बिहार: एक गुफ़ा में है सोने का भंडार, दरवाज़ा खुलने का है इंतज़ार, बदल जाएगी पूरे देश की क़िस्मत
नालंदा, 12 अगस्त 2022। बिहार के जमुई जिले में के बाद अब राजगीर की गुफ़ाओं में सोने का भंडार होने की चर्चा तेज़ हो चुकी है। बताया जा रहा है कि राजगीर की गुफा में एक रहस्यमयी दरवाज़ा है लेकिन कई कोशिशों के बावजूद उसे खोलने में कामयाबी नहीं मिली। इतिहासकार बताते हैं कि अगर गुफा का दरवाजा खोलने में कामयाबी मिल गई तो बिहार समेत पूरे देश की क़िस्मत बदल जाएगी। हज़ारों बार इस गुफा के दरवाज़े को खोलने की कोशिश की गई है लेकिन कामयाबी आज तक नहीं मिल पाई है। राजगीर के इस गुफ़ा में बिम्बिसार का बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है। इतिहासकारों की मानें तो हर्यक वंश के स्थापक बिम्बिसार को सोने-चादी काफी पसंद थे। इसलिए उन्होंने सोने-चांदी और आभूषणों को गुफा में जमा करते थे।

राजगीर की गुफा में बेशकीमती खजाना
राजगीर की इस गुफा में बेशकीमती खजाने को बिम्बिसार की पत्नी ने छिपाया है। कई लोगों ने खजाने को खोजने की कोशिश की लेकिन निराशा ही हाथ लगी। इतना ही नहीं अंग्रेज़ों ने भी गुफा से खजाने को निकालने का पूरा जतना किया इसके बावजूद वह खज़ाने को नहीं पा सके। राजगीर के खजाने को 'सोन भंडार' की संज्ञा दी गई है। जानकारों बताते हैं कि इस गुफा का निर्माण बिम्बिसार की पत्नी ने करवाया था। दुनियाभर के लिए रहस्य बने इस सोन भंडार को देखने के लिए हज़ारों की तादाद में पर्यटक विदेशों से भी आते हैं। हर साल हजारों की तादाद में घूमने पहुंचे पर्यटक भी इसका गुफा के दरवाजे का रहस्य जानने की ख्वाहिश रखते हैं।

गुफा के खज़ाना का बिम्बिसार के होने के प्रमाण
बुज़ुर्ग बताते हैं कि प्राचीन काल में भगवान बुद्ध ने बिम्बिसार को मगध की राजधानी राजगीर में ही धर्म के बारे मंं बताया था। इस खजाने के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि खजाना पहले से ही मगध सम्राट जरासंघ का है। लेकिन गुफा के खज़ाना का बिम्बिसार के होने के प्रमाण ज्यादा हैं। इतिहासकार बताते हैं कि गुफा से कुछ ही दूरी पर एक जेल था। इस जेल में अजातशत्रु ने अपने पिता बिम्बिसार को क़ैदी बनाकर रखा था। उस जेल के अवेशष आज भी मौजूद हैं। इन्हीं सब को देखते हुए खज़ाने को बिम्बिसार का ही माना जाता है। बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक राजगीर को खास तौर से भगवान बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए ही जाना जाता है।

बिम्बिसार की रानी ने छिपाया था खजाना
इतिसकारों की मानें तो बिम्बिसार की कई रानियां थी जिसमें एक रानी बिम्बिसार के बहुत ही क़रीब थी। जो बिम्बिसार की पंसद और नापसंद का खयाल रखती थी। अजातशत्रु ने जब अपने पिता बिम्बिसार को क़ैदी बनाया तो, इस रानी ने राजा बिम्बिसार के खज़ाने को गुफ़ा में छिपा दिया। बताया जाता है कि 'सोन भंडार' के अंदर दाखिल होते ही एक कमरा है। उस कमरे में सैनिक रहते थे, जो खजाने की हिफ़ाज़त किया करते थे। उस कमरे के बाद खजाने का रास्ता शुरू होता है। खजाने के दरवाजे पर एक विशाल पत्थर रखा हुआ है।

'सोन भंडार' में पहुंचना बना रहस्य
गुफ़ा के इस रहस्यमयी खजाने के दरवाजे को खोलना वैज्ञानिकों के लिए अभी भी पहेली बनी हुई है। ग़ौरतलब है कि गुफा के दरवाजे पर जो पत्थर रखा हुआ है, उसमें शंख लिप में कुछ लिखा है। इस शंख लिप लिखी बातों को कोई भी नहीं पढ़ पा रहा है। जानकारों की मानें तो पत्थर पर लिखे शंख लिप में खजाने के दरवाजे को खोलने के बारे में लिखा हुआ है। इसे पढ़ने में अगर कामयाबी मिली तो खजाना तक पहुंचा जा सकता है। वहीं यह भी कहा जाता है कि वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर बिम्बिसार के रहस्यमयी खजाने तक पहुंचा जा सकता है। पर्वत सागर वाला रास्ता सप्तपर्णी गुफाओं तक जाता है। 'सोन भंडार' गुफा की दूसरी तरफ यह रास्ता पहुंचता है। अंग्रेजों ने खज़ाने को हासिल करने के लिए तोप से दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की थी लेकिन कामयाब नहीं हो पाए थे।
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