Desi Porn Industry: कानूनी ढिलाई से पनप रही है देशी पोर्न इंडस्ट्री, छोटे शहरों में होती है शूटिंग
इंटरनेट न्यूट्रिलिटी के इस दौर में भारत में एक बड़ी पोर्न इंडस्ट्री तेजी से पनप रही हैं। इन पोर्न और एडल्ट मूवीज की शूटिंग आम तौर पर छोटे शहरों और कस्बों में की जाती है।
Desi Porn Industry: सरकारी उदासीनता के कारण भारत में इन दिनों हार्ड कोर पोर्न इंडस्ट्री तेजी से पनप रही है। भारतीय कानून के मुताबिक, अगर कोई भी शख्स प्राइवेटली किसी भी तरह की अश्लील या पोर्न कंटेंट देखता है, तो इसके लिए उसे सजा नहीं होती है और वो जेल नहीं जा सकता है। हालांकि, पोर्नोग्राफिक कंटेंट को डिस्ट्रीब्यूट करने यानी किसी को शेयर करने पर या फिर पोर्नोग्राफिक कंटेंट या फिल्म बनाने पर जेल जाना पड़ सकता है और सजा भी मिल सकती है। यह बेसिक कानून देश के सभी नागरिकों को मोटे तौर पर जरूर पता होगा।
IT Act 2000 के सेक्शन 67A के मुताबिक, सेक्सुअल और पोर्नोग्राफिक कंटेंट के पब्लिकेशन, ट्रांसमिशन और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ट्रांसमिशन का जरिया बनना अपराध है। इसके लिए 5 साल तक की जेल हो सकती है या 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
दिल्ली-एनसीआर के बगल में पनप रहा बड़ा पोर्न बाजार
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर से सटे यूपी का मेरठ शहर इन दिनों एक बड़ा पोर्न इंडस्ट्री का हब बन रहा है। मेरठ में पोर्न दिखाने वाले कई प्लेटफॉर्म्स की फिल्मों की शूटिंग की गई है। बॉलीवुड यानी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में जाने का सपना देखने वाले कई युवा झांसे में आकर बिना किसी बैनर के इन अश्लील और पोर्न मूवीज में काम कर रहे हैं। इन पोर्न फिल्मों के एक एपिसोड की शूटिंग के लिए OTT प्लेटफॉर्म्स और वेबसाइट किसी होटल रूम या किराए के अपार्टमेंट के कमरे में डेढ़ से ढ़ाई लाख रुपये तक खर्च करके वीडियो शूट कर लेते हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि मेरठ में अब तक 50 से 75 अश्लील और पोर्न मूवीज की शूटिंग्स अलग-अलग भाषाओं में की गई है।
कई छोटे शहरों और कस्बों में होती है शूटिंग
मेरठ के अलावा देश के कई टीयर-2 और टीयर-3 शहरों और कस्बों में इस तरह की हार्ड कोर पोर्न मूवीज की धड़ल्ले से शूटिंग की जा रही है। इन फिल्मों को बनाने के लिए ज्यादा बजट की जरूरत नहीं होती। इन्हें DSLR कैमरों या मोबाइल से शूट किया जाता है और इनमें काम करने वाले युवा खास तौर पर बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में जाने का सपना देखने वाले होते है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में लगे 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान भारत में पोर्न और इरोटिक मूवीज की डिमांड सबसे ज्यादा थी। उन दिनों कई OTT प्लेटफॉर्म पर सॉफ्ट पोर्न और हार्डकोर पोर्न मूवीज, इरोटिक कंटेंट यूजर्स को परोसे गए थे।
भारत में पोर्नोग्राफिक कंटेंट की बढ़ी भारी डिमांड
इंटरनेट न्यूट्रिलिटी की वजह से पिछले एक दशक में भारत में सेक्सुअल और पोर्नोग्राफिक कंटेंट का उपभोग बढ़ गया है। पोर्न इंडस्ट्री को सस्ते एवं आसान इंटरनेट एक्सेस की वजह से पोर्नोग्राफिक कंटेंट परोसने में कोई दिक्कत नहीं आती है। हालांकि, भारतीय टेलीकॉम रेगुलेटरी TRAI लगातार इस तरह के कंटेंट फैलाने वाली वेबसाइटस और OTT प्लेटफॉर्म्स को बैन करती है, लेकिन अश्लील और पोर्न कंटेंट यूजर्स को आसानी से ऑनलाइन मिल जाते हैं। भारत में पोर्न फिल्म बनाने वाले मेकर्स अपने कंटेंट को इंटरनेट पर VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क के जरिए अपलोड करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें ट्रैक करने में एजेंसियों को दिक्कत आती है। वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क इस्तेमाल करने की वजह से इन वेबसाइट्स और OTT प्लेटफॉर्म्स का लोकेशन सही नहीं होता है।
राज कुंद्रा का पोर्न कनेक्शन
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2021 में भारत का हार्ड और सॉफ्ट पोर्न इंडस्ट्री का कारोबार 3,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का था। 19 जुलाई 2021 को बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा को पोर्नोग्राफिक कंटेंट शूट करने और डिस्ट्रीब्यूट करने की वजह से गिरफ्तार किया गया था। राज कुंद्रा पर IT एक्ट की कई धाराएं लगाई गयी थी। हालांकि, राजकुंद्रा के वकीलों ने दलील दी कि उनके ऐप पर पोर्न मूवी नहीं बल्कि इरोटिक मूवीज शूट की जाती हैं। हालांकि, पोर्न और इरोटिक मूवीज के बीच में बेहद कम अंतर होता है। कई एक्ट्रेस और मॉडल ने राज कुंद्रा और उसके ऐप HotShots पर धोखे से पोर्न मूवी शूट करने का आरोप लगाया था। फिल्मों में काम दिलाने के झांसे देकर कलाकारों से इरोटिक मूवीज में काम कराया जाता है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी का बड़ा बाजार
भारत ही नहीं दुनियाभर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर पूरी तरह से बैन लगा है, लेकिन फिर भी चाइल्ड पोर्नोग्राफिक कंटेंट इंटरनेट पर मिल जाते हैं। चाइल्ड पोर्नोग्राफी का मतलब है किसी सेक्सुअल कंटेंट में माइनर यानी 18 वर्ष से कम आयु के किशोरों, बच्चों को दिखाना, उनके वीडियोज, फोटोग्राफ्स या अन्य डिजिटल कंटेंट को पब्लिश और शेयर करना है।
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पिछले एक दशक में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है। NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1998 में कई वेबसाइट्स के खिलाफ 3 हजार से ज्यादा चाइल्ड पोर्न कंटेंट के केस रजिस्टर्ड किये गये थे। कुछ साल बाद 2014 तक चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 1 लाख से भी ज्यादा केस हर साल रजिस्टर्ड किए जाते थे। 2014 में पहली बार चाइल्ड पोर्नोग्राफी के 1 मिलियन यानी 10 लाख से ज्यादा केस रजिस्टर्ड किये गये। यह आंकड़ा पिछले दो साल में बढ़कर 2 मिलियन यानी 20 लाख से ऊपर पहुंच गया है।
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