आंदोलन को तेज करने के लिए हजारों वाहनों से साथ बड़ी संख्या में करनाल से दिल्ली की ओर रवाना हुए किसान
केंद्रीय कृषि कानूनों दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए आज करनाल से किसानों का एक जत्था दिल्ली के लिए रवाना हुआ।
नई दिल्ली, 23 मई। केंद्रीय कृषि कानूनों दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को और अधिक मजबूती देने के लिए आज करनाल से किसानों का एक जत्था दिल्ली के लिए रवाना हुआ। किसान भारी संख्या में ट्रैक्टर और अन्य वाहनों पर सवार होकर दिल्ली की ओर बढ़े। इस दौरान भारतीय किसान यूनियन (हरियाणा) के प्रमुख गुरुनाम सिंह ने कहा कि, 'हम करनाल से हजारों वाहनों के साथ जा रहे हैं। हम प्रत्येक सप्ताह एक जिले से लोगों को लेकर दिल्ली के लिए जाएंगे, ताकि विरोध स्थल पर लोगों की भीड़ बनी रहे।'
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पिछले
6
महीने
से
डटे
हुए
किसान
मालूम
को
कि
केंद्रीय
कृषि
कानून
के
विरोध
में
पिछले
लगभग
6
महीने
से
हरियाणा,
पंजाब
और
पश्चिमी
यूपी
के
किसान
दिल्ली
के
बॉर्डर
पर
डटे
हुए
हैं।
किसानों
का
कहना
है
कि
जब
तक
हमारी
मांगे
पूरी
नहीं
हो
जाती
तब
तक
हमारा
आंदोलन
चलता
रहेगा।
झुकने
को
तैयार
नहीं
केंद्र
सरकार
वहीं,
केंद्र
सरकार
भी
अपने
रुख
पर
अडिग
दिख
रही
है।
केंद्र
सरकार
ने
साफ
किया
है
कि
जब
तक
किसान
संगठन
तीनों
कानूनों
को
18
महीने
के
लिए
स्थगित
करने
के
प्रस्ताव
को
मान
नहीं
लेते,
तब
तक
आगे
की
बातचीत
संभव
नहीं
है।
यह भी पढ़ें: कमलनाथ के 'इंडियन कोरोना' वाले बयान पर भड़के शिवराज, कहा- देश का मनोबल तोड़ रहे पूर्व सीएम
कृषि
कानूनों
का
विकल्प
दें
किसान
बता
दें
कि
शनिवार
को
कृषि
कानूनों
पर
केंद्र
सरकार
का
पक्ष
रखते
हुए
कृषि
मंत्री
नरेंद्र
सिंह
तोमर
ने
कहा
कि
किसान
संगठनों
को
या
तो
कानूनों
के
प्रति
सकारात्मक
होना
चाहिए
या
फिर
हमें
कानूनों
को
निरस्त
करने
का
विकल्प
प्रदान
करें,
लेकिन
उन्होंने
अभी
तक
कोई
विकल्प
नहीं
दिया
है।
यदि
आने
वाले
दिनों
में
हमें
कोई
विकल्प
देते
हैं
तो
फिर
आगे
की
बातचीत
की
जाएगी।
मालूम
हो
कि
केंद्रीय
मंत्री
नरेंद्र
सिंह
तोमर
का
यह
बयान
ऐसे
समय
में
आया
है
जब
किसान
संगठनों
ने
पीएम
मोदी
को
पत्र
लिखकर
कृषि
कानूनों
पर
बातचीत
शुरू
करने
की
मांग
की
है।
तेज
करेंगे
आंदोलन
वहीं
किसान
संगठनों
ने
चेतावनी
दी
है
कि
यदि
सरकार
ने
25
मई
तक
कोई
सकारात्मक
प्रतिक्रिया
नहीं
दी
तो
फिर
26
मई
से
अपना
आंदोलन
और
तेज
कर
देंगे।
किसानों
ने
26
मई
को
आंदोलन
के
6
महीने
पूरे
होने
पर
ब्लैक
डे
मनाने
का
फैसला
किया
है।
वहीं,
सरकार
और
किसानों
के
बीच
कृषि
कानूनों
पर
कई
दौर
की
बातचीत
हुई
है
लेकिन
कोई
नतीजा
नहीं
निकल
सका।