कोई नहीं सुलझा सका इस गुफा का रहस्य, जिसके पानी में घुला है सोना !
कांकेर, 26 मई। छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक पहाड़ी है,जिसका रहस्य आज तक सुलझ नहीं सका है। बस्तर संभाग के कांकेर जिले से 80 किमी दूर दुर्गूकोंदल ब्लाक के ग्राम लोहत्तर में एक पहाड़ी स्थित है,इस पहाड़ी में एक गुफा स्थित है ,जिसमे सोनदाई देवी का मंदिर है। सोनादाई पहाड़ी और गुफा अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है।
सोनादाई पहाड़ी की गुफा में छुपे है अनसुलझे रहस्य
बताया जाता है कि आज तक कोई भी सोनादाई गुफा की गहराई को नहीं माप सका है। इस गुफा के भीतर एक जलकुंड है। आसपास के करीब 300 से अधिक गांव के लोगो के बीच यह मान्यता प्रचलित है कि इस जलकुंड के पानी से नहाने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। सोनादाई में प्रतिवर्ष माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि में विशाल मेला भी लगता है,इस दौरान पूरे छत्तीसगढ़ से लोग सोनादाई के दर्शन करने कांकेर पहुंचते हैं।
नदियों में बहता है सोना
सोनादाई गुफा के जलकुंड का पानी का एक नदी में जा कर मिलता है, माना जाता है कि सोनदाई की पहाड़ी से सोना निकलता है, जो नदी के पानी में जाकर मिल जाता है। आज भी कांकेर में बहने वाली कोटरी के संगम घाट में नदियों से सोना के छोटे छोटे कण मिलते हैं ,जिसे स्थानीय ग्रामीण बड़ी मेहनत से छानकर पानी से अलग करके बेच देते हैं। इस क्षेत्र में रहने वाली एक विशेष जाति "सोनझरिया समुदाय " के लोगो कई पीढ़ियों से नदी से सोना निकालने का काम करते आ रहे हैं।
लोककथाओं में आता है सोने के पेड़ का ज़िक्र
स्थानीय जनश्रुतियों के मुताबिक सैकड़ों साल पहले एक चरवाहा अपनी बकरी को चराने के लिए सोनादाई पहाड़ पहुंचा था। बकरी चराने के दौरान उसे एक चमकता हुआ पेड़ दिखाई दिया, उसने वह फूल तोड़कर अपनी बकरी को पहना दिया, जिसे स्थानीय राजा धर्मराज ने देखा। जब राजा ने पहाड़ी में जाकर चमकदार पेड़ देखा,तो वह हतप्रभ रह गया, क्योंकि वह सोने का पेड़ था।
राजा ने पेड़ को उखाड़ने के लिए के लिए 9 लाख मजदूरों की मदद से काफी दिनों तक खुदाई करवाई,लेकिन वह असफल रहा। कहते है कि खुदाई इतनी गहरी हो गई कि सारे मजदूर उसके भीतर ही दब गए,आखिर में राजा ने पेड़ ले जाने की अपनी जिद छोड़ दी। आज भी सोनादाई पहाड़ी में मजदूरों की बनाई पत्थर की दीवार टूटीफूटी अवस्था में देखी जा सकती है।
अंग्रेजों से लेकर भारत सरकार भी करवा चुकी सर्वे
पुराने जानकार बताते हैं कि सोनादाई पहाड़ी में सोना का पेड़ होने की बातें सुनकर अंग्रेजों ने भी उसे खोजने की बहुत कोशिश की थी। इसी प्रकार भारत सरकार ने भी 90 की दशक में यहां सोना खोजने सर्वे किया था। भले ही कई प्रयासों के बावजूद कोई सोनादाई में छुपे सोने के भंडार को नहीं खोज सका हो, लेकिन कांकेर के कई गांवो में लोग नदियों से साेना निकालकर अपना जीवनयापन करते हैं। जब भी आसमान से पानी बरसता है ग्रामीण पहाड़ो से रिसकर नदी में घुल रहे पानी को छानकर उससे सोना निकालने में जुट जाते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि यह सोना उन्हें उनकी इष्टदेवी सोनादाई के आशीर्वाद से ही मिल पाता हैं।
यह भी पढ़ें यह रील लाइफ की नहीं, रियल लाइफ की हीरोइन है, मिलिए छत्तीसगढ़ की पहली महिला IPS अंकिता शर्मा से