Counterfeit Medicines: कही आप नकली दवाओं का शिकार तो नहीं बन रहे? जानें कितना बड़ा है कारोबार
भारत में नकली दवाओं का बाजार हजारों करोड़ रूपये का है। केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी इस पर लगाम नहीं लग रही है।
Counterfeit Medicines: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (World Health Organization) की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में नकली दवाओं का व्यापार बहुत तेजी से फैलता जा रहा है। गौरतलब है कि कई देशों में इन नकली दवाओं का कारोबार कुल मेडिकल कारोबार का 10 प्रतिशत तक पहुंच गया है। 2019 में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस की वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में बेची जाने वाली दवाओं में 20 प्रतिशत तक नकली थी। जबकि 2018 में सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने अनुमान लगाया कि भारतीय बाजार में 4.5 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की क्वालिटी घटिया है। एक अनुमान के मुताबिक, कोरोना काल में साल 2020-2021 में भारत में नकली मेडिकल उत्पादों की घटनाओं में लगभग 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
भारत है 'दुनिया की फार्मेसी'
पिछले दिनों ही केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारत विश्वस्तरीय दवाओं का उत्पादन करता है, इसलिए देश को फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड (दुनिया की फार्मेसी) के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका में जेनेरिक दवाओं की कुल मांग का 50 प्रतिशत भारत से जाता है। इतना ही नहीं अमेरिका की जरूरत की 40 प्रतिशत और और यूके की 25 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति भारत करता है। भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 60 प्रतिशत और WHO के अनिवार्य टीकाकरण अभियान में लगने वाली कुल वैक्सीन का 70 प्रतिशत उत्पादन करता है।
कितना बड़ा है नकली दवाओं का कारोबार
इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने एक कार्यक्रम के दौरान खुलासा किया कि भारतीय फार्मा उद्योग (Indian Pharma Industry) के 2030 तक 130 अरब डॉलर तक बढ़ने की संभावना है। इस तरह भारत दुनिया में सबसे अधिक दवाओं को बेचने वाला देश बन जायेगा। वर्तमान में यह 49 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और यह दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा फार्मा उद्योग है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के 200 से अधिक देशों को दवाओं की आपूर्ति करता हैं।
मेडिकल के इतने बड़े बाजार में नकली दवाओं का बाजार कितना बड़ा है, उसके आकंडे पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से भी कभी इसके आधिकारिक आकंड़े जारी नहीं किये गये हैं। हालांकि, ASSOCHAM की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नकली दवाओं का कारोबार करीब 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ऊपर का बताया गया हैं।
एनआईटी कुरुक्षेत्र के रिसर्च स्कॉलर सौरभ वर्मा, राजेंद्र कुमार और पीजे फिलिप की एक रिपोर्ट के अनुसार नकली दवाओं में भारत की भागीदारी पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट का कहना है कि दुनिया में नकली दवाओं का कारोबार तकरीब 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है। इसमें सबसे ज्यादा नकली दवाओं का प्रोडेक्शन भारत में होता है। भारत के अलावा 7 प्रतिशत इजिप्ट की और 6 प्रतिशत चीन की नकली दवाओं के बाजार में हिस्सेदारी हैं। इसके अलावा, हर साल 3000 से ज्यादा मौतें दुनिया भर में नकली दवाओं के कारण होती हैं।
भारत को चाहिए ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग लैबोरेट्री
गुणवत्ता की जांच में विफल होने के बाद कर्नाटक में जन औषधि केंद्रों से 632 दवाओं को वापस लेना पड़ गया था। जबकि पिछले 4 वर्षों में 52 दवाओं के 106 बैचों के नकली पाये जाने के चलते उन्हें बाजार से हटवा दिया गया। मगर, भारत में दवाइयों की गुणवत्ता की जांच बेहद कम होती है और साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार नहीं है। जिसके चलते भारत में दवा की गुणवत्ता का हर मानकों पर परीक्षण नहीं हो पाता है और नकली दवाओं के कारोबार को तेजी मिल जाती है।
साल 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिस प्रोग्राम के तहत, भारत में केवल 47 दवा परीक्षण सुविधाएं और केवल छह केंद्रीय प्रयोगशालाएं थीं। जो हर साल केवल 8,000 नमूनों का परीक्षण कर रही थीं। इसके अलावा, देश में सिर्फ 20-30 परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं जो यह बता सकती हैं कि कोई दवा नकली है या नहीं।
यूपी, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में फैला है नकली दवाओं का बाजार
देशभर में हर दूसरे या तीसरे दिन खबरें छपती रहती है कि इतने करोड़ की नकली दवाई पकड़ी गयी। इतनी दवाओं को नष्ट किया गया या सील किया गया। ABP की एक रिपोर्ट की माने तो सिर्फ उत्तर प्रदेश में साल 2020-21 में कुल 38 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की गयी थीं। साल 2021-22 में कुल 20 करोड़, 70 लाख रुपए की नकली दवाएं जब्त हुई। वहीं 2022-23 में सितंबर तक 8 करोड़, 61 लाख रुपये की नकली दवाएं जब्त हो चुकी हैं।
जबकि उत्तराखंड में नकली दवाओं के अवैध कारोबार पर नकेल कसने में जुटी सरकारी एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 4 साल में इस पहाड़ी राज्य में 40 करोड़ रूपये से ज्यादा मूल्य की नकली दवाओं की खेप पकड़ी गयी है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक समेत देश के कई हिस्सों से करोड़ों की नकली दवाइयों का खेप पकड़े जाने की खबरों ने सुर्खियाँ बटोरी थीं।
बाजार में कैसे पहुंचती हैं नकली दवाएं
बिजनेस स्टैंडर्ड को दिये अपने एक बयान में ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (एएसपीए) के अध्यक्ष नकुल पसरीचा का कहना है कि जिन बाजारों को बड़े पैमाने पर दवा वितरित की जाती हैं (उदाहरण के लिए आगरा), वहां कुछ वितरक असली दवाओं की खेप में नकली दवाएं मिला देते हैं। इसे केमिस्ट के पास भेज देते हैं। केमिस्ट कई बार जाने-अनजाने में अपराध के भागीदार बन जाते हैं और कई मामलों में वे खुद शामिल भी होते हैं। साथ ही वे बताते हैं कि WHO के एक विश्वव्यापी अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में वितरित की जाने वाली 10 दवाओं में से एक दवा नकली या घटिया है। भारत में सीडीएससीओ ने 2009 और 2016 में अध्ययन किया और पाया कि घटिया दवाओं की दर लगभग 4 प्रतिशत थी। इसमें से नकली दवाएं लगभग 0.3 प्रतिशत थीं। साथ ही पसरीचा के अनुसार कोविड-19 के दौरान ऐसी शिकायतों की संख्या में 47 फीसदी की वृद्धि हुई हैं।
बड़े ब्रांड की दवाइयों का होता नकली कारोबार
22 नवंबर 2022 को हिमाचल में राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने गुप्त सूचना के आधार पर नकली दवाओं को लेकर छापेमारी की थी। इसमें करोड़ों की कीमत की नकली दवाएं, कच्चा माल, मशीनरी, नामी कंपनियों के ब्रांड नाम से प्रिटेंड फायल पेपर, कार्टन व स्टीकर कब्जे में लिये गये थे। जब्त की गई दवाओं में सिप्ला, जायडस कैडिला, यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड, आईपीसीए लैबोरेट्रीज, मैकलियोड्स फार्मास्यूटिकल्स, सिग्नोवा हैल्थकेयर, राइन लाइफ साइंसेस, हिमार इंडिया, मार्टिन एंड हैरिस और टोरेंट फार्मास्युटिकल्स जैसी प्रसिद्ध कंपनियों के नाम से प्रमुख निर्मित दवा ब्रांड्स शामिल हैं।
कोर्ट ने नकली दवाओं को 'आतंकवाद' से जोड़ा
दिल्ली की एक अदालत ने कैंसर की नकली दवा आपूर्ति करने के वाले एक आरोपी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि नकली दवाओं का खतरा, हत्या या आतंकवाद से कम गंभीर अपराध नहीं है। विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने एकांश वर्मा को जमानत देने से साफ मना कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि नकली दवाओं के खतरे को किसी भी मायने में हत्या या यहां तक कि आतंकवाद जैसे अपराध से कम गंभीर नहीं माना जा सकता है।
QR Codes बतायेंगे असली व नकली दवा की पहचान
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नकली दवाओं के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार अब दवाओं पर QR कोड लगाने जा रही है। सरकार ने सबसे अधिक बिकने वाली दवाओं के लिए 'ट्रैक एंड ट्रेस' सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है। पहले चरण में सबसे अधिक बिकने वाली 300 दवाएं अपने पैकेजिंग लेबल पर बारकोड या क्यूआर कोड प्रिंट करेंगी, जिसे स्कैन करने से दवा के बारे में असली व नकली होने की जानकारी मिल जायेगी।
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