MUST KNOW: क्या आप जानते हैं कोरोना मरीजों के इलाज पर रोजाना कितना खर्च करती है सरकार?
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 20 हजार को पार कर चुकी है। सरकार कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। देशभर में लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन की वजह से देश को रोजाना करोड़ों का आर्थिक नुकसान हो रहा है, लेकिन कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाया गया। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है।
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80 फीसदी मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कोरोना संक्रमित लगभग 80 प्रतिशत मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में किया जा रहा है। कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए रोज लाखों खर्च हो रहे हैं। ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि कोरोना मरीजों के इलाज में सरकार रोज कितना खर्च कर रही है। मरीजों के टेस्ट से लेकर उनके इलाज, दवाई, खाने-पीने, आइसोलेशन पर सरकार कितना खर्च करती हैं।
कोरोना मरीजों के इलाज पर खर्च
कोरोना के एक मरीज के इलाज पर कितना खर्च आएगा ये मरीज में संक्रमण की स्थिति पर निर्भर करता है। जैसे क्या मरीज को कोई दूसरी बीमारी है, उनकी उम्र क्या है? उसमें संक्रमण कहां तक पहुंच चुका हैं आदि। अगर इन सब बातों को किनारे कर एक सामान्य व्यक्ति में कोरोना संक्रमण होने पर इलाज के खर्च का पता लगाए तो ये औसतम करीब 20 से 25 हजार के बीच होता है। तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर के मुताबिक अगर कोरोना3 का सामान्य मरीज है, जिसे न तो वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत है ना ही उसे जीवनरक्षक उपकरण की जरूरत है तो उसके इलाज पर रोजोना 20 से 25 हजार रुपए का खर्च आता है।
14 दिन के इलाज में 3.5 लाख तक का खर्च
कोरोना मरीजों का इलाज कम के कम 14 दिनों तक चलता है। ऐसे में अगर औसत 14 दिनों के हिसाब से इस खर्च को कैलकुलेट करें तो यह लगभग साढ़े 3.5 लाख रुपए तक होता है। कोकोना मरीजों को तीन से पांच कोरोना टेस्ट निगेटिव आने के बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जाती है। कई मरीजों को 8 से 10 बार तक टेस्ट करने पड़ जाते हैं।
कोरोना के स्वैब टेस्ट का खर्च
अगर कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के स्वैब टेस्ट के खर्च की बात करें तो एक टेस्ट का खर्च 4500 रुपए के करीब है। यह रकम प्राइवेट लैब के लिए देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा तय की गई है। कोरोना टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली टेस्ट किट की कीमत 3000 रुपए है। इसमें अगर संक्रमित व्यक्ति को एंबुलेंस से अस्पताल तक लाने का खर्च,आइसोलेशन वार्ड में रखने का खर्च आदि जोड़ा जाए तो ये और अधिक हो जाता है।
कोरोना मरीजों पर दवाई का खर्च
अगर कोरोना मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़े तो रोजाना 25 से 30 हजार का खर्च और बढ़ जाता है। वहीं कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और नर्सों के लिए पीपीई किट्स अति आवश्यक है, जो कम से कम 1000 से 1500 रुपए का आता है। इसके अलावा कोरोना मरीजों के लिए मेडिसीन का खर्च औसतन 500 रुपए से 1000 रुपए तक का आता है।