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शरीर के किस हिस्से पर टैटू करवाना होता है सबसे दर्दनाक?

एक शख़्स को टैटू करवाने में जितना दर्द हो रहा हो, ज़रूरी नहीं कि दूसरे शख़्स को भी उतना ही दर्द हो. मगर सबसे ज़्यादा दर्द कहाँ होता है?

By BBC News हिन्दी
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टैटू
Getty Images
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ब्रिटिश साइंस एंड बायोलॉजी के अध्यापक नताली विल्सर ने अपने हाथ पर अल्बर्ट आइंस्टीन का एक टैटू बनवा रखा है. उनके पांव पर, कलाई पर और टखने पर भी कई अलग-अलग डिज़ाइन के टैटू हैं.

इन सभी टैटू में उनके लिए सबसे दर्दनाक इंस्टेप (पैर के ऊपरी हिस्से) और टखने पर टैटू करवाना रहा.

उन्होंने बीबीसी के पॉडकास्ट 'टीच मी लेसन' पर बताया, "दर्द, ख़ुद को सुरक्षित करने का एक तरीक़ा है और नर्व्स (तंत्रिकाएं) के कारण यह दर्द महसूस होता है."

उन्होंने पॉडकास्ट प्रेज़ेंटर बेला मैकी और ग्रेग जेम्स से बातचीत में कहा, "शरीर के जिस हिस्से में कम चर्बी होती है और तंत्रिकाएं अधिक होती हैं, वहां टैटू बनवाना सबसे अधिक दर्दनाक होता है."

विल्सर कहते हैं, "पांव और टखने के अलावा, पिंडली, आर्म-पिट्स (बगल), कंधे और पसलियों के पास का हिस्सा बेहद संवेदनशील होता है. हालांकि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि उसके शरीर का कौन सा हिस्सा कितना अधिक संवेदनशील है."

उन्होंने बताया, "जिस समय शरीर के हिस्से पर टैटू किया जा रहा होता है, यानी जिस समय सुई स्किन को पंक्चर कर रही होती है, उस समय तंत्रिकाएं मस्तिष्क को दर्द होने का संदेश भेजती हैं."

टैटू
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टैटू

लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि एक शख़्स को टैटू करवाने में जितना दर्द हो रहा हो, ज़रूरी नहीं की दूसरे शख़्स को भी उतना ही दर्द हो. दर्द का पैमाना अलग-अलग लोगों की अपनी संवेदनशीलता पर निर्भर करता है.

वह आगे कहते हैं कि एक शख़्स के बर्दाश्त करने की क्षमता भी, दूसरे शख़्स के बर्दाश्त करने की क्षमता से अलग होती है. ऐसे में दर्द का पैमाना अलग-अलग हो सकता है.

पहला टैटू

टैटू बनवाना सदियों से मानव-सभ्यता का हिस्सा रहा है. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टैटू की परंपरा रही, अलग-अलग नामों से. लेकिन दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात टैटू उत्ज़ी के शरीर पर पाया गया था. जिसे हिममपुरुष (आईसमैन) भी कहते हैं.

साल 1991 में इटली के आल्प्स क्षेत्र के दूर-दराज़ इलाक़े में यह ममी खोजी गई थी. यह क़रीब बीते 5000 सालों से बर्फ़ में दबी हुई थी.

विल्सर बताते हैं, "उत्ज़ी का टैटू हालांकि बेहद छोटा था. ये सिर्फ़ डॉट्स और डैशेज़ की मदद से बनाई गई आकृति जैसे थे. मानव-विज्ञानी मानते हैं कि ये किसी मेडिकल उद्देश्य के लिए एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट केनिशान भी हो सकते हैं."

वह आगे कहते हैं, "यह जानना अपने आप में दिलचस्प और हैरत में डालने वाला है कि उस समय भी लोग (यानी पाषाण-युग में और धातु-युग) में भी लोग टैटू का इस्तेमाल करना जानते थे और लोग इसका इस्तेमाल बेहद सही तरीक़े से करते थे."

इसके बाद धीरे-धीरे टैटू, कहानियां बताने का एक तरीक़ा बन गया.

विल्सर के मुताबिक़, "पौराणिक कथाओं के अनुसार, कैप्टन जेम्स कुक 18वीं शताब्दी के अंत में, बहुत से लोगों से मिले. प्रशांत क्षेत्र में अपनी यात्रा के दौरान वह ऐसे ढेरों लोगों से मिले जिन्होंने टैटू गुदवा रखा था. उनके दल के 90 फ़ीसद क्रू मेंबर्स ने अपनी यात्रा के दौरान मिले अनुभवों को ज़िंदा रखने लिए टैटू गुदवाए."

विल्सर कहते हैं, "ब्रिटिश नौ-सेना के सैनिकों को यह परंपरा विरासत में मिली और उन्होंने अपनी यात्राओं के टैटू बनवाने शुरू कर दिए. उन्होंने टैटू बनाने के लिए मूत्र और बारूद का इस्तेमाल किया."

19वीं सदी के अंत में टैटू मशीन अस्तित्व में आ चुकी थी. जोकि वास्तव में थॉमस एडिसन के प्रिंटर पर आधारित थी.

"यह 1875 में बनाई गई थी और उस समय से लेकर लेटेस्ट मॉडल तक इसमें बहुत अधिक बदलाव नहीं हुआ है. इसमें मौजूद सुई अभी भी एक मिनट में 50 से 3,000 बार स्किन में चुभती है."

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शरीर का सबसे बड़ा अंग

त्वचा शरीर अंदरुनी हिस्सों के लिए आवरण का काम करती है. हर 28 दिन में हमारी त्वचा नई हो जाती है.

ऐसे में सवाल उठता है कि यदि त्वचा नई हो जाती है, तो टैटू का रंग क्यों जस का तस बना रहता है?

प्रोफेसर विल्सर के मुताबिक़, त्वचा की तीन मुख्य परतें होती हैं. सबसे बाहर की ओर एपिडर्मिस, मध्य में डर्मिस, जहां रक्त-वाहिकाएं (ब्लड-वेसेल्स) , पसीने की ग्रंथियां, रोम-छिद्र और तंत्रिकाएं होती हैं. सबसे अंदर की तरफ़ हाइपोडर्मिस लेयर होती है.

वो कहते हैं,"टैटू की स्याही को त्वचार के उस हिस्से में इंजेक्ट किया जाता है, जहां तंत्रिकाएं होती है. टैटू का रंग इसलिए फीका नहीं पड़ता क्योंकि यह एपिडर्मिस द्वारा सुरक्षित होती है."

विल्सर कहते हैं कि जब स्याही को इंजेक्ट किया जाता है तो तंत्रिकाएं मस्तिष्क को संदेश भेजती हैं कि वो घायल हो रही हैं. इसके बाद दिमाग शरीर के उस हिस्से के संदेश को ग्रहण करके सुरक्षात्मक रवैया अख़्तियार करते हुए ह्वाइट-ब्लड-वैसेल्स (श्वेत रूधिर कणिकाएं) को उस जगह की सुरक्षा के लिए निर्देश देता है.

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English summary
Which part of the body is most painful to get tattooed?
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