखने वाले प्रोफेसर आर वैद्यनाथन की मानें तो पिछले छह दशकों में भारत ने हवाला ट्रांजैक्‍शन में बचाए गए टैक्‍स की वजह से 1.5 ट्रिलियन डॉलर रकम खो चुका है। प्रोफेसर वैद्यनाथन बेंगलुरु के आईएमएम संस्‍थान से जुड़े हुए हैं।

गैरकानूनी है हवाला

हवाला से जुड़े नियम काफी सख्‍त हैं लेकिन हवाला कारोबार देश में इतने बड़े स्‍तर पर फैल चुका है कि एजेंसियां इस पर लगाम लगाने में पूरी तरह से असमर्थ है। देश में इस समय कई तरह के गैरकानूनी ट्रांजैक्‍शन को अंजाम दिया जा रहा है और इन सभी में हवाला को तरजीह दी जा रही है। हवाला कारोबार को वर्तमान में देश के अंदर काले धन को सर्कुलेट करने, ड्रग्‍स के जरिए पैसा कमाने या फिर आतंकवादियों के साथ होने वाली डील में प्रयोग किया जाता है। इसी वजह से देश में गैरकानूनी घोषित किया गया। हवाला के कारोबार को देश में फेमा यानी फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट 2000 और पीएमएलए यानी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्‍ट 2002 के तहत गैरकानूनी और दंडात्‍मक करार दिया गया है।

फिर भी क्‍यों हो रहा है प्रयोग

  • इसे दंडात्‍मक अपराध घोषित किए जाने के बाद भी धड़ल्‍ले से इसका प्रयोग किया जाता रहा है।
  • गैरकानूनी तरीके से रहने वाले ऐसे लोग जो बैंकों के जरिए पैसे भेजने के अधिकारी नहीं है, इस माध्‍यम का प्रयोग करने लगे हैं।
  • इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के आईडी प्रूफ और आय का खुलासा करने की जरूरत नहीं होती, इसलिए गैरकानूनी प्रवासी इसका प्रयोग करते हैं।
  • आज भी इसे पैसे ट्रांसफर करने का सबसे विश्‍वसनीय तरीका माना जाता है।
  • अगर बैंक दर से इसकी बैंकों से तुलना की जाए तो कमीशन की दर बहुत ही कम है।
  • बैंक से अलग हवाला के जरिए होने वाले पैसों के लेन देन में किसी की भी पहचान को गोपनीय रखा जाता है।

क्यों सिरदर्द बन गया हवाला, जानने के लिये क्ल‍िक करें NEXT पर।

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English summary
India and its problem with Hawala money. Kerala alone has an annual remittance of Rs 23000 crore in form of hawala money.
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