जंगल सफारी में कैद है दुर्लभ पैंगोलिन, रिहा करने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर
बिलासपुर, 26 मई। छत्तीसगढ़ में एक जीवित वन्य प्राणी को बंधक बनाये जाने के मामले जनहित याचिका दायर की गई। मिली जानकारी के मुताबिक 25 अप्रैल 2022 को कुछ तस्कर संरक्षित जीव पैंगोलिन को ओडिश सीमा से बस्तर के उमरकोट-जगदलपुर मार्ग पर बेचने के लिए ले जा रहे थे,जिसे जप्त करके रायपुर लाकर जंगल सफारी रखा गया था। इस मामले में रायपुर के वन्यप्रेमी नितिन सिंघवी ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके पैंगोलिन को रिहा करने की मांग की है। गौरतलब है कि नितिन सिंघवी छत्तीसगढ़ के जाने माने वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट हैं। बहरहाल समय अभाव के कारण मामले की सुनवाई सोमवार को होगी।
जनहित याचिका के संबंध में जानकारी देते हुए रायपुर निवासी याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी ने बताया कि वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने अपनी स्टडी में कहा है कि चींटी दीमक खाने की विशेष आदत के कारण और इनके सामाजिक और प्रजनन की समझ नहीं होने के कारण पैंगोलिन को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता,ऐसा करने से वह अपना जीवन नहीं जी पाते। सिंघवी ने आगे कहा कि इस तथ्य की जानकारी होने के बावजूद छत्तीसगढ़ के वन विभाग और जंगल सफारी प्रबंधन ने अनुसूची-1 के तहत संरक्षित और आई.सी.यू.एन. की रेड बुक में संकटग्रस्त घोषित भारतीय पैंगोलिन को बंधक बना रखा है और चींटी दीमक जुगाड़ कर के इसे खिला रहे हैं।
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सिंघवी ने बताया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी ने वर्ष 2021 में पैंगोलिन के पुनर्वास के लिए मार्गदर्शिका जारी कर रखी है, जिसके तहत जप्त पैंगोलिन को उसी जंगल के घने इलाके में छोड़ा जाना है, जहां उसे पकड़ा गया है और रोड ,रेल और मानव बस्ती ना हो। सिंघवी ने 6 मई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर बंधक पैंगोलिन को छोड़ने की मांग की थी ,साथ ही बताया था कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अनुसूची -एक के तहत वन्य जीव को बिना उनके आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता है। जिसपर उन्हें बताया गया कि पैंगोलिन को बंधक बनाने का आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है, इसके बावजूद भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और ना ही बंधक पेंगोलिन को छोड़ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पैंगोलिन जप्त करने के बाद वन अधिकारी करपावंद ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर को आवेदन देकर कहा था कि पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है, इसे जंगल में छोड़ने पर ग्रामीणों के द्वारा हानि पहुंचाई जा सकती है, सुरक्षा की दृष्टि से जंगल सफारी नया रायपुर में रखना उचित होगा। न्यायिक मजिस्ट्रेट के आवेदन पर ही आदेशित किया गया कि प्रकरण में जब्त वन्यजीव पैंगोलिन को जंगल सफारी नया रायपुर में विधि अनुसार रखे जाने की आदेशित किया जाता है। लेकिन वन परीक्षेत्र अधिकारी की तरफ से बिना वनमंडल अधिकारी जगदलपुर के आदेश के पैंगोलिन को जंगल सफारी में छोड़ दिया आश्चर्य की बात है कि जंगल सफारी ने उसे डीएफओ जगदलपुर के पत्र के बिना रख भी लिया। सिंघवी ने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहेगा तो तस्करी की दौरान जप्त किये गए सभी जीव जंगल सफारी में पाए जायेंगे।
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