
Gandhi Jayanti:'ऐसे जिएं जैसे आपको कल मरना है...', महात्मा गांधी के 10 अनमोल विचार, जिससे आपको सीख लेनी चाहिए
नई दिल्ली, 30 सितंबर: भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस साल 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 153वीं जयंती मनाई जाएगी। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था। गांधी जयंती का यह दिन महात्मा गांधी के अनुयायियों द्वारा देश के बाहर भी कई देशों में मनाया जाता है। गांधी जी अहिंसा को मानते थे इसलिए इस दिन को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

महात्मा गांधी एक वकील,राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। महात्मा गांधी ने बिना हथियार उठाए ही अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों से लोहा लिया और देश को आजादी दिलाई। इस दिन देश के अलग-अलग शैक्षिक संस्थानों, स्कूलों-कॉलेज में महात्मा गांधी के अनमोल विचार बताए जाते हैं। आइए इस गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के 10 अनमोल विचार जानें, जिससे आप अपनी जीवन में सीख ले सकते हैं...
1. ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है: महात्मा गांधी
2. व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी होता है, किसी भी व्यक्ति के विचार ही सबकुछ हैं, वह जो सोचता है, वह बन जाता है : महात्मा गांधी
3. कमजोर व्यक्ति कभी भी क्षमा नहीं कर सकता है। कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है, क्षमा करना तो ताकतवर की निशानी है: महात्मा गांधी
4. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन: महात्मा गांधी
5. अपनी गलती को स्वीकार करना, उसपर झाड़ू लगाने के समान है, जो जमीन को चमकदार और साफ कर देते हैं: महात्मा गांधी
6.पहले वो आपको अनदेखा करेंगे, उसके बाद वो आप पर हसंगे, फिर वो आपसे लड़ंगे और तब आप जीत जाएंगे: महात्मा गांधी
7.मैं सिर्फ लोगों के अच्छे गुणों को देखता हूं...ना कि उनकी गलतियों को गिनता हूं..: महात्मा गांधी
8. खुद को खोजने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो दो: महात्मा गांधी
9. डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है: महात्मा गांधी
10. क्रूरता का जवाब क्रूरता से देने का मतलब है, अपने नैतिक और बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है: महात्मा गांधी