Abdel Fattah el-Sisi: मिस्र के राष्ट्रपति अल-सीसी होंगे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि
भारत और मिस्र के राजनयिक संबंधों के 75 वें वर्ष में मिस्र के निर्वाचित राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सीसी को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अथिति के रूप में आमंत्रित किया गया है।
26 जनवरी 2023 को मिस्र के राष्ट्रपति को गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। अब्देल फतह अल सिसी मिस्र से छठे राष्ट्रपति हैं। दरअसल, भारत और मिस्र इस साल अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में ही मिस्र के राष्ट्रपति को भारत आने का निमंत्रण भेज दिया था।
भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिलने के मात्र तीन दिन बाद ही भारत और मिस्र के औपचारिक संबंध स्थापित हुए थे। इस साल उस संबंध के 75 साल पूरे हो रहे हैं। इस तरह यह साल भारत और मिस्र के औपचारिक संबंधों के लिए विशेष है। उन्होंने कहा, इन 75 सालों में भारत और मिस्र के बीच सम्बंध मजबूत हुए हैं। साथ ही इस साल भारत ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान मिस्र को ही अतिथि देश के रूप में भी आमंत्रित करने का फैसला लिया है।
मोदी-सीसी
की
दोस्ती
मिस्र
के
राष्ट्रपति
अब्देल
फतह
अल-सीसी
का
भारत
दौरा
दोनों
देशों
के
लिए
नई
साझेदारी
बनाने
का
सुनहरा
मौका
है।
भारत
में
मिस्र
के
राजदूत
वाएल
मोहम्मद
अवाद
हमीद
(Wael
Mohamed
Awad
Hamed)
ने
इस
यात्रा
को
लेकर
कहा
है
कि
"इस
यात्रा
से
दोनों
देशों
के
बीच
आर्थिक,
राजनीतिक,
द्विपक्षीय
और
अंतरराष्ट्रीय
स्तर
पर
नयी
साझेदारी
बनेगी।"
मिस्र
के
राजदूत
ने
यहां
तक
कहा
कि
मोदी-सीसी
के
बीच
की
दोस्ती
नेहरू-नासेर
की
दोस्ती
को
भी
पीछे
छोड़
देगी।
दरअसल,
बीते
जमाने
में
मिस्र
के
राष्ट्रपति
अब्दुल
नासेर
और
भारत
के
प्रधानमंत्री
जवाहरलाल
नेहरु
के
बीच
दोस्ती
अंतरराष्ट्रीय
सुर्खियों
में
रहा
करती
थी।
कौन
हैं
अब्दल
फतेह
अल-सीसी
अल-सीसी
मिस्र
के
लोकतांत्रिक
ढंग
से
निर्वाचित
राष्ट्रपति
है।
उनका
जन्म
अल-गामालिया
में
1954
में
हुआ
था,
जो
काहिरा
के
पुराने
शहर
के
यहूदी
क्वार्टर
के
पास
स्थित
है।
अल-सीसी
ने
एक
बार
टीवी
इंटरव्यू
में
कहा
था
कि
"मैं
एक
ऐसे
क्षेत्र
में
पैदा
हुआ
और
पला-बढ़ा
हूं,
जहां
सांस्कृतिक
विविधता
रही
थी
और
मैं
यहूदी
क्वार्टर
में
सिनेगॉग
(यहूदियों
का
पूजा
स्थल)
देखा
करता
था।"
अल-सिसी
ने
1992
में
यूके
ज्वाइंट
सर्विसेज
कमांड
एंड
स्टाफ
कॉलेज
से
सैन्य
प्रशिक्षण
लिया
और
2006
में
पेंसिल्वेनिया
में
यूएस
आर्मी
वॉर
कॉलेज
से
मास्टर
डिग्री
प्राप्त
की।
सऊदी अरब में सैन्य कार्यालय में सुरक्षा प्रमुख के रूप में सेवा देने के बाद अल सीसी 2008 में उत्तरी सैन्य क्षेत्र के कर्मचारियों के प्रमुख के रूप में मिस्र लौट आए। फरवरी 2011 में मिस्र की क्रांति के तुरंत बाद जब सेना ने देश पर नियंत्रण किया तो अल-सिसी को सैन्य खुफिया प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया।
राजनैतिक
जीवन
की
शुरूआत
2012
में
तत्कालीन
राष्ट्रपति
मोहम्मद
मुर्सी
ने
अल-सीसी
को
रक्षा
मंत्री
और
सशस्त्र
बलों
का
कमांडर-इन-चीफ
नियुक्त
किया।
अगले
साल
ही
राष्ट्रपति
मुर्सी
को
जनता
के
विरोध
और
सेना
की
बगावत
के
कारण
अपना
पद
छोड़ना
पड़ा।
इस
बीच
अल-सिसी
ने
राष्ट्रपति
को
लोगों
की
मांगों
को
पूरा
करने
या
समय
से
पहले
चुनाव
कराने
के
लिए
48
घंटे
का
अल्टीमेटम
जारी
कर
दिया।
साथ
ही
उन्होंने
सेना
के
हवाले
से
यह
भी
ऐलान
किया
कि
जब
तक
नयी
सरकार
नहीं
बन
जाती
तब
तक
सर्वोच्च
संवैधानिक
अदालत
के
मुख्य
न्यायाधीश
अदली
मंसूर
सरकार
संभालेंगे।
2014
में
बने
पहली
बार
राष्ट्रपति
मुर्सी
को
हटाए
जाने
के
बाद
अदली
मंसूर
को
मिस्र
की
कमान
संभालने
को
कहा
गया।
इसके
बाद
तयशुदा
समय
से
पहले
चुनाव
कराने
की
घोषणा
कर
दी
गयी।
देश
में
कई
लोगों
ने
जनरल
सीसी
से
राष्ट्रपति
पद
के
लिए
अपनी
दावेदारी
पेश
करने
का
आग्रह
किया
था।
दरअसल,
मुस्लिम
ब्रदरहुड
से
संबंध
रखने
वाले
वाले
राष्ट्रपति
मुहम्मद
मुर्सी
को
हटाने
की
कार्रवाई
में
जनरल
सीसी
की
बेहद
अहम
भूमिका
थी।
इसके
बाद
मई
2014
में
मिस्र
में
राष्ट्रपति
के
लिए
चुनाव
हुए।
इसमें
अल-सीसी
ने
वामपंथी
प्रतिद्वंद्वी
हमदीन
सब्बाही
के
खिलाफ
जीत
हासिल
की
थी।
और
वे
देश
के
राष्ट्रपति
चुने
गए
थे।
बता
दें
कि
मिस्र
में
राष्ट्रपति
का
कार्यकाल
चार
साल
का
होता
है।
2018
में
दूसरी
बार
बने
राष्ट्रपति
2014
में
पहली
बार
अल-सीसी
चुनावों
में
खड़े
हुए।
उन्होंने
राष्ट्र
के
नाम
संबोधन
देते
हुए
कहा
था,
"मैंने
देश
के
लिए
एक
सैनिक
के
रूप
में
अपना
पूरा
जीवन
बिताया
है।
मैं
आपको
बता
रहा
हूं
कि
मैं
मिस्र
के
राष्ट्रपति
के
लिए
खड़ा
होना
चाहता
हूं,
और
आपके
इस
समर्थन
से
मुझे
यह
सम्मान
मिलेगा।"
तब
अल-सीसी
किसी
भी
राजनैतिक
पार्टी
से
संबंध
नहीं
रखते
थे।
बावजूद
इसके,
3
जून
2014
को
अल-सीसी
96.9
प्रतिशत
मतों
के
साथ
राष्ट्रपति
चुनाव
जीत
गए।
अल-सीसी
की
मिस्र
में
बहुत
अधिक
लोकप्रियता
है।
इसलिए
2018
के
आम
चुनावों
में
भी
उन्हें
लगभग
97
प्रतिशत
मत
मिले
और
फिर
से
मिस्र
के
राष्ट्रपति
निर्वाचित
हुए।
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