जानिए वो 4 वजह, जो देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन Save Rahul में थीं बाधा
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के खरौदा विकासखंड के गांव पिहरीद में बोरवेल से 11 साल के बच्चे राहुल साहू को बाहर निकालने के लिए 105 घंटे तक चले देश के सबसे बड़े सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बचाव दल को काफी दिक्कतों का साम
जांजगीर-चांपा, 15 जून। छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के खरौदा विकासखंड के गांव पिहरीद में बोरवेल से 11 साल के बच्चे राहुल साहू को बाहर निकालने के लिए 105 घंटे तक चले देश के सबसे बड़े सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान बचाव दल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राहुल को बचाने का अभियान भारत के इतिहास का सबसे लम्बा सफल रेस्क्यू ऑपरेशन कैसे बन गया, उसके 4 कारण हम आपको बताने जा रहे हैं।
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मुखबधिर है राहुल
देश में ऐसी कई घटनाये घटी हैं, जिसमें बोरेवल के होल में गिरने के बाद बच्चों को लम्बे ऑपरेशन के बाद बचा लिया गया। कुछ मामलों में ऑपरेशन बेहद लम्बे चले, लेकिन बच्चों को बचाया नहीं जा सका। राहुल साहू के मामले में 105 घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद ही उसे बोरवेल से सुरक्षित निकाला जा सका, जिसके बाद यह भारत का सबसे लम्बा सफल रेस्क्यू ऑपरेशन साबित हुआ। जैसे ही राहुल के बोरवेल में गिरने की घटना चर्चाओं में आई, उसकी तुलना 2006 में हरियाणा के करनाल में बोरेवल में गिरे प्रिंस से होने लगी।
लेकिन यहां यह साफ होना जरुरी है कि राहुल प्रिंस की तरह सामान्य बच्चा नहीं है। क्योंकि राहुल मुखबधिर है, वह रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने वालों के साथ सही तरीके से बातचीत नहीं कर पा रहा था, इसलिए उसे बचाने में रेस्क्यू टीम के पसीने छूट गए। एनडीआरएएफ के अफसरों का कहना है कि अगर राहुल उनके सम्पर्क प्रयासों पर प्रतिक्रिया देता, तो उसे बचाने में 105 घंटे ना लगते।
चट्टान बनी रोड़ा
राहुल साहू को बचाने के लिए 60 फीट गहरे बोरवेल के गड्डे तक पहुंचने के लिए पहले बड़ी खुदाई की गई, उसके बाद सुरंग बनाकर राहुल तक पहुंचा गया। इस दौरान रेस्क्यू ऑपरेशन टीम को सुरंग बनाने में काफी वक़्त लग गया, क्योंकि शुरुवाती खुदाई में जेसीबी और ड्रिल मशीन के माध्यम से सुरंग बनाने में मदद मिली, लेकिन आगे चलकर एक बड़ी चट्टान सामने आ गई।
प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक सुरंग का मार्ग राहुल से केवल कुछ मीटर की दूरी पर था, तब ड्रिलिंग रोकनी पड़ी, क्योंकि इससे टनल के ढहने का खतरा हो सकता था। इसके अलावा राहुल को भी नुकसान पहुंच सकता था। तब तय किया गया कि बाकि की सुरंग साधारण टूल लेकर हाथ से ही खोदी जाएगी। हाथ से सुरंग खोदने की वजह से राहुल के करीब पहुंचकर भी उसे बाहर निकालने में काफी वक़्त लग गया।
मौसम और बढ़े वाटर लेवल ने बढ़ाई चिंता
राहुल को बचाने के लिए कुल 5 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा, इस दौरान बचाव दल को कई बार मौसम बिगड़ने की वजह से बीच में अपना काम रोकना पड़ा। NDRF को कभी तेज धूप, कभी आंधी तो कभी बारिश होने के कारण सुरंग खोदने का काम रोकना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती तब सामने आई, जब जमीन के भीतर का जल स्तर बढ़ने लगा।
जल स्तर बढ़ने से बोरेवल के गड्ढे में फंसे राहुल के पानी में डूबने का खतरा मंडराने लगा, जिसके बाद प्रशासन ने पूरे गांव में मुनादी करवाकर सभी घरों के बोरेवल चालू करवा दिए। इसके अलावा गांव के पास बने बांध से भी पानी छोड़ा गया। काफी पानी बहाये जाने के बाद गांव का वाटर लेवल कम हुआ, तब जाकर टनल बनाने का काम फिर शुरू किया गया।
जब रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान दिखाई दिया सांप
छत्तीसगढ़ के जांजगीर में लगातार पांच दिनों तक चले देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन में 11 साल के मासूम राहुल को 60 फीट नीचे बोरवेल में से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।शुक्रवार 10 जून की दोपहर शुरू हुए बचाव अभियान को मंगलवार की रात करीब पौने 12 बजे खत्म करके राहुल साहू को बोरवेल तक पहुंचने के लिए बने सुरंग से बाहर निकाल लिया गया। लेकिन इन पांच दिनों के 105 घंटो के दौरान सबसे दिलचस्प बात यह है कि जमीन के 60 फीट भीतर अंधेरी सुरंग में फंसे राहुल के साथ एक सांप और मेढ़क थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने के बाद जांजगीर के कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला ने राज खोलते कहा कि हम काफी चिंतित थे, क्योंकि राहुल की मॉनिटिरंग के लिए बोरवेल में डाले गए कैमरे में सांप भी दिखाई दे रहा था। कैमरे में साफ तौर पर एक सांप और मेढक राहुल के साथ नजर आ रहे थे, लेकिन राहुल की जीवटता का ही परिणाम है कि उसे सुरक्षित बाहर निकाला जा सका है।
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