रिकॉर्डतोड़ गर्मी ने दिल्ली की आधी से ज्यादा आबादी को किया प्रभावित, WMO की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
नई दिल्ली, 14 सितंबर। देश की राजधानी में जिस तरह से लगातार पारा बढ़ रहा है उसको लेकर चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। विश्व मौसम विभाग की ओर से जो आंकड़ा जारी किया गया है उसके अनुसार मार्च और मई माह के बीच दिल्ली में रिकॉर्ड पांच पार लू ने लोगों पर कहर बरपाया है। जिसकी वजह से पारा बेहद ही खतरनाक 49.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। भारी गर्मी का असर दिल्ली में निम्न आय स्तर की तकरीबन आधी आबादी पर देखने को मिला है।
बढ़ते पारे ने बढ़ाई चिंता
विश्व मौसम संगठन की ओर से जो रिपोर्ट पेश की गई है उसका शीर्षक युनाइटेड इन साइंस है, इसे मंगलवार को रिलीज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दिल्ली में लंबे समय तक गरम मौसम की संभावना 30 गुना अधिक बढ़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक 1.6 बिलियन लोग जोकि 970 शहरों में रह रहे हैं उन्हें तीन महीने तक भीषण गर्मी का सामना करना होगा, जहां कम से कम पारा 35 डिग्री सेल्सियस होगा।
हर रोज जा रही 115 लोगों की जान
रिपोर्ट के अनुसार पिछले 50 सालों में प्राकृतिक आपदाओं की संख्या काफी बढ़ गई है, जिसकी वजह से रोजाना 115 लोगों की जान जा रही है और 202 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनहाउस गैस का स्तर लगातार बढ़ रहा है और यह अपने रिकॉर्ड स्तर पर है। कोरोना काल में जिस तरह से वाहनों पर ब्रेक लगी थी उसकी वजह से प्रदूषण स्तर काफी कम हुआ था, लेकिन अब एक बार फिर से यह कोरोना के पहले वाली स्थिति में पहुंच गया है।
1.5 डिग्री बढ़ेगा पारा
पेरिस समझौते में लक्ष्य रखा गया था कि कार्बन उत्सर्जन को 2030 तक कम किया जाएगा, लेकिन जो लक्ष्य रखा गया है उससे सात गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन फिलहाल हो रहा है। पेरिस समझौते में लक्ष्य रखा गया है कि 2030 तक पारे को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करना है। लेकिन पिछले सात साल सर्वाधिक गर्म रहे हैं। इस बात के 48 फीसदी संभावना है कि अगले पांच साल में से कम से कम एक साल पारा 1.5 डिग्री अधिक होगा।
शहरी आबादी से बढ़ रहा पारा
जिन शहरों में आबादी एक बिलियन से अधिक है वहां 70 फीसदी लोग कार्बन उत्सर्जन को बढ़ाने में योगदान करते हैं। जितनी अधिक आबादी होगी उतना ही अधिक पारा इन शहरों में बढ़ता है। बाढ़, सूखा, लू, आंधी, तूफान, जंगलों में आग लगातार बढ़ रहे हैं और चिंता को बढ़ा रहे हैं। यूरोप में लू, पाकिस्तान में बाढ़, चीन में सूखा, अफ्रीका और अमेरिका में भी सूखा बड़ी समस्या बन रही है। जिस तरह से लोग फॉसिल ईंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं उसकी वजह से यह चौंकाने वाली खबर नहीं है।