दिल्ली हाईकोर्ट का अनोखा फैसला, स्कूल में सैनिटरी पैड बांटने की शर्त पर महिला आरोपी का मुकदमा रद्द
नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को उसके खिलाफ दर्ज रंगदारी के मुकदमे को रद्द करने के लिए अनोखा फैसला सुनाया है। इसके लिए हाईकोर्ट ने महिला को एक बालिका स्कूल को दो महीने के लिए सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। साथ ही उच्च न्यायालय ने जबरन वसूली की शिकायत दर्ज कराने वाले वकील को दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (डीएचसीएलएससी) के कार्यालय में रिपोर्ट करने और नि:शुल्क (जनहित के लिए मुफ्त में किया गया) काम करने के लिए भी कहा।
मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि शिकायतकर्ता पर मुकदमा चलाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा क्योंकि दोनों पक्ष समझौता कर चुके हैं। हालांकि, मेरा मानना है कि पुलिस और न्यायपालिका का इस मामले में काफी समय बर्बाद हो गया है। ऐसे में महिला के खिलाफ दर्ज मामले को दो माह तक सैनिटरी पैड बांटने की शर्त पर रद्द किया जाता है।
100
से
ज्यादा
लड़कियों
वाले
स्कूल
में
वितरण
का
आदेश
दिल्ली
उच्च
न्यायलय
की
तरफ
से
महिला
को
सैनिटरी
पैड
100
से
ज्यादा
लड़कियों
वाले
स्कूलों
में
वितरण
का
आदेश
दिया
गया
है।
उच्च
न्यायलय
की
तरफ
से
इसकी
मॉनिटरिंग
का
भी
आदेश
दिया
गया
है।
आदेश
के
मुताबिक
100
से
कम
लड़कियों
वाले
स्कूलों
में
सैनिटरी
पैड
बांटना
शर्तों
का
उल्लंघन
होगा।
जानें
पूरा
मामला?
एक
महिला
की
तरफ
से
दिल्ली
हाईकोर्ट
में
याचिका
दायर
की
गई
थी।
याचिका
के
जरिए
महिला
ने
अपने
खिलाफ
एक
वकील
की
तरफ
से
दर्ज
कराए
गए
मुकदमों
को
रद्द
करने
की
मांग
की
थी।
महिला
के
खिलाफ
थाने
में
एक
वकील
ने
आरोप
लगाते
हुए
शिकायत
दर्ज
कराया
था
कि
याचिकाकर्ता
ने
उनसे
और
एक
सहयोगी
से
कानूनी
मदद
मांगी
थी।
लेकिन
फीस
का
भुगतान
नहीं
किया।
साथ
ही
वकील
ने
महिला
पर
दुर्व्यवहार
का
भी
आरोप
लगाया।
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