लापरवाही या चालाकी: भारतीय रिजर्व बैंक को भी नहीं पता, नोटबंदी के बाद 11 दिन में छापे कितने नोट
भारतीय रिजर्व बैंक को खुद भी नहीं पता है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद करीब 11 दिनों में कुल कितने नोटों की छपाई हुई है। हो सकता है बैंक बताना ही न चाह रहा हो।
नई दिल्ली। जहां एक ओर मोदी सरकार का दावा है कि नोटबंदी की घोषणा से बहुत पहले ही इसकी तैयारी शुरू हो गई थी और नए नोटों की छपाई होने लगी थी, वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक को खुद भी नहीं पता है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद 11 दिनों में कुल कितने नोटों की छपाई हुई है। मुंबई के एक आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगाली ने एक आरटीआई के जरिए 9 नवंबर से 19 नवंबर के बीच छपे नोटों के बारे में रिपोर्ट मांगी, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसकी जानकारी उसके पास भी उपलब्ध नहीं है। गलगाली ने पूछा था कि 9 नवंबर से 19 नवंबर के बीच 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 रुपए के कितने नोट छापे जा चुके हैं।
ऐसे
में
या
तो
वाकई
में
भारतीय
रिजर्व
बैंक
को
भी
नहीं
पता
है
कि
इस
दौरान
रोजाना
कितने
नोट
छप
रहे
थे
या
फिर
वह
इस
बारे
में
कुछ
बताना
नहीं
चाहता।
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
कहा
है
कि
सूचना
के
अधिकार
अधिनियम
2005
की
धारा
8
(1)
(g)
के
तहत
अगर
ऐसा
भारतीय
रिजर्व
बैंक
को
ऐसा
लगता
है
कि
मांग
गई
जानकारी
किसी
की
सुरक्षा
के
लिए
खतरनाक
साबित
हो
सकती
है
तो
बैंक
जानकारी
देने
से
मना
कर
सकता
है।
यह
जवाब
नेशनल
डिजास्टर
मैनेजमेंट
अथॉरिटी
के
पूर्व
वाइस
चेयरमैन
मैरी
शशिधर
रेड्डी
को
भेजी
गई
है
और
कहा
गया
है
कि
वह
चुनाव
आयोग
से
कहकर
भारतीय
रिजर्व
बैंक
को
यह
जानकारी
उजागर
करने
को
कहें।
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करते
हैं
पेटीएम
इस्तेमाल
तो
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खबर,
15
जनवरी
को
होने
वाला
है
बड़ा
बदलाव
रेड्डी
ने
कहा
है
कि
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
जवाब
से
यह
साफ
है
कि
वह
जवाब
नहीं
देना
चाहता
है।
रेड्डी
ने
यह
सवाल
उठाया
है
कि
क्या
अधिक
पैसे
छापे
गए
थे
और
उन्हें
उन
राज्यों
में
भेजा
गया
जहां
पर
चुनाव
होने
वाले
हैं?
इसके
जवाब
में
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
कहा
है
कि
बैंक
नोट
बेंगलुरु
के
भारतीय
रिजर्व
बैंक
नोट
मद्रास
प्रिंटिंग
लिमिटेड
और
नई
दिल्ली
के
सिक्योरिटी
प्रिंटिंग
एंड
मिंटिंग
कॉरपोरेशन
लिमिटेड
में
छापे
गए
थे
और
इस
सवाल
को
उनके
पास
भेज
दिया
गया
है।