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ऑक्सीजन की कमी पर छलका बत्रा हॉस्पिटल के डायरेक्टर का दर्द, कहा- 'पता नहीं, इस देश को कौन चला रहा है'

भारत में ऑक्सीजन का संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है। अब तक कई कोरोना मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ चुके हैं।

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नई दिल्ली, 4 मई। भारत में ऑक्सीजन का संकट दिनों दिन गहराता जा रहा है। अब तक कई कोरोना मरीज ऑक्सीजन की कमी के चलते दम तोड़ चुके हैं। शनिवार को दिल्ली के बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 12 कोरोना मरीजों की जान चली गई। वहीं, बीते सोमवार को कर्नाटक कोविड अस्पताल में कई मरीजों की मौत हो गई। देश के अस्पतालों में चल रही ऑक्सीजन की भारी कमी की स्थिति को बेहतर ढंग से समझने और इसका उपाय जानने के लिए इंडिया टुडे के परामर्श संपादक राजदीप सरदेसाई उच्च स्तरीय विशेषज्ञों से बात की। राजदीप ने उनसे कई अहम सवाल पूछे...

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Batra Hospital


सवाल- ये बताएं कि एक अस्पताल चलाना कितना मुश्किल है?
जवाब- इस प्रश्न का जवाब देते हुए दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल के चिकित्सा निदेशक डॉ. एससीएल गुप्ता ने बताया कि मैंने अपने जीवन में इससे बड़ी त्रासदी नहीं देखी जो मैं इस समय देख रहा हूं। मरीज मर रहे हैं क्योंकि हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है। कोविड मरीजों का इलाज करने के लिए ऑक्सीजन, दवाई और टीकाकरण की जरूर पड़ती है। कुछ भी उपस्थित नहीं है। सरकार कहती है कि हमारे देश में भारी मात्रा में ऑक्सीजन है। लेकिन मरीज मर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि इस देश को कौन चला रहा है। न्यायपालिका या कार्यपालिका?

पिछले 14 महीनों में सरकार क्या कर रही थी? किसी ने कुछ नहीं सीखा। अस्थाई अस्पताल विकल्प नहीं हैं। आप वहां ऑक्सीजन भेज रहे हैं, लेकिन जो अस्पताल बेहतर बने हुए हैं वहां नहीं भेज रहे। कृपया हमें ऑक्सीजन दें चाहे कैसे भी हो। हमें इसके लिए ऊपर से नीचे तक भीख मांगनी पड़ रही है। प्रत्येक 10-20 अस्पतालों में नोडल अधिकारी होने चाहिए। आपातकालीन स्थिति में 15-20 मिनट के अंदर ऑक्सीजन उपलब्ध होनी चाहिए ताकि मासूम लोगों की जान न जाए।

प्रश्न- कर्नाटक भी जूझ रहा है? समस्या कहां है?
उत्तर- इसका जवाब देते हुए कर्नाटक सरकार में कोविड टास्क फोर्स विशेषज्ञ कमेटी के सदस्य डॉ. विशाल राव कहते हैं कि कर्नाटक का स्वास्थ ढांचा न केवल शानदार है, बल्कि वह तरल ऑक्सीजन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है। यहां से पूरे देश को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।

समस्या ये है कि कर्नाटक में ऑक्सीजन की मांग दोगुनी हो गई है। यह बहुत की कठिन दौर है। इसके अलावा इसकी रसद में भी दिक्कतें आ रही हैं। निर्माताओं को सभी राज्यों के लिए आवंटन बढ़ाना होगा। तभी इस समस्या से निजात मिलेगी। इसके अलावा उन्हें इसके परिवहन में भी मदद करनी होगी। ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों को ग्रीन कॉरिडोर की आवश्यकता है।

प्रश्न- इसका समाधान क्या है?
उत्तर- इसके जवाब देते हुए चिकिस्ता विशेषज्ञ अरुण सेठी ने कहा कि भारी मात्रा में ऑक्सीजन छोटे नर्सिंग होम और क्लीनिक्स में पड़ी है। हमें इसका डाटा तैयार करना होगा। आवश्यक अस्पतालों को अपनी जरूरत के हिसाब से ऑक्सीजन तैयार करनी होगी। लोगों के दरवाजों पर ऑक्सीजन की आपूर्ति क्यों नहीं हो सकती। अगर किसी को जरूरत नहीं है तो वह अस्पताल क्यों जाए?

Comments
English summary
Doctor scl gupta said on oxygen deficiency - I do not know who is running this country after all
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