बिहार: पहली बार किया जा रहा है अनोखा प्रयोग, गाय के गोबर से बनाया जा रहा है ऑर्गेनिक पेंट
आपको बता दें कि प्राकृतिक पेंट के नाम देशभर में पेंट को जाना जा रहा है। वहीं नालंदा में प्राकृतिक पेंट निर्माण यूनिट को बायो ऑर्गेनिक पेंट की संज्ञा दी गई।
नालंदा, 23 अगस्त 2022। बिहार में भी गाय के गोबर से पेंट बनाने पहली बार अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। प्रदेश के गांवों में इससे पहले गोबर से ज़मीने पोतने का काम किया जाता रहा है लेकिन अब गाय के गोबर से ऑर्गेनिक पेंट तैयार किया जा रहा है। बिहार के नालंदा जिले से ऑर्गेनिक पेंट बनाने की शुरुआत की गई है। तेलिया बीघा गांव (एकंगरसराय प्रखंड) के रहने वाले संजय कुमार ने अपने गांव में ही छोटा सा यूनिट लगाकर ऑर्गेनिक पेंट तैयार कर रहे हैं। गौरतलब है कि खादी इंडिया के ज़रिए प्रधानमंत्री एंप्लॉयमेंट जेनरेशन प्रोग्राम के तहत यूनिट लगाया गया है। ग्रामीण इलाकों में रोजगार मुहैय्या कराने के मद्देनजर सरकार की तरफ़ से सब्सिडी भी मिल रही है।
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1 दिन में 2 हज़ार लीटर ऑर्गेनिक पेंट होता है तैयार
आपको बता दें कि प्राकृतिक पेंट के नाम देशभर में पेंट को जाना जा रहा है। वहीं नालंदा में प्राकृतिक पेंट निर्माण यूनिट को बायो ऑर्गेनिक पेंट की संज्ञा दी गई। बिहार के नालंदा ज़िले में अभी एक ही यूनिट स्थापित की गई है। ग़ौरतलब है कि इस युनिट में 4 हज़ार लीटर पेंट 24 घंटे बनाया जा सकता है, फिल्हाल हर रोज़ 2 हज़ार लीटर ऑर्गेनिक पेंट तैयार किया जा रहा है।1 लीटर पेंट बनाने में करीब 30 से 40% गाय के गोबर का इस्तेमाल होता है। आपको बता दें कि इस ऑर्गेनिक पेंट को पेंट को अष्ट लाभ की भी संज्ञा दी जा रही है। इसके लिए तर्क दिया गया है कि गाय के गोबर से बने ऑर्गेनिक पेंट जीवाणु और फंगस को रोकने में कामयाब है।
गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट का निर्माण
ऑर्गेनिक पेंट खूबी बताते हुए पेंट निर्माता संजय कुमार ने बताया कि ऑर्गेनिक पेंट से बाहर की गर्मी भी रुकती है। पेंट के निर्माण में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। वहीं घरों में पेंट कराने के बाद किसी भी तरह के स्मेल नहीं होता है। इन सब चीज़ों के अलावा मार्केट में मिलने वाले रसायनिक पेंट के मुकाबले ऑर्गेनिक पेंट काफी सस्ता है। लोगों के बजट में किफायती दरों पर पेंट उपलब्ध है। वहीं पेंट के निर्माण की बता की जाए तो सबसे पहले गाय के गोबर को पानी के बराबर मात्रा के साथ एजिटेटर में डाला जाता है। इसके बाद ट्रिपल डिस्क रिफाइनरी में डालकर पेस्ट का निर्माण होता है। उसके बाद पेस्ट में पाउडर और कैल्शियम कंपोनेंट डालकर पेंट का बेस तैयार किया जाता है। उस पेंट के बेस से इमल्शन और डिस्टेंपर तैयार किया जाता है।
ऑर्गेनिक पेंट में गाय का गोबर मुख्य कच्चा माल
संजय कुमार ने कहा कि पुरानी भारतीय पंरपरा है कि घरों की दीवारों और फर्शों पर गोबर के लेप लगाए जाते थे। इसके साथ ही गोबर के लेप उपचार भी किया जाता था। पुरानी भारतीय परंपरा से प्रेरित होकर पर्यावरण के मुताबिक ऑर्गेनिक पेंट तैयार किया जा रहा है। प्राचीन काल से चली आ रही पुरानी पद्धतियो को नए इजाद के साथ प्राकृतिक रंग का निर्माण हो रहा है। ऑर्गेनिक पेंट बनाने में गाय का गोबर मुख्य कच्चा माल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। गोबर को वैज्ञानिक तरीके से संशोधित कर डिस्टेंपर और इमल्शन पेंट का निर्माण हुआ है।
ग्रामीणों को मिल रहा है रोज़गार
पेंट निर्माता संजय कुमार ने ऑर्गेनिक पेंट का फ़ायदा बताते हुए कहा कि इस पेंट के आठ तरीके से प्राकृतिक फ़ायदा होता है। ऑर्गेनिक पेट से दीवारों के लिए एक आदर्श सुरक्षा कवच बनता है। यह टिकाऊ पेंट होने के साथ ही जलरोधक भी होता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि पेंट करने के 4 घंटे बाद यह पूरी तरह से सूख जाता है। बीआईएस मानकों द्वारा प्रमाणित भी किया जा चुका है। वहीं उन्होंने बताया कि अपने ऑर्गेनिक पेंट यूनिट में गांव के 4 लोगों को रोज़गार दिया है। इसके साथ ही आस-पास के पशपालकों और दूसरे गांव के लोगों से गाय के गोबर की भी खरीदारी की जा रही है। इससे अन्य लोगों को भी फ़ायदा हो रहा है।
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