UP Panchayat Chunav: योगेश राज ने भी जीता जिला पंचायत का चुनाव, बुलंदशहर हिंसा में है मुख्य आरोपी
बुलंदशहर, मई 04: 3 दिसंबर 2018 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के स्याना थाना क्षेत्र के चिंगरावठी गांव में गोकशी को लेकर हिंसा भड़क गई थीं। इस हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। दरअसल, स्याना हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज ने जिला पंचायत सदस्य पद पर जीत हासिल की है। योगेश राज ने अपनी प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय प्रत्याशी निरोध चौधरी को लगभग 21 मतों से पराजित किया है। योगेश राज को 2100 मत प्राप्त हुए है। बता दें कि योगेश अग्रवाल, वही शख्स है, जिस पर हिंसा भड़कने का आरोप है और 1 साल जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर चल रहा है।
बता दें कि, जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद योगेश राज ने स्याना तहसील के वार्ड-5 से जिला पंचायत सदस्य के लिए पर्चा दाखिल किया था। पर्चा दाखिल करने के बाद योगेश राज ने अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार भी किया। इस दौरान योगेश राज के विरूद्ध स्याना कोतवाली में कोरोना गाइडलाइन उल्लघंन करने का मुकदमा दर्ज हुआ था। दरअसल, कोतवाली प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि योगेश राज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ क्षेत्र के बिगराऊ गांव में कार व बाइक से रोड शो के माध्यम से अपने पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहा था। रोड शो में अधिकतर लोगों ने मास्क नहीं लगाए थे और शारीरिक दूरी के नियमों की भी जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही थी। इसी के तहत योगेश राज, सतीश, विपिन बजरंगी, सतेंद्र राजपूत सहित 55 अज्ञात लोगों पर कोरोना गाइडलाइन उल्लघंन का मुकदमा दर्ज किया गया था।
स्याना
हिसा
में
पुलिस
ने
योगेश
राज
को
बनाया
था
मुख्य
आरोपी
तीन
दिसंबर
2018
को
गोवंश
के
अवशेष
मिलने
के
बाद
स्याना
कोतवाली
की
चिगरावठी
पुलिस
चौकी
पर
खूनी
हिसा
हुई
थी,
जिसमें
तत्कालीन
स्याना
कोतवाल
सुबोध
कुमार
शहीद
हो
गए
थे
और
गोली
लगने
से
चिगरावठी
निवासी
युवक
सुमित
की
भी
मौत
हो
गई
थी।
इस
हिंसा
में
पुलिस
ने
योगेश
राज
समेत
80
लोगों
के
खिलाफ
केस
दर्ज
किया
था।
इसमें
27
आरोपी
नामजद
थे
और
बाकी
अज्ञात
थे।
अक्टूबर
2019
में
योगेश
को
मिली
थी
जमानत
योगेश
के
खिलाफ
नामजद
एफआईआर
थी।
हिंसा
भड़काने
का
मुख्य
आरोप
योगेश
राज
पर
लगा
था।
पुलिस
ने
उन्हें
3
जनवरी,
2019
को
गिरफ्तार
कर
जेल
भेज
दिया
था।
उनके
ऊपर
एनएसए
भी
लगाया
गया
था।
मामले
की
जांच
के
लिए
गठित
एक
विशेष
जांच
दल
(SIT)
ने
अदालत
में
दायर
आरोप
पत्र
में
उनके
ऊपर
लगाया
गया
एनएसए
हटा
दिया
गया
था।
योगेश
को
अक्टूबर
2019
में
जमानत
दे
दी
गई
थी।