‘नेता जी’ ने जब सरफराज़ से कहा था- लीडर बनने के लिए कदमों को मज़बूत रखना पड़ता है
Mulayam Singh Memories:सरफराज़ सिद्दीकी ने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी का एक एक कार्यकर्ता ‘नेता जी’ मुलायम सिंह यादव को याद करके भावुक है तो इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं। वह कार्यकर्ताओं के लिए सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय..
Mulayam Singh Memories: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव इस दुनिया को अलविदा कहते हुए अपनी यादों के साथ चाहने वालों को छोड़ गए। सोमवार 10 अक्टूबर को मेदांता अस्पताल (दिल्ली) में उन्होंने आखिरी सांसें ली। आज सैफई उत्तर प्रदेश में उनका अंतिम संस्कार हुआ। देश के कई दिग्गज नेताओं ने शिरकत की। इसी कड़ी में वन इंडिया हिंदी से सपा नेता सरफ़राज़ सिद्दीक़ी ने खास बातचीत की। उन्होंने भावुक होते हुए मुलायम सिंह यादव के साथ बिताए वक्त का ज़िक्र करते हुए कुछ वाक्या सुनाया। उन्होंने कहा की 'नेता जी' ज़मीन से जुड़े इंसान थे। वह लखनऊ में मंच पर भाषण दिलाते और कार्यकर्ताओं का हमेशा मनोबल बढ़ाते थे।
कार्यकर्ताओं के दिल में बसे हैं ‘नेता जी’
सरफराज़ सिद्दीकी ने कहा कि अगर समाजवादी पार्टी का एक एक कार्यकर्ता 'नेता जी' मुलायम सिंह यादव को याद करके भावुक है तो इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं। वह कार्यकर्ताओं के लिए सिर्फ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या संरक्षक ही नहीं थे। बल्कि वह कार्यकर्ताओं के लिए कुशल राजनीतिक गुण सिखाने वाले एक शिक्षक का दायित्व भी कार्यालय में निरंतर बैठकर निभाते थे। वह अक्सर युवाओं को प्रेरणादायक बातें समझाते और सिखाते रहते थे। युवा प्रकोष्ठ के नौजवानों से वह घंटों सभागार मे बातें करते हुए राजनीति पर चर्चा करते रहते थे। अन्य जनपदो से आने वाले युवा कार्यकर्ताओं से वो एक अभिभावक की तरह कई तरह के सवाल करते थे।
‘नेता बनने के लिए क़दमों को मज़बूत रखना पड़ता है’
सरफराज़ सिद्दीक़ी ने बताया कि एक आत्मीय घटना उनके साथ 2015 में 'नेता जी' की मौजूदगी में हुई थी जो आज भी मेरे ज़हन में बसी हुई है। 'नेता जी' दफ्तर में मौजूद थे, तमाम जनपदो से आए हुए कार्यकर्ता भी वहां मौजूद थे। जब मैं सभागार की सीढ़ियों से उतरता हुआ जा रहा था, अति उत्साह में मेरा पैर फिसल गया। नेता जी की नज़र पड़ते ही मुझे सहारा देने की बात कही और मुझसे मुलाक़ात के वक़्त हाल चाल पूछा। कैसे आए हो, कहां ठहरे हो, कुछ खाया, ये उनके सामान्य प्रश्न हुआ करते थे। इसके बाद उन्होंने कहा कि नेता बनने के लिए क़दमों को मज़बूत रखना पड़ता है और फिर उन्होंने मंच से कुछ बोलने के लिए भी कहा था।
‘नेता जी हमेशा सभी के दिलों में ज़िंदा रहेंगे’
सरफराज़ सिद्दीक़ी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव कार्यकर्ताओं को ही पार्टी का असली उत्तराधिकारी और फ़सल मानते थे। यही संस्कार यही गुण आज अखिलेश यादव के व्यक्तित्व को शुशोभित कर रहा है। वह हमेशा हमारे दिलो में ज़िंदा रहेंगे, उनकी सीख, उनके आदर्श, उनके सिद्धांत और विचारधारा हमेशा जीवंत रहेंगे। उनके आदर्श संस्कार और कार्यकर्ताओं के प्रति स्नेह की भावना ही आज अखिलेश यादव को युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाए हुए है। अखिलेश को यह संस्कार 'नेता जी' से ही विरासत मे मिला है। अखिलेश यादव भी 'नेता जी' की तरह अपने हर कार्यकर्ता को दूर से पहचान लेते हैं।
अखिलेश यादव में दिखता है 'नेता जी' का अक्स
सरफराज़ सिद्दीक़ी ने बताया कि 2022 के विधानसभा चुनाव मे अखिलेश यादव बिजनौर अपनी 'रथ यात्रा-परिवर्तन यात्रा' के रूप मे बिजनौर लेकर पहुंचे थे। बिजनौर का रामलीला मैदान जनता से भरा हुआ था। अखिलेश यादव के साथ गठबंधन के साथी जयंत चौधरी भी रथ पर ही जनसभा को सम्बोधित कर रहे थे। लेकिन अखिलेश यादव 'नेता जी' वाली पारखी नज़रों से अपने अपने कार्यकर्ताओं पर नज़र गड़ाए हुए थे। मैं मंच के पास ही खड़ा था उनकी नज़र पड़ते ही उन्होंने मेरा अभिवादन स्वीकार किया। जन सभा के बाद रोड शो मे क्रांति रथ से ही वो लाखों की भीड़ का अभिवादन कर रहे थे।
‘अखिलेश यादव ने सम्मान के साथ किया विदा’
मुझ पर नज़र पड़ी तो सुरक्षा कर्मियों से कहा सरफ़राज़ को अंदर बुलाओ। भीड़ ज़्यादा थी मैं बमुश्किल रथ की खिड़की तक पहुंचा लेकिन उनकी निगाह मुझ पर ही गढ़ी रही। और आखिरकार उनके आदेश पर मैं अंदर पहुंचा अखिलेश यादव ने हाल चाल पूछा। मेरी विधानसभा नूरपुर की स्थिति जानी और कहा जिताकर लाओ। इतनी व्यस्तता के बावजूद मैं सात आठ मिनट उनके साथ रहा फिर उन्हों सम्मान के साथ विदा किया। यह व्यावहार अखिलेश यादव के पास 'नेता जी' मुलायम सिंह यादव की ही देन है।
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