पुलिस जुटा रही है जानकारी , पूर्व सीएम के पुत्र अभिषेक सिंह और सांसद संतोष पांडेय के पास कितनी है संपत्ति?
कवर्धा (कबीरधाम), 22 जनवरी। छत्तीसगढ़ के कवर्धा में हुए सांप्रदायिक दंगे को लेकर की जा रही पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए अब आरोपियों की संपत्ति का पता लगाना शुरू कर दिया है। पुलिस अपनी जांच में पूर्व सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह और मौजूदा सांसद संतोष पांडे समेत कई भाजपा नेताओं की संपत्ति पर जानकारी जुटा रही है।
कवर्धा दंगा मामले में जांच अभी भी जारी
बीते साल अक्टूबर में कवर्धा शहर में हुए सांप्रदायिक तनाव को लेकर छत्तीसगढ़ में जबरदस्त सियासत देखी गई थी। छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपनी जांच में कई भाजपा नेताओं को भी सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मामले में आरोपी बनाया था जिसका भाजपा ने खुलकर विरोध भी किया था। मामला अभी पूरी तरह से शांत भी नहीं हुआ है कि अब पुलिस अब इन्हीं भाजपा नेताओं की संपत्तियों का पता लगाने में भी जुट गई है।
अदालत को दी जाएगी संपत्ति की जानकारी
दरअसल
मिली
जानकारी
के
मुताबिक
कवर्धा
दंगे
के
मामले
में
पुलिस
आरोपियों
की
चल-अचल
संपत्ति
की
जांच
कर
रही
है।
कवर्धा
दंगा
मामले
में
हिंदू
और
मुस्लिम
दोनों
पक्षों
के
आरोपियों
को
अदालत
से
जमानत
मिल
चुकी
है,
लेकिन
मामले
में
पुलिस
की
जांच
जारी
है।
पुलिस
विभाग
ने
तहसील
कार्यालय
से
आरोपियों
की
संपत्ति
के
बारे
में
जानकारी
हासिल
की
है।
इसके
अलावा
उन
सम्पत्तियों
का
भी
पता
लगाया
जा
रहा
है
जो
रिकॉर्ड
में
नही
हैं।
एएसपी
मनीषा
ठाकुर
के
मुताबिक
दंगे
के
आरोपियों
की
चल-अचल
संपत्ति
से
जुड़ी
जानकारी
पुलिस
की
तरफ
से
अदालत
में
पेश
की
जाएगी।
हालांकि
पुलिस
इसे
महज
विवेचना
का
एक
हिस्सा
बता
रही
है।
अभिषेक सिंह, संतोष पांडेय समेत 15 हैं आरोपी
कवर्धा दंगा मामले में कुल 15 आरोपियों में प्रमुख तौर पर राजनांदगांव से भाजपा सांसद संतोष पांडे, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह, पूर्व विधायक मोतीराम चंद्रवंशी, अशोक साहू, विजय शर्मा समेत कई भाजपा नेता शामिल हैं। वहीं दूसरे पक्ष से भी कुछ लोगों के नाम हैं।
यह था मामला?
कवर्धा
में
3
अक्टूबर
2021
को
दो
पक्षों
के
बीच
साम्प्रदायिक
तनाव
के
बाद
दंगा
भड़क
गया
था।
दरअसल
कवर्धा
के
लोहारानाका
चौक
के
पास
लगे
हिन्दू
झंडे
को
हटाने
से
दो
पक्ष
भिड़
गए
थे।
हालात
इतने
बिगड़े
थे
कि
भीड़
की
तरफ
से
तोड़फोड़
और
आगजनी
किये
जाने
के
बाद
शहर
में
धारा
144
लागू
करनी
पड़ी
थी।
दंगे
के
बाद
5
अक्टूबर
को
विश्व
हिंदू
परिषद
ने
शहर
में
भाजपा
नेताओं
के
साथ
मिलकर
रैली
का
आयोजन
किया
था।
पुलिस
की
जांच
में
सामने
आया
कि
रैली
के
इस
दौरान
भी
शहर
में
तोड़फोड़
की
घटना
घटी
थी,
जिसके
बाद
कवर्धा
में
15
दिनों
के
लिए
कर्फ्यू
लगा
दिया
गया
था
।
यह भी पढ़ें IAS की प्रतिनियुक्ति के अधिकार पर केंद्र और राज्य के बीच नया विवाद.