Gautam Adani: डायमंड कंपनी में काम करने वाले गौतम अडानी कैसे बने देश के सबसे बड़े उद्योगपति
गौतम अडानी भारत के उन सफल उद्योगपतियों में से एक है जिन्होंने कम समय में ऊंचा मुकाम हासिल किया है। मगर आजकल वे एक रिपोर्ट में लगे आरोपों के चलते हो रहे नुकसान को लेकर दुनियाभर की सुर्खियों में बने हुए हैं।
24 जनवरी 2023 यह वह तारीख है, जिसने एशिया के सबसे अमीर एवं दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी को ऐसी पटखनी दी कि 10 दिनों के भीतर ही वे अमीरों की वैश्विक टॉप 20 लिस्ट से भी बाहर हो गये। दरअसल, इस तारीख को अमेरिका की फॉरेंसिक फाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आई थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडानी समूह न सिर्फ शेयर मूल्य गड़बड़ी में लिप्त है बल्कि वह अपने निवेशकों से भी सच छुपाता है।
हालांकि, अडानी ग्रुप ने इस पूरी रिपोर्ट को ही गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया है। मगर रिपोर्ट के सार्वजनिक होने और खारिज होने तक गौतम अडानी की कंपनियों के शेयर बाजार में मूल्य लगातार गिरते जा रहे हैं। द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में मचे 'कत्लेआम' की वजह से उसकी लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप लगभग आधा रह गया है। इस तरह निवेशकों को करीब 10 लाख करोड़ रुपये का जबरदस्त नुकसान हो चुका है।
क्या
है
गौतम
अडानी
की
शुरुआती
कहानी
गौतम
अडानी
का
जन्म
24
जून
1962
को
अहमदाबाद
के
समीप
एक
छोटे
से
कस्बे
थराड़
में
शांति
लाल
और
शांता
बेन
अडानी
के
परिवार
में
हुआ
था।
गौतम
अडानी
कुल
सात
भाई-बहन
हैं
और
उनके
पिता
कपड़े
का
व्यापार
करते
थे।
तब
उनका
परिवार
इस
इलाके
के
एक
चॉल
में
रहा
करता
था
क्योंकि
उनके
परिवार
की
आर्थिक
स्थिति
बहुत
अच्छी
नहीं
थी।
अहमदाबाद
में
सेठ
सीएन
विद्यालय
से
स्कूली
शिक्षा
लेने
के
बाद
उन्होंने
गुजरात
विश्वविद्यालय
में
वाणिज्य
स्नातक
कोर्स
में
दाखिला
ले
लिया।
हालांकि,
उन्होंने
दूसरे
वर्ष
में
ही
पढ़ाई
छोड़
दी।
ऐसे
हुई
करियर
की
शुरुआत
कॉलेज
की
पढ़ाई
बीच
में
छोड़ने
के
समय
गौतम
अडानी
की
उम्र
16
वर्ष
थी।
जिसके
बाद,
1978
में
वे
अपना
शहर
छोड़कर
मुंबई
में
रहने
लगे।
वहां
एक
डॉयमंड
कंपनी
में
मामूली
सी
पगार
पर
नौकरी
करने
लगे
और
डायमंड
के
कारोबार
को
करीब
से
समझा।
इसके
बाद
साल
1981
में
वह
गुजरात
लौट
आये
और
अपने
भाई
की
प्लास्टिक
की
फैक्ट्री
में
काम
शुरू
किया।
फिर
बाजार
को
करीब
से
समझा
और
साल
1988
में
कमोडिटी
का
आयत-निर्यात
करने
वाली
कंपनी
के
रूप
में
अडानी
एंटरप्राइजेज
की
शुरुआत
की।
साल
1991
में
हुए
आर्थिक
सुधारों
की
बदौलत
अडानी
का
व्यापार
जल्द
ही
सफल
होने
लगा।
अडानी
की
जुबानी,
उनकी
सक्सेस
की
कहानी
अभी
बीते
महीने
ही
गुजरात
के
पालनपुर
में
विद्यामंदिर
ट्रस्ट
के
75
साल
पूरे
होने
के
उपलक्ष्य
में
हुए
कार्यक्रम
में
गौतम
अडानी
शामिल
हुए
थे।
तब
उन्होंने
अपने
कारोबार
के
बारे
में
बताते
हुए
कहा
था
कि
उनका
पहला
ट्रेड
जापान
की
कंपनी
के
साथ
किया
गया
था।
इसके
कमीशन
के
तौर
पर
10
हजार
रुपये
की
कमाई
की
गई
थी।
शुरुआती
दौर
में
राजीव
गांधी
और
नरसिम्हा
सरकार
की
नीतियों
से
उन्हें
व्यापार
बढ़ाने
में
काफी
मदद
मिली
थी।
अब मूडीज ने बिगाड़ा अडानी ग्रुप का 'मूड’, कहा- पैसा जुटाने में आएंगी मुश्किलें
अडानी कहते हैं कि उनके जीवन का सबसे अच्छा ब्रेक साल 1985 में मिला। तब राजीव गांधी ने लोकसभा चुनाव जीता और उनकी सरकार ने आयात नीति बदल दी। ट्रेडिंग में मेरा अनुभव नहीं था लेकिन मैंने सीखा और छोटे उद्योगों को पॉलीमर की सप्लाई शुरू की। मेरे वैश्विक ट्रेडिंग व्यापार की नींव यहीं से पड़ी। साल 1991 में भारत में विदेशी मुद्रा संकट आया और देश में 10 दिन से कम की विदेशी मुद्रा बची थी। तभी तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने रुपये का अवमूल्यन किया था और निर्यात बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया। वे आगे कहते हैं कि मैंने बड़ा ट्रेडिंग हाउस बनाने का फैसला किया और पॉलीमर, मेटल, टेक्सटाइल में ट्रेडिंग शुरू की। फिर, देश में हम सबसे बड़ी ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी बन गए। मैं उस वक्त सिर्फ 29 साल का था। स्केल और स्पीड को हमने महत्व दिया और 1994 में हमने IPO भी जारी कर दिया।
ट्रेडिंग
के
साथ-साथ
पोर्ट
के
व्यवसाय
से
जुड़े
1995
में
गुजरात
सरकार
ने
कच्छ
में
मुंद्रा
पोर्ट
एवं
एसईजेड
का
संचालन
किसी
निजी
कंपनी
को
देने
का
फैसला
किया
था।
बिजनेस
स्टैंडर्ड
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
साल
1995
में
गौतम
अडानी
की
कंपनी
को
मुंद्रा
पोर्ट
(Mundra
Port)
के
संचालन
का
अनुबंध
मिल
गया।
यह
गौतम
अडानी
के
जीवन
का
एक
बड़ा
मोड़
साबित
हुआ।
आज
यह
निजी
क्षेत्र
का
सबसे
बड़ा
पोर्ट
बन
गया
है।
फिर
नहीं
देखा
पीछे
मुड़कर
1996
में
अडानी
पावर
लिमिटेड
अस्तित्व
में
आई।
इसके
बाद
धीरे-धीरे
माइंस,
पोर्ट
और
रेलवे
के
कारोबार
में
भी
कदम
रखा।
कंपनी
ने
कोल
माइंस
के
लिए
ऑस्ट्रेलिया
और
इंडोनेशिया
में
जड़े
जमाई
और
आज
दुनियाभर
के
देशों
में
इनका
कारोबार
फैल
गया
है।
आज
अडानी
ग्रुप
का
कारोबार
बिजली,
पोर्ट,
लॉजिस्टिक्स,
माइनिंग,
गैस,
रक्षा
एवं
एयरोस्पेस
और
एयरपोर्ट
जैसे
विविध
क्षेत्रों
तक
फैला
है।
वहीं
अडानी
समूह
की
शेयर
बाजार
में
लिस्टेड
कंपनियों
में
शामिल
हैं-
अडानी
एंटरप्राइजेज,
अडानी
ग्रीन
एनर्जी,
अडानी
पोर्ट्स
एंड
स्पेशल
इकोनॉमिक
जोन,
अडानी
पावर,
अडानी
ट्रांसमिशन,
अडानी
टोटल
गैस
लिमिटेड
और
अडानी
विल्मर।
6
महीने
में
आई
अडानी
पर
दो
अलग-अलग
रिपोर्ट
सितंबर
2022
में
फोर्ब्स
रियल
टाइम
बिलेनियर
इंडेक्स
की
एक
रिपोर्ट
आती
है
कि
जिसमें
बताया
जाता
है
कि
गौतम
अडानी
155.7
बिलियन
डॉलर
के
साथ
दुनिया
के
दूसरे
सबसे
अमीर
शख्स
बन
गये
है।
इसके
बाद
पूरी
दुनिया
में
गौतम
अडानी
के
चर्चें
शुरू
हो
जाते
हैं।
हर
कोई
अडानी
को
जानना
चाहता
है।
लेकिन
बीते
महीने
24
जनवरी
2023
को
अमेरिका
के
एक
रिसर्च
फर्म
'हिंडनबर्ग'
की
रिपोर्ट
ने
गौतम
अडानी
की
संपत्ति
में
एक
बड़ी
सेंध
लगा
दी।
मोदी
सरकार
से
उठाया
फायदा
अडानी
की
जीवनी
पर
छपी
एक
किताब
'Gautam
Adani
Reimagining
Business
in
India
and
the
World'
में
आरएन
भास्कर
लिखते
हैं
कि
गौतम
अडानी
का
जन्म
एक
सीमित
संसाधनों
वाले
परिवार
में
हुआ
था।
उनकी
तरक्की
का
ये
सफर
आम
लोगों
के
लिए
प्रेरणा
का
स्रोत
है
लेकिन
उनकी
प्रगति
विवादों
से
भी
घिरी
है।
भारत
के
मीडिया
और
विपक्ष
का
एक
तबका,
बार-बार
गौतम
अडानी
पर
यह
आरोप
लगाता
रहा
है
कि
उन्होंने
कारोबार
चमकाने
के
लिए
सरकार
में
अपने
संबंधों
का
इस्तेमाल
किया।
जबकि
सच्चाई
यह
है
कि
उनकी
तेज
तरक्की
तो
कांग्रेस
सरकारों
में
आर्थिक
उदारवादी
नीतियों
के
कारण
शुरू
हो
गई
थी।