100 years of Indira Gandhi: जानिए इंदिरा गांधी को किसने कहा था 'प्रियदर्शिनी'?
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति के फलक पर श्रीमती इंदिरा गांधी का अवतरण ऐसे समय में हुआ था जब देश नेतृत्व के संकट से जूझ रहा था। शुरू में 'गूंगी गुडि़या' कहलाने वाली इंदिरा ने अपने चमत्कारिक नेतृत्व से न केवल देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की धाक जम दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने बातचीत में बताया इंदिरा एक कुशल प्रशासक थीं। उनके सक्रिय सहयोग से बांग्लादेश अस्तित्व में आया। जिससे इतिहास और भूगोल दोनों बदल गए। बचपन से ही इंदिरा में नेतृत्व के गुण मौजूद थे। भारत के आजादी के आंदोलन को गति प्रदान करने के लिए इंदिरा ने बचपन में ही वानर सेना का गठन किया था। पंडित नेहरू और कमला नेहरू की इकलौती पुत्री इंदिरा जी का जन्म 19 नवंबर 1917 को हुआ था। इन्दिरा को उनका 'गांधी' उपनाम फिरोज़ गांधी से विवाह के पश्चात मिला था। इंदिरा जी ने अपनी शिक्षा शान्तिनिकेतन से पूरी की। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे 'प्रियदर्शिनी' नाम दिया था।
Read Also:जब इंदिरा गांधी ने सोनिया से कहा, डरो मत...मैंने भी प्यार किया है...
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एक राज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं। श्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे।
आम चुनाव में पहली बार हार का सामना
1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया। उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।
विश्व मानचित्र पर देश का दबदबा
इंदिरा जी को आधुनिकता को बढ़ावा देने वाली प्रगतिशील महिला कहा जाता है। उन्होंने बहुत से ऐसे काम किये जिससे विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा। उन्होंने भारत की विदेश नीति को नए तेवर दिए बांग्लादेश का बनना उनमें से कुछ उदाहरण हैं। इससे उन्होंने विश्व मानचित्र पर देश का दबदबा कायम किया।
बहुत बड़ी जन नायक
रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन में पढ़ाई करने वाली इंदिरा बचपन में काफी संकोची स्वभाव की थी।अपनी राजनीतिक पारी के शुरूआती दिनों में गूंगी गुडि़या के नाम से जानी जाने वाली इंदिरा बाद के दिनों में बहुत बड़ी जन नायक बन कर उभरी। वह एक प्रभावी वक्ता भी थी जो अपने भाषणों से लोगों को मंत्रामुग्ध कर देती थी। प्रोफेसर बहादुर ने कहा कि इंदिरा गांधी कभी भी अमेरिका जैसे राष्ट्रों के सामने झुकी नहीं।
संजय के निधन से उन्हें काफी दुख पहुंचा था
इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में लगभग 10 सालों तक शामिल रहे कर्ण सिंह ने कहा था कि संजय के निधन से उन्हें काफी दुख पहुंचा था लेकिन राजीव से उन्हें काफी संबल मिला। यह पूछे जाने पर कि क्या इंदिरा गांधी ने वंशवाद को बढ़ावा दिया, उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। संजय हो या राजीव सभी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीत कर आए थे। उन्होंने इन नेताओं को राष्ट्र पर थोपा नहीं था।