Saharsa News: ग्रामीणों ने बनाया 1200 फीट लम्बा चचरी पुल, कहा- 17 साल से सरकार ने नहीं सुनी बात
प्रदेश के कई ज़िले ऐसे हैं, जहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सरकार से विकास की उम्मीद छोड़ चुके हैं। सहरसा ज़िले के ग्रामीणों ने खुद ही पहल करते हुए 8 लाख रुपये की लागत से चचरी पुल का निर्माण किया है।
Saharsa Villager : बिहार में माहगठबंधन की सरकार बनने के बाद विकास कार्यों में तेज़ी लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। वहीं प्रदेश के कई ज़िले के ऐसे भी गांव हैं जहां आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड में ग्रामीणों ने खुद के पहल से 1200 फीट लम्बा चचरी पुल तैयार किया है। स्थानीय लोगों की मानें तो नवहट्टा प्रखंड क्षेत्र के अन्तर्गत कुल 12 पंचायतें हैं। दो भागों में आबादी बंटी हुई है, जिसमें तटबंध के अंदर निवास करती हैं। यहां के लोगों को एक पंचायत से दूसरी पंचायत जाने में कोसी नदी की धाराओं को पार करनी होती है। 7 पंचायतों में 24 राजस्व ग्राम के लोग बसते हैं, लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं।
सरकार की तरफ से नहीं दिया जा रहा ध्यान- ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि 17 सालों से सरकार से मूलभूत सुविधाएं मुहैय्या कराने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया है। कोसी नदी के असेय कैदली घाट पर 2005 से ही पुल बनवाने की मांग की जा रही है। स्थानीय प्रतिनिधियों के पास कई बार बात रखी गई, लेकिन उन्होंने नज़र अंदाज कर दिया जिस वजह से असेय कैदली घाट पर पुल निर्माण नहीं हो सका। गांव के लोगों के लिए आने-जाने की सड़क भी नहीं बन पाई। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की उदासीनता देखते हुए हम लोगों ने खुद ही प्रखंड की तस्वीर बदलने का फ़ैसला लिया।
1200 फीट लम्बे पुल को बनाने में लगे 8 लाख रुपये
ग्रामीणों ने खुद पहल करते हुए 1200 फीट लम्बे चचरी पुल कोसी नदी के असेय कैदली घाट पर निर्माण किया है। उन्होंने बतया कि इस पुल के निर्माण में 8 लाख रुपये का खर्च आया है। पुल निर्माण कमेटी ने बताया कि पुल निर्माण के लिए चार कमेटियों का गठन किया गया, जिसमें आठ लोग शामिल थे। सभी की कोशिश से पुल निर्माण मुमकिन हो पाया है। चचरी पुल के निर्माण से प्रखंड मुख्यालय से बकुनिया पंचायत, कैदली पंचायत, हाटी पंचायत, नौला पंचायत, डरहार पंचायत, सतौर पंचायत और शाहपुर पंचायत के लोगों को काफी फ़ायदा पहुंचेगा।
पुल निर्माण से ग्रामीणों की कम हुई परेशानी
सड़क नहीं होने की वजह से ग्रामीणों को अपने घर से प्रखंड मुख्यालय जाने और काम निपटा कर वापस आने में पूरा दिन बीत जाता था। इससे पहले लोगों को प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए राजनपुर कर्णपुर पथ से होते हुए बलुआहा पुल (महिषी प्रखंड) पार करने के बाद 3 नदियों से गुज़रते हुए जाना पड़ता था। इस सफर में लोगों को क़रीब 40 किलोमीटर दूरी रोज़ाना तय करनी होती थी। इस वजह से लोगों का आधा वक्त तो सिर्फ आवाजाही में ही निकल जाता था। वहीं या दो से तीन नदी पार कर 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर आना-जाना पड़ता था। पुल बन जाने के बाद ग्रामीणों में काफी खुशी है, उन्होंने कहा कि सरकार ने गांव की तस्वीर नहीं बदली लेकिन हम लोगों ने खुद ही एकता दिखाते हुए पुल निर्माण पूरा कर लिया है।
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