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Motivational Story: 'टाइगर सर' को समाज ने कहा था पागल, अब तारीफ़ करते नहीं थक रहे लोग

Motivational Story: लक्ष्मण तिवारी जब गांव पहुंचे तो उन्होंने युवाओं को सेना ज्वॉइन करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। जब उन्होंने युवाओं को सेना भर्ती के लिए ट्रेनिंग की बात कही तो गांव के लोगों ने कहा कि लक्ष्मण...

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Motivational Story: आर्मी के लिए मुल्क से मोहब्बत ही पहला कर्तव्य है, उनके लिए देश प्रेम से ज़्यादा कोई दूसरा प्रेम नहीं है। इस बात को रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी ने साबित कर के दिखाया है। कभी समाज के लोग उन्होंने पागल कहकर बुलाते थे, लेकिन आज लोगों की ज़ुबान पर सिर्फ उनकी तारीफ ही है। आइए विस्तार से जानते हैं कि भारतीय सेना से सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी का नाम टाईगर सर क्यों पड़ा और किस तरह उन्होंने समाज में अपनी अलग पहचना बनाई।

2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद पहुंचे गांव

2014 में सेवानिवृत्त होने के बाद पहुंचे गांव

बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले से ताल्लुक रखने वाले मेजर लक्ष्मण तिवारी को लोग टाईगर तिवारी और युवा उन्हें टाइगर सर नाम से भी पुकारते हैं। एक वक्त था जब लक्ष्मण तिवारी को समाज के लोग पागल समझते थे। गांव वालों का ताना सुनते रहे और अपने मकसद पर वह काम करते रहे। उन्होंने ऐसा झंडा बुलंद किया है कि अब पूरे समाज के लोग उनकी मिसाल दे रहे हैं। साल 2014 में आर्मी से रिटायर होने के बाद लक्ष्मण तिवारी आपने गांव जलालपुर पहुंचे।

'समाज के लोगों ने कहा था पागल हो गए हैं'

'समाज के लोगों ने कहा था पागल हो गए हैं'

लक्ष्मण तिवारी जब गांव पहुंचे तो उन्होंने युवाओं को सेना ज्वॉइन करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। जब उन्होंने युवाओं को सेना भर्ती के लिए ट्रेनिंग की बात कही तो गांव के लोगों ने कहा कि लक्ष्मण तिवारी की दिमागी हालत खराब हो गई है। वहीं युवाओं को तैयारी करने कहते थे तो वह उनकी बातों को अनसुना कर देते थे। लेकिन उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी फिर उनके साथ गांव के कुछ युवा जुड़े। इसके बाद उन्होंने सेना भर्ती ट्रेमिंग के लिए 2014 में पहला बैच बनाया। इस बैच के युवा का जब सेना में सिलेक्शन हुआ तो दूसरे लोगों का नज़रिया बदला और उनसे लोग प्रेरित होने लगे।

155 युवाओं को बना चुके हैं सैनिक

155 युवाओं को बना चुके हैं सैनिक

रिटायर्ड सूबेदार मेजर लक्ष्मण तिवारी अभी तक अपनी ट्रेनिंग से 155 युवाओं को सैनिक बना चुके हैं। वहीं उनके द्वारा ट्रेनिंग लिए कई बच्चों का सेना में सेलेक्शन होने के बाद उनके पास युवाओं की हुजुम है। सैकड़ों युवाओं को वह मुफ्त में प्रशिक्षण दे चुके हैं। 8 सालों के दौरान टाइगर सर ने गांव के युवाओं के भविष्य को संवारने का काम किया है। इसी का नतीजा है कि आज उनकी गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। गांव के बेटों के साथ-साथ अब बेटियां भी उनसे ट्रेनिंग ले रही हैं।

मुफ्त में दे रहे युवाओं को ट्रेनिंग

मुफ्त में दे रहे युवाओं को ट्रेनिंग

स्थानीय लोगों ने बताया की गांव में कई ऐसे परिवार थे जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। टाइगर सर की ट्रेनिंग के बाद उन परिवार के बच्चों की सेना में नौकरी मिली और अब उनके परिवार की स्थिति सुधरी है। ग्रामीणों ने बताया कि टाइगर सर की ट्रेनिंग से लड़कियों को भी फायदा हो रहा है। लड़कों को ट्रेनिंग करते देख, लड़कियां भी ट्रेनिंग करने गई। लड़कियों के विशेष बैच बनाकर ट्रेनिंग दी जाती है। उनकी ट्रेनिंग से गांव की 20 बेटियों को पुलिस में नौकरी भी मिल गई। ग़ौरतलब है कि यह सारी ट्रेनिंग बच्चों को मुफ्त में दी जा रही है। टाइगर सर के इस पहल में रिटायर्ड सैनिक सूबेदार मेजर शशि रंजन और मो. इस्लाम भी साथ दे रहे हैं।

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English summary
Motivational Story Tiger Sir Free Army Training Muzaffarpur News In Hindi
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