श्रीश्री रवि शंकर के इस लेख में छिपे हैं दिन में 400 बार मुस्कुराने के राज
[श्रीश्री
रवि
शंकर]
योग
के
लाभ
अनन्य
हैं।
सबसे
पहले
तो
यह
हमारे
स्वास्थ्य
को
बेहतर
बनानता
है।
योग
से
हमें
चिंता
मुक्त
और
तनाव-मुक्त
रहने
के
लिये
साधन
और
तकनीक
मिलते
हैं।
योग
मानव
जीवन
का
सबसे
बड़ा
धन
है।
धन
क्या
है?
धन
का
उद्देश्य
प्रसन्नता
और
आराम
देना
है।
योग
इस
दृष्टिकोण
से
धन
ही
है
क्योंकि
यह
हमें
पूर्ण
आराम
देता
है।
हिंसा मुक्त समाज, रोग मुक्त शरीर, संभ्रांति मुक्त मन, शंका रहित बुद्धि, सदमा रहित स्मरण शक्ति और एक दु:ख रहित आत्मा, प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
पूरे विश्व की संसद सत्ता के एक ही ध्येय को पाने का प्रयत्न कर रही है वह है प्रसन्नता। हम सबको अपने लोगों के लिये प्रसन्नता-घटक को पाया जा सकता है। हम समझते हैं कि योग केवल एक व्यायाम है। 80 और 90 के दशक में जब मैं यूरोप में जाता था तो आम लोगों का समाज आसानी से योग को स्वीकार नहीं करता था। आज मैं प्रसन्न हूं कि एक जागृति आयी है और लोगों ने योग के महत्व को पहचाना है।
विज्ञापनों में क्यों दिखाई जाती है ध्यान मुद्रा
पूरे विश्व में योग विश्राम, प्रसन्नता और क्रियात्मकता का पर्यायवाची बन गया है। यहां तक कि बड़ी कंपनियां अपने विज्ञापनों में आंतरिक शांति प्रदर्शित करने के लिये लोगों को योग की स्थिति या ध्यान मुद्रा में बैठे दिखाते हैं। हम इस बात को पसंद करें या न करें, हम सब जन्म से योगी ही हैं।
हम एक बच्चे को देखें तो हम समझ जायेंगे कि योग शिक्षक की आवश्यकता ही नहीं है। विश्व में कोई भी बच्चा 3 महीने से 3 वर्ष की उम्र तक योग के सारे आसन करता है। सांस लेना, जिस तरह वे सोते हैं, जिस तरह से वे मुस्कुराते हैं, यह सब योग है। एक बच्चा एक योग शिक्षक होता है, एक योगी होता है। इसी लिये बच्च तनाव मुक्त होता है, उसमें प्रसन्नता होती है वह दिन में 400 बार मुस्कुराता है।
जीवन में कई परिवर्तन लाता है योग
योग का एक और महत्वपूर्ण लाभ है कि वह व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन लाता है, क्योंकि व्यवहार व्यक्ति के तनाव के स्तर पर निर्भर करता है। यह लोगों में मैत्रीपूर्ण चित्तवृत्ति और प्रसन्नचित वातावरण का निर्माण करता है। योग हमारी तरंगों को बेहतर बनाता है। हम अपनी उपस्थिति से बहुत कुछ प्रेषित करते हैं, अपने शब्दों से भी अधिक।
कवैंटम मकैनिक की भाषा में बोलें तो हम सब तरंगें या लहरें छोड़ते हैं। जब हमारा किसी के साथ संचार टूट जाता है, तो हम प्राय: कहते हैं कि "हमारी तरंगें नहीं मिलतीं"। क्योंकि हमारी संचार करने की क्षमता हमारी संचार ग्रहण करने की क्षमता पर निर्भर करती है। यहां योग हमें मानसिक स्पष्टता पाने में सहायता करता है। योग हमारे अंदर कुशलताओं को विकसित करने में सहायता करता है।
जोड़ने का काम करता है योग
योग के प्रस्तोता कृष्ण भगवान ने 'भागवत् गीता' में कहा है, "योग कुशलता का क्रियान्वयन है।" योग केवल एक व्यायाम नहीं है अपितु यह आप किसी परिस्थिति में किस प्रकार संचार और क्रिया करते हैं, की कुशलता है। (किसी भी परिस्थिति को संचारित और क्रियान्वित करने की क्षमता है) नयापन, पूर्वाभास, कुशलता और बेहतर संचार यह सब योग के प्रभाव हैं।
योग सदैव अनेकता में एकता को बढ़ावा देता है। योग शब्द का अर्थ ही जोड़ना है, जीवन और अस्तित्व के विपरीत अंगों को जोड़ना। अब चाहे तो कोई व्यवसायिक हो, सामाजिक व्यक्तित्व हो या व्यक्तिगत व्यक्ति हो, हमें शांति चाहिये, हम मुस्कुराना चाहते हैं, हम प्रसन्न रहना चाहते हैं। प्रसन्नता तभी संभव है जब हम अप्रसन्नता के मूल कारण को ढूंढें। अप्रसन्नता अदृश्यता (संकुचित सोच), चिंता और तनाव के कारण होती है।
अवसाद को दूर करने वाला योग
यूरोपियन यूनियन में जीडीएच के विषय में काफी बात करते हैं। जीडीपी से हम जीडीएच की ओर बढ़ रहे हैं। यहां (योग में) कुछ ऐसा है जिससे उसमें सहायता मिल सकती है और यह एक और यह एक अत्यंत लाभदायक औजार (साधन) साबित हो सकता है।
वर्तमान में हमारे जन जीवन का बड़ा भाग अवसाद से ग्रसित है। प्रोजैक नाम की अवसाद घटाने वाली दवा खा लेने भर से मदद नहीं मिलती। हमें कुछ ऐसा चाहिये जो प्राकृतिक हो, इतना प्राकृतिक हो, इतना प्राकृतिक जितना हमरा श्वास, वह जिसके प्रयोग से हमारी आत्मा ऊपर उठे। योग का उद्देश्य है हमारे दैनिक जीवन में होने वाली, चिंता, तनाव और परिस्थितियां, जिनका हमें सामना करना पड़ता है, के होते हुए भी हमारे चेहरे पर मुस्कुराहट लाना।